तारीख पर तारीख की संस्कृति बदलने की जरूरत- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

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अपराधी खुलआम घूमते हैं, पीड़ित डर में रहते हैं

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अदालतों में ‘तारीख पर तारीख’ संस्कृति को बदलने की जरूरत पर बल दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में ‘स्थगन की संस्कृति’ बदलने के प्रयास करने की जरूरत है।

वहीं, मेघवाल ने न्याय व्यवस्था में ‘तारीख पर तारीख’ की सामान्य धारणा को तोड़ने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया ताकि न्यायपालिका के प्रति नागरिकों का विश्वास मजबूत हो सके। भारत मंडपम में जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का होना ‘हम सभी’ के लिए एक बड़ी चुनौती है।

राष्ट्रपति की यह टिप्पणी महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर पूरे देश में व्याप्त आक्रोश के बीच आई है। कोलकाता के एक अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या, तथा मलयालम फिल्म उद्योग के जाने-माने अभिनेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और बलात्कार के एक दर्जन से अधिक मामलों के बाद भारत में महिलाओं और लड़कियों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर गहन पुनर्विचार की मांग उठ रही है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने समापन भाषण में कहा, “यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि अपराधी अपराध करने के बाद भी बेखौफ घूमते हैं। जो लोग अपने अपराधों के शिकार होते हैं, वे इस डर में जीते हैं जैसे कि उनके अपने विचारों ने कई अपराध किए हों। महिला पीड़ितों की स्थिति और भी बदतर है क्योंकि समाज के लोग भी उनका समर्थन नहीं करते हैं।”

राष्ट्रपति ने कहा, ‘जब बलात्कार जैसे मामलों में अदालती फ़ैसले एक पीढ़ी बीत जाने के बाद आते हैं, तो आम आदमी को लगता है कि न्याय प्रक्रिया में संवेदनशीलता की कमी है।’

राष्ट्रपति की यह टिप्पणी महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर पूरे देश में व्याप्त आक्रोश के बीच आई है। कोलकाता के एक अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद देश भर में ग़ुस्सा है। इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों से लगातार दुष्कर्म के एक से बढ़कर एक संगीन मामले यूपी, बिहार, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, असम, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से सामने आए हैं। मलयालम और तमिल फिल्म इंडस्ट्री में भी अब MeToo अभियान में यौन उत्पीड़न और बलात्कार के एक दर्जन से अधिक मामले आए हैं। इन घटनाओं के बाद फिर से देश भर में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा तेज़ हो गई है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि गांवों में लोग न्यायपालिका को ईश्वर तुल्य मानते हैं क्योंकि उन्हें वहां न्याय मिलता है। उन्होंने कहा, ‘एक कहावत है – भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। लेकिन देरी कितनी लंबी है? यह कितनी लंबी हो सकती है? हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘जब तक किसी को न्याय मिलेगा, तब तक उनकी मुस्कान गायब हो चुकी होगी, उनका जीवन समाप्त हो चुका होगा। हमें इस पर गहराई से विचार करना चाहिए।’

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