दिल्ली पुलिस के नए आयुक्त संजय अरोड़ा के सामने होगी कई चुनौतियां.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दिल्ली पुलिस में नए आयुक्त (New Commissioner)की तैनाती को हरी झंडी मिल गई है। नए आयुक्त के तौर पर एक अगस्त से आइपीएस संजय अरोड़ा(IPS Sanjay Arora) कार्यभार संभाल लेंगे। कार्यभार संभालते ही कानून-व्यवस्था के साथ-साथ उनके सामने एक बड़ी चुनौती दिल्ली पुलिस में स्टाफ की कमी का भी झेलना पड़ेगा।

अब वो दो साल तक यानि साल 2025 तक दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर रहेंगे। देखना होगा कि इन दो सालों के दौरान वो पुलिस में खाली पड़े कितने पदों को भरने की दिशा में काम कर पाते हैं। दिल्ली पुलिस के ये खाली पड़े पद कानून व्यवस्था को और चुस्त-दुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

दिल्ली पुलिस इन दिनों आइपीएस, दानिप्स व दिल्ली पुलिसकर्मियों की कमी से जूझ रही है। केंद्र सरकार (Central Government)द्वारा स्वीकृत पदों में भी सभी रैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों के पद काफी समय से रिक्त पड़े थे। कोरोना के कारण दो साल कोई भी भर्ती न होने से हालात और भी बिगड़ गए।

करीब ढाई करोड़ से अधिक जनसंख्या वाली दिल्ली में बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग में आइपीएस, दानिप्स व पुलिसकर्मियों की संख्या जितनी होनी चाहिए उतनी नहीं है। जिसका दुष्प्रभाव यह सामने आ रहा है कि साल दर साल अपराध बढ़ रहे हैं। अधिकारियों व पुलिसकर्मियों पर डयूटी का दबाव बढ़ रहा है। उन्हें छुट्टियां नहीं मिल रही है जिससे उनकी जीवन शैली पर बुरा असर पड़ रहा है।

विगत 27 जुलाई के दिल्ली पुलिस(Delhi Police) के ताजा आंकड़ों को देखें तो स्वीकृत पदों के हिसाब से दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त से लेकर सिपाही तक सभी रैंक के कर्मचारियों की कमी है। दिल्ली पुलिस में कुल 94,255 पद स्वीकृत है। लेकिन वर्तमान में 82262 अधिकारियों व कर्मियों की ही तैनाती है। यानी 11,993 अधिकारियों व कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं। जनसंख्या बढने के साथ ही दिल्ली में अपराध में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में दिल्ली पुलिस में संख्या बल की बढोतरी के बजाय घटती ही जा रही है।

मुख्यालय के अधिकारियों की मानें तो दिल्ली पुलिस में हर साल सभी रैंक के करीब तीन हजार अधिकारी व पुलिसकर्मी सेवानिवृत्त हो जाते हैं। इनकी जगह हर साल इतने आइपीएस, दानिप्स व पुलिसकर्मियों की भर्ती नहीं हो पाती है। भर्ती प्रक्रिया भी कठिन है। कुछ कर्मियों की एक वैकेंसी निकालने पर उसकी प्रक्रिया पूरी होने में करीब तीन साल लग जाता है। एक से डेढ़ साल सलेक्शन करने में निकल जाता है। उसके बाद कई बार ट्रेनिंग सेंटर खाली न होने पर कई बाद ट्रेनिंग लेने में विलंब हो जाता है।

पूरे एक साल ट्रेनिंग(One Year Trainning) करने के बाद दिल्ली पुलिस में उनकी तैनाती होती है। वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो अमूमन सभी थानों व यूनिटां जैसे स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, स्पेशल ब्रांच, विजिलेंस, ट्रैफिक, सिक्योरिटी, बटालियन, साइबर सेल आदि में कर्मचारियों की कमी है। गत वर्ष सभी जिले में एक-एक साइबर सेल थाने खोल दिया गया। स्पेशल सेल, ट्रैफिक, साइबर सेल, क्राइम ब्रांच आदि यूनिटों को भी विस्तार रूप दे दिया गया जिससे थानों में तैनात पुलिसकर्मियों को वहां से हटाकर उक्त यूनिटों में भेज दिए गए। इससे थानों में पुलिसकर्मियों की संख्या कम हो गई।

2012 वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना में पीसीआर पीड़िता के पास देरी से पहुंची थी। दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) ने मामले को स्वत: संज्ञान लेकर जब पुलिस से जवाब मांगा था तब पुलिस ने कहा था कि उनके पास कर्मचारियों की कमी है। इस पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया था।

दिल्ली पुलिस ने उस समय गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजकर 52 हजार अतिरिक्त बल मुहैया कराने की मांग की थी। जिसपर 2016 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लगातार तीन साल तक तीन फेस में 15-15 हजार कर्मियों की भर्ती करने का दावा किया था। पहले फेस में 15 हजार कर्मियों की भर्ती हो गई थी। उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया।

दिल्ली पुलिस में रैंक———स्वीकृत पद–वर्तमान तैनाती—-खाली पड़े पद

आयुक्त—-एक–एक—शून्य

विशेष आयुक्त —18—17–

एकसंयुक्त आयुक्त—20—19–

एकएडिशनल पुलिस कमिश्नर–20—13–सातडीसीपी,

एडिशनल डीसीपी–53—-59–

छह अतिरिक्तदानिप्स—54—16–38

एसीपी—346—-222—124

इंस्पेक्टर—-1452—1434—18

सब इंस्पेक्टर–8086—6273—-1813

एएसआइ—7312—-7304—8

हवलदार—-23708—–21450—-2258

सिपाही—-50890—44043—-6847

 

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