सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर कोई दस्तावेज नहीं-कांग्रेस
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई हैं। सेंगोल (राजदंड) पर भाजपा के दावों को कांग्रेस ने झूठा करार दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ऐसा कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि सेंगोल (राजदंड) को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर आजादी के समय नेहरू को इसे सौंपा था। इससे जुड़े सभी दावे गलत हैं।
उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेसियों ने सेंगोल को वॉकिंग स्टिक समझा और संग्रहालय में भेज दिया था। PM मोदी नई संसद के इनॉगरेशन के वक्त 75 रुपए का सिक्का भी जारी करेंगे।
जयराम रमेश ने कहा- वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से झूठ फैलाया जा रहा
जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा है- इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि नई संसद को वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से मिले ज्ञान से दूषित किया जा रहा है। बीजेपी-RSS बिना सबूत के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है। उन्होंने कहा, सेंगोल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण बीजेपी का एक बार फिर से पर्दाफाश हो गया है।
- ‘यह सच है कि सेंगोल (राजदंड), जिसको तत्कालीन मद्रास प्रांत में एक सनातन समूह ने बनाया था और मद्रास में ही तैयार करने के बाद अगस्त 1947 में देश के तत्कालीन PM जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया था। लेकिन इस बात का भी कोई भी दस्तावेजी सबूत नहीं है कि माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू ने इस राजदंड को भारत में ब्रिटिश सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बताया हो। इससे पता चलता है कि इनके सभी दावे पूरी तरह से झूठे और बोगस हैं। हो सकता है उनको यह ज्ञान वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से मिला हो।’
- ‘राजदंड को बाद में इलाहाबाद संग्रहालय में रखा गया। 14 दिसंबर, 1947 को नेहरू ने वहां जो कुछ कहा, वह सार्वजनिक रिकॉर्ड में है। भले ही उस पर लगा हुआ लेबल कुछ भी कहे।’
- ‘PM और उनका प्रचार करने वाले राजदंड का इस्तेमाल अब तमिलनाडु में अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं। इन लोगों (बिग्रेड) के पास अपने हितों के लिए तथ्यों को उलझाने की विशेषज्ञता है।’
शाह बोले- कांग्रेस ने सेंगोल को ‘वॉकिंग स्टिक’ समझा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सेंगोल के विरोध को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट किया- कांग्रेस पार्टी भारतीय परम्पराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? पंडित नेहरू को तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ द्वारा भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में पवित्र सेंगोल दिया गया था। कांग्रेस ने इसे ‘वॉकिंग स्टिक’ समझकर एक संग्रहालय में भेज दिया। कांग्रेस इतिहास को गलत बता रही है। कांग्रेस को अपनी सोच पर मंथन करने की जरूरत है।
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28 मई को नई संसद के इनॉग्रेशन पर 75 रुपए का सिक्का जारी किया जाएगा। इसके एक तरफ अशोक स्तंभ, तो दूसरी तरफ संसद की तस्वीर होगी। इसे कोलकाता की टकसाल में ढाला गया है। इस मौके पर एक स्टाम्प भी लॉन्च किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने अब तक सिक्के की फोटो जारी नहीं की है।
75 रुपए के सिक्के का डायमीटर 44 मिमी का होगा
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 75 रुपए का सिक्का गोल होगा। इसका डायमीटर 44 मिमी है। इस सिक्के को 50% सिल्वर, 40% कॉपर, 5% निकल और 5% जिंक के मिक्सर से बनाया गया है। सिक्के के एक तरफ अशोक स्तंभ होगा, जिसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा होगा।
बाईं ओर देवनागरी में भारत और दाईं ओर अंग्रेजी में इंडिया लिखा होगा। नए सिक्के में रुपए का साइन होगा और लायन कैपिटल के नीचे 75 रुपए भी लिखा होगा। सिक्के की दूसरी साइड पर संसद परिसर की तस्वीर होगी। तस्वीर के ऊपर देवनागरी में संसद संकुल और नीचे अंग्रेजी में पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स लिखा होगा।
20 पार्टियां PM मोदी के इनॉग्रेशन करने के विरोध में, 25 शामिल होंगी
विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति से नए संसद भवन के इनॉगरेशन की मांग कर रही हैं। यही वजह है कि 20 विपक्षी दलों ने समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है। इनका आरोप है कि राष्ट्रपति को ना बुलाना, देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।
भाजपा समेत 25 पार्टियां शामिल होंगी: भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), शिरोमणी अकाली दल, जनता दल (सेक्युलर), बसपा, NPP, NPF, NDPP, SKM, JJP, RLJP, RP (अठावले), अपना दल (एस), तमिल मनीला कांग्रेस, AIADMK, BJD, तेलगू देशम पार्टी, YSR कांग्रेस, IMKMK और AJSU, MNF।
20 पार्टियां विरोध कर रहीं: कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, DMK, आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव गुट), समाजवादी पार्टी, राजद, CPI, JMM, केरल कांग्रेस (मणि), VCK, रालोद, राकांपा, JDU, CPI (M), IUML, नेशनल कॉन्फ्रेंस, RSP, AIMIM और MDMK।
862 करोड़ रुपए में बनी है संसद की नई बिल्डिंग
नई संसद 862 करोड़ रुपए में बनी है। PM ने 10 दिसंबर 2020 को इसकी आधारशिला रखी थी। नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इस बिल्डिंग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। इसे रिकॉर्ड 28 महीने में बनाया गया है।