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स्टार्टअप अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक रुझान है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नवोन्मेषी उद्यमों की बढ़ती संख्या भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक रुझान है. हमारे देश में लगभग 80 ऐसे स्टार्टअप हैं, जो यूनिकॉर्न श्रेणी में पहुंच चुके है. इस आंकड़े के साथ हम दुनिया में तीसरे पायदान पर हैं. ऐसे उद्यमों का मूल्य एक अरब डॉलर से अधिक होता है. बीते साल 42 ऐसे उद्यमों ने यह मुकाम हासिल किया है. केंद्र सरकार ने 16 जनवरी, 2016 को इन्हें बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप मिशन की शुरुआत की थी.

इसके छह साल पूरा होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी को हर वर्ष राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है. इससे स्पष्ट है कि आधुनिक तकनीक और नये अवसरों पर आधारित उद्यम सरकार की प्राथमिकता में हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने इन उद्यमों को वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ने का आह्वान किया है.

उल्लेखनीय है कि महामारी से पैदा हुई मुश्किलों को हल करने तथा भविष्य की ऐसी चुनौतियों का सामना करने के इरादे से प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सामने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प प्रस्तुत किया था. इसे साकार करने के लिए कई सुधार कार्यक्रमों, नीतिगत बदलावों तथा योजनाओं का सूत्रपात किया गया है. इन पहलों में स्टार्टअप पर भी समुचित ध्यान दिया जा रहा है.

विभिन्न क्षेत्रों के विकास में ऐसे उद्यम भी सकारात्मक योगदान दे सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने इनसे आग्रह किया है कि वे शहरों की योजनाएं बनाने, रक्षा क्षेत्र और गति शक्ति योजना में सहयोगी भूमिका निभाएं. भारत उन देशों में शामिल है, जहां तेजी से शहरीकरण हो रहा है. नये शहरों को बसाने तथा कस्बों के नगरों में बदलने में बड़े पैमाने पर तकनीकी संसाधनों की मदद ली जानी चाहिए, ताकि नगरीकरण की गुणवत्ता बेहतर हो.

नयी खोजों और अनुसंधानों के साथ-साथ स्टार्टअप उद्यमों की कल्पनाशीलता इसमें अग्रणी भूमिका निभा सकती है. निजी पूंजी और उद्यमों के लिए अवसर देकर रक्षा क्षेत्र में अहम सुधार किया गया है. अंतरिक्ष और उड़ान को भी इसमें जोड़ दें, तो स्टार्टअप उद्यमों के लिए व्यापक संभावनाओं के दरवाजे खुले हैं. देश में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है, जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की पहल नहीं हो रही है.

इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने पहले की परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने पर जोर दिया है. इसमें भी स्टार्टअप कंपनियों को भागीदारी करनी चाहिए. अभी अधिकतर उद्यम बड़े शहरों में केंद्रित हैं. यदि अलग-अलग क्षेत्रों में उन्हें मौका मिलता है तथा सरकार व उद्योग जगत की ओर से पूंजी समेत आधारभूत संसाधन मुहैया कराये जाते हैं, तो छोटे व मझोले शहर भी स्टार्टअप हब बन सकते हैं.

एक वर्ष के भीतर इन उद्यमों में निवेश तीन गुना से भी अधिक होकर 11 अरब डॉलर से 36 अरब डॉलर हो चुका है. आर्थिक वृद्धि के साथ आगे भी इसमें बढ़ोतरी की पूरी संभावना है. गुणवत्तापूर्ण रोजगार और उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर स्टार्टअप भारतीय अर्थव्यवस्था का एक आधार बन सकते हैं.

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