प्रधान शिक्षक, प्रधानाध्यापक के नियमावली में कई त्रुटियां है जिसे सुधार की आवश्यकता है : केदारनाथ पांडेय

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# बहाली में महिलाओं को 35% आरक्षण का प्रावधान है परंतु इस नियमावली में नहीं है

श्रीनारद मीडिया, मनोज तिवारी, छपरा (बिहार):

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष, केदार नाथ पाण्डेय, सदस्य, बिहार विधान परिषद् एवं महासचिव, शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद तथा प्रभारी महासचिव, विनय मोहन ने प्रमंडलीय मीडिया प्रभारी प्रकाश कुमार सिंह के हवाले से एक बयान में कहा है कि शिक्षा विभाग की अधिसूचना संख्या 1338 दिनांक 18-08-2021 द्वारा राज्य के वैसे माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों जो राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत उत्क्रमित हैें अथवा माध्यमिक विहीन पंचायतों में एक-एक माध्यमिक विद्यालय संचालित किये गये हैं, में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति हेतु नियमावली 2021 जारी की गयी हैं।

जिसमें कई विसंगतियां हैं। विभागीय अधिसूचना संख्या 1110 एवं 1111 दिनांक 30-08-2020 द्वारा राज्य के ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय/राजकीयकृत, प्रोजेक्ट कन्या एवं उत्क्रमित माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक/पुस्तकालयाध्यक्ष एवं प्रधानाध्यापक की नियुक्ति, प्रोन्नति नियमावली अधिसूचित की गई है। जिसके अंतर्गत प्रधानाध्यापक के पदों को शत-प्रतिशत प्रोन्नति का पद माना गया है लेकिन नियमावली संशोधित किये बगैर अधिसूचना संख्या 1338 दिनांक 18-08-2021 द्वारा उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पदों पर प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से शत-प्रतिशत नियुक्ति का निर्णय लिया गया है, जो अधिसूचना संख्या 1110 दिनांक 20-08-2020 के प्रावधान के विपरीत है।

इस नियमावली में 8 वर्षों का अनुभव रखने वाले उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों और 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले माध्यमिक शिक्षकों को प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया गया है,जबकि ज्ञापांक 1500 दिनांक 22-07-2019 के आलोक में वरीयता के निर्धारण के क्रम में उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों और माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के बीच 4 वर्ष के अनुभव का अंतराल रखा गया है। इस प्रकार इस नियमावली में यह बिन्दु भी भेदभावपूर्ण है। इसमें संशोधन अपेक्षित है। सरकार ने 35 फीसदी महिला शिक्षकों को नियोजित किया है।

किन्तु प्रधानाध्यापक की प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिए महिला वर्ग एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को प्राप्तांक में मात्र 5 प्रतिशत की छूट दी गयी है जबकि राजकीयकृत, प्रोजेक्ट विद्यालयों की 1983 सेवाशर्त्त नियमावली में महिलाओं को निर्धारित समय सीमा में 3 वर्षों की छूट दी गयी है। अतः यहां भी महिलाओं को सेवा अनुभव में छूट मिलनी चाहिए। अधिसूचना संख्या 1338 दिनांक 18-08-2021 में प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिए सी-बी-एस-ई-, आई-सी-एस-ई- और वित्त रहित विद्यालयों के शिक्षकों को शामिल करने की बात की गयी है।

सरकार का तर्क है कि विद्यालयों में प्रभावी और गुणवतापूर्ण शिक्षण तथा प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ करना है। जबकि नियोजित शिक्षकों के नियोजन का आधार शासकीय व्यवस्था द्वारा चयनित समिति द्वारा मेधा अंक के आधार पर और निजी विद्यालयों में प्रबंध समिति द्वारा जैसे-तैसे नियुक्ति की जाती है। नियोजित शिक्षक दक्षता परीक्षा भी उत्तीर्ण होते हैं। निजी विद्यालयों के लिए यह व्यवस्था नहीं है।

इस श्रेणी में निजी विद्यालय को शामिल करने से स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्था के शिक्षकों के संवर्ग के प्रति प्राकृतिक न्याय नहीं हो पायेगा। अंकनीय है कि राजकीयकृत प्राथमिक शिक्षकों की नियमावली अधिसूचना 859 दिनांक 18-08-2021 में ऐसा प्रावधान शामिल नहीं है।

अतः इस अंश को विलोपित किया जाना चाहिए। इस नियमावली में एम-ए-, बीपी-एड, और डी-पी-एड, (शारीरिक प्रशिक्षित स्नातकोत्तर शिक्षकों) को शामिल करने से वंचित कर दिया गया है जबकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय एस-एल-पी- अपील नं- 1247/13 और पटना उच्च न्यायालय की सी-डब्ल्यू-जे-सी- 1820 / 2018 में एम-ए- बी-एड और एम-ए- बी-पी-एड/डिप इन-पी-एड को समतुल्य माना गया है और उनके साथ भेदभाव करने से मना किया गया है। राजकीयकृत प्राथमिक शिक्षकों की नियमावली अधिसूचना संख्या 859 दिनांक 18-08-2021 में इस प्रकार की विसंगतियां नहीं है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ उपरोक्त वर्णित बिन्दुओं पर नियमावली में संशोधन करने की मांग करता है।

शिक्षक नेता चंद्रमा सिंह, रजनीकांत सिंह, विद्यासागर विद्यार्थी,विजय ठाकुर,नागेंद्र सिंह कुमार अर्नज, श्रीमती कंचन सिंह,आदि ने भी उक्त बिंदुओं पर सुधार की मांग की है।

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