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बिहार में मांस, मछली और अंडा की बिक्री पर रोक नहीं.

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प्रवासी मजदूरों को सरकार देगी आर्थिक सहायता.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लॉकडाउन एक्सटेंशन के बीच नीतीश सरकार ने चिकन, मटन और मछली की बिक्री पर से रोक हटा ली है. मतस्य पालन विभाग ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है. राज्य में अब कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए इन सामानों की बिक्री की जा सकती है. बता दें कि राज्य में 15 मई से 25 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ाई गई है.

मतस्य विभाग की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार राज्य में मटन, चिकन, मछली और अंडा की खरीद-बिक्री पर किसी भी तरह की प्रतिबंध नहीं रहेगी. विभाग ने कहा है कि मछली, मुर्गी, मांस एवं अण्डा की बिक्री निर्धारित समय सीमा के अनुकूल खुलेगी और इनके आवागमन तथा मत्स्य शिकारमाही की छूट रहेगी. इस संबंध में सभी डीएम को निर्देश जारी किया है.

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इतना ही नहीं, बिहार में लॉकडाउन के नए नियमों के अनुसार बिहार के शहरी क्षेत्रों में दुकान को खोलने की समय सीमा में कटौती की गई है. राज्य के शहरी इलाकों में सुबह 6 बजे से 10 बजे तक ही दुकान खोला जा सकता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह आठ बजे से दोपहर के 12 बजे तक दुकान खोलने की छूट दी गई है. पहले 11 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति थी.

कोरोना के दौरान बिहार लौटे प्रवासी व स्थानीय कामगारों को विशेष अनुदान का लाभ दिलाने की प्रक्रिया तेज हो गयी हैं. राज्य सरकार के निर्देश पर कोरेनटाइन सेंटर और सामुदायिक रसोई में रहने एवं खाने वालो का निबंधन होगा. इस संबंध में विभाग ने अधिकारियों को प्रखंड स्तर पर ऑफलाइन निबंधन करने का निर्देश दिया है, पिछले साल प्रवासी मजदूरों का निबंधन ऑनलाइन किया गया था, लेकिन इस बार यह ऑफलाइन किया जा रहा है, ताकि बाहर से आने वाले हर मजदूर की स्कीनिग भी हो सकें.

22 से अधिक योजनाओं का मिलेगा लाभ– यहीं काम दिलाने के लिए गांव-गांव स्तर पर विशेष अभियान चलाया जायेगा. ताकि सही श्रमिकों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ आराम से मिल सकें. विभाग की ओर से श्रमिकों के लिये लगभग 22 से अधिक योजनाएं हैं, जिसकी जानकारी लोगों को नहीं है और वह योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के दौरान ज्यादा से ज्यादा मजदूरों का निबंधन करने का लक्ष्य रखा गया है.

गांव जायेंगे अधिकारी– श्रम संसाधन ने तय किया है कि भवन और सड़क निर्माण से जुड़े कामगारों का अधिक से अधिक निबंधन हो. निबंधन के लिए प्रखंड स्तर के अधिकारियों को गांव-गांव भेजा जायेगा. वहीं, जिस जिले में सबसे अधिक प्रवासी लौटे हैं, वहां सबसे अधिक ध्यान दिया जायेगा. राज्य सरकार की मंशा के अनुसार प्रवासियों को बिहार सरकार की योजनाओं का लाभ मिले, अधिकारियों को इसे सुनिश्चित करने को कहा गया है.

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इनका भी किया जायेगा निबंधन- राज्य सरकार बिहार भवन संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के तहत कामगारों का निबंधन करती है. इन कामगारों में राजमिस्त्री, प्लबर, कारपेंटर, इलेक्ट्रिशियन, कंक्रीट मिलने वाले मजदूर आदि शामिल हैं. चूंकि 90 दिन काम करने के बाद ही मजदूरों का निबंधन होता है. बिहार लौटे लाखों प्रवासियों को काम करते हुए 90 दिन हो चुके हैं. नियमानुसार प्रवासियों के निबंधन में कोई समस्या भी नही होगी.

यह मिलती है सहायता- निबंधित कामगारों को सरकार कपड़ा और चिकित्सा मद में 5500 रुपये सालाना सहायता देती है. बच्चों को शिक्षा के लिए सहायता, शादी व्याह में भी मदद देती है। विभाग कामगारों को औजार खरीदने के लिए भी पैसे देती है। विभाग के पास श्रम अधिभार यानी लेबर सेस होता है. सरकारी और गैर सरकारी निर्माण पर एक फीसदी का सेस तय है. सरकारी स्तर पर होने वाले निर्माण में ही विभाग को हर साल करोड़ों जमा होते हैं. विभाग के पास अब भी 1500 करोड़ से अधिक जमा है.

कोरोना काल में प्रवासी व स्थानीय मजदूरों का निबंधन प्रखंड स्तर पर ऑफलाइन किया जा रहा है, इसको लेकर अधिकारियों को निर्देश दिया गया है, ताकि श्रमिकों को विभागीय योजनाओं का लाभ मिल सकें. कोरोना काल में बिहार लौटे लाखों प्रवासी मजदूरों को सरकार देगी आर्थिक सहायता तथा Hindi News से अपडेट के लिए बने रहें।

जिवेश कुमार, मंत्री, श्रम विभाग.

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