राम और कृष्ण की परिस्थितियों में अंतर था –आचार्य रजनीश
श्री मरूतिनन्दन महायज्ञ सम्पन्न ।
श्रीनारद मीडिया‚ जीरादेई‚ सीवान (बिहार)
सीवान जिले के जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के भरौली मठ परिसर में चल रहे श्री मरूतिनन्दन महायज्ञ के नवें दिन रविवार को
सम्पन्न हुआ ।परम गुरु रामनारायण दास जी महाराज ने सभी भक्तों को आशीर्वाद व प्रसाद देकर विदा किया ।कथावाचक आचार्य रजनीश शरण ने कहा कि हम राम के नेतृत्व की तुलना कृष्ण की नेतृत्व से किस प्रकार कर सकते है ?उन्होंने कहा कि दोनों के ही अपने अपने युग में अपनी शैली,कार्यक्रम और संसाधन थे ।राम की शैली
आदर्शात्मक,दृढ़,पारदर्शी तथा उनके संसाधन सीमित थी । आचार्य ने कहा कि श्रीराम ने सुग्रीव की आदिवासी सेना (वानर का अर्थ दक्षिण भारत के आदिवासी से था ) जो शस्त्र चलाने में दक्ष नहीं थी ,मात्र गदा चला सकते थे ।उन्होंने कहा कि राम श्रेष्ठ गुणों का मिसाल प्रस्तुत करना चाहते थे ।उन्होंने सभी अच्छी या बुरी परिस्थितियों में विश्व,समाज व परिवार की सेवा के लिये विचार प्रक्रिया स्थापित की । रजनीश ने कहा कि तुलनात्मक दृष्टि से राम का काम कृष्ण के काम की अपेक्षा सरल था ।राम को केवल रावण,उसके बंधुओं और पुत्रों को मारना था,जबकि कृष्ण को समाज में व्याप्त असंख्य दुष्टात्माओं को समाप्त करना था ।उन्होंने कहा कि कृष्ण यदि राम के सीधे व पारदर्शी
अभिगम के अनुसार चलते तो अपने उद्देश्य में कदाचित सफल न हो पाते ।इसलिये कृष्ण का नेतृत्व अधिक सामूहिक,सबको अपने में समाहित करने वाला और आक्रामक था ।आचार्य अरविंद मिश्र ने कहा कि मानवीय धरातल पर श्रीकृष्ण ने सिद्ध किया कि सत्य की स्थापना हमेशा सत्य के मार्ग पर चलकर नहीं हो सकती ।उन्होंने कहा कि कृष्ण का संदेश साफ था कि आपको अपने अभिगम के प्रबंधन को मजबूती से जमे हुए दुष्टों से निपटने हेतु बदलना ही होगा । इस मौके पर गोपालगंज का लोकपाल प्रशांत कुमार ,प्रधानाध्यापक कृष्ण कुमार सिंह , स्थानीय मुखिया नागेंद्र सिंह, उपेंद्र कुमार , विकास कुमार सिंह आदि उपस्थित थे ।
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