एक लंबी शृंखला है राष्ट्रवादी इस्लामिक विचारकों की……
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विद्यालय ग्राउंड में टहलते हुए…एक सायरन की आवाज सुनाई दी। साथ मे टहल रहे कृष्णा जी बोले-” राज्यपाल आए हैं- दानापुर कैंट में।”‘राज्यपाल’ शब्द सुनते हीं स्मृति पटल पर सन 1986 की घटना सामने आ गई…और घूम गया इंदौर के ..उस साठ साल की बुजुर्ग महिला..शाहबानो का बेवश चेहरा। पति से तलाक मिलने के बाद शाहबानो..को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ रकम गुजारा भत्ते के तौर पर निर्धारित किया।
आखिर इस उम्र में यह महिला जाएगी कहां? पति को यह बात नागवार गूजरी। इस्लामिक नियम के अनुसार तो कोई रकम नहीं दी जानी चाहिए। फिर कोर्ट को क्या है …दखल देने का अधिकार? भारत की पूरी मौलाना बिरादरी ने दबाव बनाया। शाहबानों को…कोई रकम न दी जाए…इसके लिए..कोर्ट के फैसले को संसद ने पलट दिया। एक अकेली बुजुर्ग महिला से…400 से अधिक सांसदों वाली सरकार डर गई।
..लेकिन उसी संसद में..उसी सरकार के एक मंत्री ने …संसद के इस निर्णय को प्रतिगामी एवं महिला विरोधी बताते हुए अपनी हीं सरकार की बखिया उधेड डाली। …और सरकार से त्यागपत्र दे दिया। वहीं पूर्व मंत्री…श्री आरिफ मोहम्मद खान…आज बिहार के राज्यपाल हैं। इससे पहले केरल के राज्यपाल थे। भाषा पर जबरदस्त पकड़ है
..आरिफ साहब की…और धर्मशास्त्रों की तो मृदु धारा बहती हैं ..जबान से। भारत में…सईद इब्राहिम रसखान से लेकर…आरिफ मोहमद खान तक एक लंबी शृंखला है राष्ट्रवादी इस्लामिक विचारकों की। तस्वीरें..धीरे-धीरे साफ हो रही है।
इसीलिए,
हारिए न हिम्मत..बिसारिए न राम!