पीएम मोदी का मेरे घर आना कोई गलत नहीं- चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
‘यह मतलब नहीं है कि दोनों मिल नहीं सकते’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि किसी को भी मजबूत अंतर-संस्थागत तंत्र के हिस्से के रूप में हुई बातचीत का सम्मान करना चाहिए और न्यायपालिका व कार्यपालिका के बीच शक्तियों के विभाजन का यह मतलब नहीं है कि दोनों मिल नहीं सकते। उन्होंने कहा, ‘शक्तियों के विभाजन का मतलब यह है कि न्यायपालिका को कार्यपालिका की भूमिका नहीं निभानी चाहिए, जो नीतियां निर्धारित करती है, क्योंकि नीति बनाने की शक्ति सरकार के पास है।’ जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना देश के नए मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। वह 11 नवंबर को शपथ लेंगे।
राम मंदिर फैसले वाले बयान पर दिया जवाब
अयोध्या में राम मंदिर मामले के समाधान के लिए उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी, अपने इस बयान पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह आस्थावान व्यक्ति हैं और सभी धर्मों का समान रूप से आदर करते हैं। 2018 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस करने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि संस्थागत अनुशासन कायम रखा जाना चाहिए। अगले प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के संबंध में उन्होंने कहा कि वह शांत व्यक्ति हैं और गंभीर टकराव की स्थिति में भी मुस्करा सकते हैं। उनकी (जस्टिस चंद्रचूड़) सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत सुरक्षित हाथों में है।एक कार्यक्रम में कहा, “प्रधानमंत्री गणपति पूजा के लिए मेरे घर आए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि सामाजिक स्तर पर न्यायपालिका और कार्यपालिका से जुड़े व्यक्तियों के बीच निरंतर बैठकें होती हैं। हम राष्ट्रपति भवन में, गणतंत्र दिवस आदि पर मिलते हैं।’’
‘हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों से बात करते हैं। बातचीत के दौरान उन मामलों पर बात नहीं होती, जिनपर हमें फैसला लेना होता है बल्कि सामान्य रूप से जीवन और समाज से जुड़े मामलों पर बात होती है।” सीजेआई ने कहा कि इस बात का सम्मान किया जाना चाहिए था कि एक मजबूत अंतर-संस्थागत तंत्र के तहत बातचीत हुई।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका व कार्यपालिका के बीच शक्तियों के वर्गीकरण का मतलब यह नहीं है कि दोनों की मुलाकात नहीं होनी चाहिए। सीजेआई ने कहा था कि उन्होंने अयोध्या राम मंदिर विवाद के समाधान के लिए भगवान से प्रार्थना की थी। इस बयान के बारे में पूछे जाने पर चंद्रचूड़ ने कहा कि वह एक “आस्थावान व्यक्ति” हैं और सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने रिटायरमेंट से पहले ऐसी टिप्पणी की है।