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रूस-यूक्रेन युद्ध का निकले शांतिपूर्ण समाधान- पीएम मोदी - श्रीनारद मीडिया

रूस-यूक्रेन युद्ध का निकले शांतिपूर्ण समाधान- पीएम मोदी

रूस-यूक्रेन युद्ध का निकले शांतिपूर्ण समाधान- पीएम मोदी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर कजान में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का हल शांतिपूर्ण तरीके से निकालना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत शांति और स्थिरता की जल्दी स्थापना के लिए पूरा समर्थन करता है। बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने कहा, “हमारे सभी प्रयास मानवता को प्राथमिकता देते हैं। भारत भविष्य में हर संभव सहयोग के लिए तैयार है।”

यह प्रधानमंत्री मोदी की तीन महीने में रूस की दूसरी यात्रा है। उन्होंने कहा, “पिछले तीन महीनों में मेरी रूस की दो यात्राएं हमारे करीबी समन्वय और गहरी मित्रता को दर्शाती हैं। जुलाई में मॉस्को में हुए हमारे वार्षिक शिखर सम्मेलन ने हर क्षेत्र में हमारे सहयोग को मजबूत किया है।” मोदी ने यह भी कहा कि 15 वर्षों में ब्रिक्स ने अपनी विशेष पहचान बनाई है और अब दुनिया के कई देश इसमें शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैं कल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने की प्रतीक्षा कर रहा हूं।”

द्विपक्षीय वार्ता के दौरान पुतिन ने पीएम मोदी की जुलाई में रूस यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, “मुझे याद है कि हम जुलाई में मिले थे और कई मुद्दों पर बहुत अच्छी चर्चा हुई थी। हमने कई बार टेलीफोन पर भी बातचीत की है। मैं आपका आभारी हूं कि आपने कजान आने के निमंत्रण को स्वीकार किया।”

रूसी राष्ट्रपति ने आगे कहा, “आज हम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे और इसके बाद रात्रिभोज होगा। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हमें अन्य नेताओं के साथ मिलकर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए।” पुतिन ने यह भी कहा, “रूस-भारत संबंध विशेष रूप से रणनीतिक साझेदारी के चरित्र को बनाए रखते हैं और सक्रिय रूप से विकसित हो रहे हैं।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16वें ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस के शहर कजान पहुंच चुके हैं। वह इस सम्मेलन से इतर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर रहे हैं। लेकिन इससे पहले कजान पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। रूसी समुदाय के लोगों ने हिन्दी में कृष्ण भजन गाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। इस दौरान रूसी नागरिक हाथ जोड़े खड़े रहे और इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी भी हाथ जोड़े रहे। कुछ रूसी समुदाय के लोगों ने अपने हाथों में तिरंगा थाम रखा था।

प्रधानमंत्री मोदी के रूसी राष्ट्रपति पुतिन के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात सहित कई द्विपक्षीय बैठकें करने की संभावना है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए यह तीन दिवसीय सम्मेलन यूक्रेन में रूस की कार्रवाई को लेकर उसे अलग-थलग करने के अमेरिकी नेतृत्व वाले प्रयासों की विफलता को दर्शाने का एक शक्तिशाली तरीका है। रूस के राष्ट्रपति कार्यालय ‘क्रेमलिन’ के विदेश मामलों के सलाहकार यूरी उशाकोव ने शिखर सम्मेलन को रूस द्वारा विदेश नीति पर आयोजित ‘‘अब तक का सबसे बड़ा आयोजन’’ बताया, जिसमें 36 देश भाग ले रहे हैं और उनमें से 20 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं।

ब्रिक्स में शुरू में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे, लेकिन अब इसमें ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब भी शामिल हो गए हैं। तुर्किये, अजरबैजान और मलेशिया ने औपचारिक रूप से सदस्य बनने के लिए आवेदन किया है तथा कुछ अन्य देशों ने भी इसमें शामिल होने में रुचि दिखाई है।

विश्लेषक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को रूस के पश्चिमी देशों के साथ बढ़ते तनाव के बीच ‘ग्लोबल साउथ’ से समर्थन प्रदर्शित करने तथा आर्थिक और वित्तीय संबंधों को विस्तार देने के क्रेमलिन के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखते हैं। ‘ग्लोबल साउथ’ का संदर्भ उन देशों के लिए दिया जाता है, जो विकासशील या कम विकसित हैं।

प्रस्तावित परियोजनाओं में एक नयी भुगतान प्रणाली की शुरुआत शामिल है, जो वैश्विक बैंक संदेश नेटवर्क ‘स्विफ्ट’ का विकल्प प्रदान करेगी और रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने तथा साझेदारों के साथ व्यापार करने में सक्षम बनाएगी। शिखर सम्मेलन से इतर पुतिन लगभग 20 द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। इनमें मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ होने वाली बैठकें भी शामिल हैं। पुतिन बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से भी मिलेंगे, जो दो साल से ज़्यादा समय में पहली बार रूस की यात्रा करेंगे। गुतारेस ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाई की बार-बार आलोचना की है।

 

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