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चैत्र माह में त्योहार और व्रत की है भरमार

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अंग्रेजी कैलेंडर यानी ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार, हर साल 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत होती है। लेकिन सभी धार्मिक समुदायों में अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार, अलग-अलग दिन पर नववर्ष मनाया जाता है। वहीं, अगर हिंदी कैलेंडर की बात करें तो, इसके अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा से नए साल की शुरुआत मानी जाती है।

फाल्गुन माह के बाद चैत्र के महीने की शुरुआत होती है। इस माह का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह हिंदू नववर्ष का का प्रथम महीना होता है। चैत्र माह की शुरुआत 26 मार्च से हो गई है और इसका समापन अगले महीने यानी 23 अप्रैल को होगा। इस माह में कई महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार मनाए जाएंगे, जिनका अध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस माह में रंग पंचमी, पापमोचिनी एकादशी, चैत्र नवरात्र और हनुमान जयंती समेत कई व्रत और पर्व पड़ते हैं।

चैत्र माह 2024 के व्रत और त्योहार कैलेंडर 

  • 27 मार्च 2024- भाई दूज
  • 28 मार्च 2024- भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी
  • 30 मार्च 2024- रंग पंचमी
  • 31 मार्च 2024- शीतला सप्तमी, कालाष्टमी
  • 5 अप्रैल 2024- पापमोचिनी एकादशी
  • 6 अप्रैल 2024- शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत
  • 7 अप्रैल 2024 – मासिक शिवरात्रि
  • 8 अप्रैल 2024- चैत्र अमावस्या, सूर्य ग्रहण
  • 9 अप्रैल 2024- चैत्र नवरात्रप्रारंभ, झूलेलाल जयंती, हिंदू नववर्ष प्रारंभ
  • 11 अप्रैल 2024- मत्स्य जयंती, गौरी पूजा
  • 12 अप्रैल 2024- लक्ष्मी पंचमी
  • 14 अप्रैल 2024- यमुना छठ
  • 16 अप्रैल 2024- महातारा जयंती, मासिक दुर्गाष्टमी
  • 17 अप्रैल 2024- रामनवमी
  • 19 अप्रैल 2024- कामदा एकादशी
  • 20 अप्रैल 2024- वामन द्वादशी, त्रिशूर पूरम
  • 21 अप्रैल 2024- महावीर स्वामी जयंती, प्रदोष व्रत
  • 23 अप्रैल 2024 – हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा व्रत

गुड़ी पड़वा शुभ मुहूर्त

हिंदी कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह की प्रतिपदा की शुरुआत 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 09 अप्रैल को रात 08 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में गुड़ी पड़वा का त्योहार 09 अप्रैल, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।

गुड़ी पड़वा का महत्व

यहां गुड़ी का अर्थ है ध्वज यानी झंडा, वहीं मराठी में प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है। इसलिए इस पर्व को गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र माह की प्रतिपदा पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए यह तिथि विशेष महत्व रखती है।

कैसे मनाया जाता है यह पर्व

गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों की अच्छे से साफ-सफाई करते हैं। इस दौरान घर को रंगोली और फूल-माला से सजाया जाता है। इसके साथ ही मुख्य द्वार पर आम या फिर अशोक के पत्तों का तोरण बांधा जाता है। गुड़ी पड़वा में तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं।

घर के आगे एक झंडा यानी गुड़ी लगाया जाता है। इसके बाद एक बर्तन पर स्वस्तिक बनाया जाता है और इस पर रेशम का कपड़ा लपेटा जाता है। साथ ही इस तिथि पर सुबह शरीर पर तेल लगाकर स्नान करने की भी परंपरा है। स्वास्थ्य कामना के लिए इस दिन पर नीम की कोपल को गुड़ के साथ खाने का भी विधान है।

मान्यता है कि चैत्र माह में श्रद्धा अनुसार दान-पुण्य करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस माह में सूर्य मेष राशि में उच्च स्थान पर गोचर करेंगे, जिसे ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से शुभ माना गया है। इसके अलावा इस माह में हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और चैत्र नवरात्र, पापमोचिनी एकादशी, रामनवमी समेत कई पर्व और व्रत भी है।

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