पत्रकार कुणाल कुमार की हत्या कराने का आरोप भी लगा था!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार के पटना में एक पत्रकार कुणाल कुमार की हत्या कराने का आरोप सांसद पर लगा था। कथित तौर पर उनके हिट लिस्ट में पटना के वरीय पत्रकार सुरेन्द्र किशोर का भी नाम था। बिहार सरकार ने इंटेलीजेंस एजेंसी की गोपनीय सूचना के आधार पर उन्हें दो सरकारी सुरक्षा गार्ड भी मुहैया कराया था।
दरअसल, केन्द्र की शीर्षस्थ खुफिया एजेंसी ‘आईबी’ द्वारा मिले एक गोपनीय सूचना के बाद 6 अक्टूबर 2003 को तत्कालीन आईजी, मुख्यालय ने पटना के तत्कालीन डीआईजी आर कुमार और तत्कालीन एसएसपी सुनील कुमार को फैक्स के माध्यम से एक संदेश भेजा था। इस संदेश की कॉपी बिहार के तत्कालीन गृह सचिव वी के हलधर और स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन आइजी ए के गुप्ता को भी भेजी गई थी।
सूत्रों के अनुसार भेजे गए संदेश के अनुसार ‘सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी से मिले इनपुट के अनुसार दिनांक 29 नवम्बर 2003 को नेहरु नगर में पटना के पत्रकार कुणाल कुमार की हत्या कर दी गई। इस हत्या को कथित तौर पर तत्कालीन सांसद के इशारे पर उसके शार्प शूटर और उसके गुर्गो ने अंजाम दिया था। कुनाल द्वारा अपनी पत्रिका में अपने खिलाफ छापी गई खबर से सांसद काफी नाराज और गुस्से में थे।’
सूत्र बताते हैं कि इस पत्र में आगे कहा गया था कि अपने शूटर और उसके सहयोगियों को पटना ‘हिन्दुस्तान’ में कार्यरत सुरेन्द्र किशोर को भी निशाने पर लेने का आदेश दिया है, जिन्होंने हिन्दुस्तान में सांसद के खिलाफ खबर छापी है। खुफिया रिपोर्ट की सत्यता के आलोक में पत्रकार सुरेन्द्र किशोर (हालांकि पत्र में गलती से सुरेन्द्र किशोर की जगह सुरेन्द्र सिंह लिखा गया है) की सुरक्षा के लिए तत्काल दो कार्बाइनधारी अंगरक्षक की नियुक्ति की जाए और जरुरत पड़े तो सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी जाए।’
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2003 में ही बिहार सरकार के गृह विभाग को आईबी ने सांसद के कार्यकलापों से संबंधित 265 पन्नों की एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी थी। इस रिपोर्ट में आईबी ने सांसद के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ व कश्मीरी पाकिस्तानी आतंकियों के साथ संबंध का प्रमाणित खुलासा किया था। इस गोपनीय दस्तावेज में शहाबुद्दीन के शार्प शूटर यूपी का कुख्यात भूपेन्द्र त्यागी उर्फ अवधेश त्यागी का दिल्ली के लोधी कॉलोनी पुलिस स्टेशन में चार पन्नों में दिया गया गया इकबालिया बयान भी था।
भूपेन्द्र त्यागी और उसके कुछ साथियों को दो एके-47, 120 कारतूस, पिस्टल, बुलेट प्रुफ जैकेट और टाटा सफारी गाड़ी के साथ दिल्ली पुलिस ने 2003 में तब गिरफ्तार किया था जब वह तहलका के संपादक तरुण तेजपाल और उनके सहयोगी बहल की हत्या करने पहुंचा था।
सूत्रों के अनुसार तब भूपेन्द्र त्यागी ने यह स्वीकार किया था ‘केन्द्र की भाजपा सरकार और उनके मंत्रियों के खिलाफ लगातार आग उगलने वाले तहलका के संपादक तरुण तेजपाल की हत्या की यह साजिश यह सोचकर रची गई थी कि उनकी हत्या का ठीकरा भाजपा सकार के सिर फुटेगा और केन्द्र की सरकार गिर जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार सरकार को गिराने और बदनाम करने के उद्देश्य से उनकी हत्या की योजना शहाबुद्दीन के बहनोई एजाजुल हक (तत्कालीन मंत्री) के पटना स्थित सरकारी आवास पर बनी थी और वहीं इसको अंतिम अंजाम दिया गया था। इस बैठक में आईएसआई के एक कथित प्रमुख एजेंट ‘जैन’, सांसद और भी शामिल थे।
मंत्री के आवास पर ही उसे तेजपाल की हत्या के लिए कई एके-47 और काफी मात्रा में कारतूस व अन्य हथियार दिए गए थे। जिसमें से कई हथियारों का उसने मंत्री के पास ही सुरक्षित रखने के लिये छोड़ दिया था।’ आईबी की रिपोर्ट में सांसद के लिए काम करने वाले बिहार और यूपी के लगभग 60 शूटरों, उनके नाम, पते और आपराधिक विवरणी भी दर्ज है।
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