खरमास  में इन कामों की है सख्त मनाही

 खरमास  में इन कामों की है सख्त मनाही

सूर्य देव की कृपा पाने के लिए एक महीने करें ये काम

श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

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हिंदू पंचांग के अनुसार खरमास वह समय है जब सूर्य देव बृहस्पति की राशियों (धनु और मीन) में प्रवेश करते हैं। यह अवधि लगभग 30 दिनों तक रहती है और इस दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक लगाई जाती है।

 

खरमास में क्या करें

1. सूर्य देव की पूजा करें

खरमास के दौरान रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

2. दान-पुण्य करें

इस समय में जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है। आप अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, और गर्म कपड़ों का दान कर सकते हैं। इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

3. गायत्री मंत्र और सूर्य स्तुति का जाप करें

इस अवधि में गायत्री मंत्र, सूर्य स्तुति, और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इससे मानसिक शांति और आत्मिक विकास होता है।

4. सात्विक आहार का पालन करें

खरमास के दौरान सात्विक भोजन करें और मांसाहार, नशा और तामसिक भोजन से बचें। यह समय शरीर और मन को शुद्ध रखने का होता है।

5. आध्यात्मिक क्रियाओं में समय बिताएं

ध्यान, योग, और सत्संग में भाग लें। यह समय आत्म-विश्लेषण और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए उत्तम है।

खरमास में क्या ना करें

1. शुभ कार्यों से बचें

इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन, और अन्य शुभ कार्यों को नहीं करना चाहिए। इन कार्यों को खरमास समाप्त होने के बाद किया जाना चाहिए।

2. नए कार्यों की शुरुआत ना करें

नया व्यवसाय, घर खरीदने या निर्माण शुरू करने जैसे कार्यों को इस समय टालना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है।

3. क्रोध और झगड़ों से बचें

खरमास में क्रोध, ईर्ष्या और अनैतिक गतिविधियों से बचना चाहिए। यह समय मन और आत्मा को शुद्ध करने का होता है।

4. धन का अपव्यय ना करें

इस समय फिजूलखर्ची से बचें और अपनी आर्थिक स्थिति को नियंत्रित रखें। अनावश्यक खर्च जीवन में परेशानी ला सकता है।

5. मांगलिक यात्राओं से बचें

अगर संभव हो, तो इस अवधि में लंबी या मांगलिक यात्राएं न करें। यह समय अधिकतर घरेलू और धार्मिक कार्यों के लिए उपयुक्त है।

खरमास आत्ममंथन और धार्मिक क्रियाओं के लिए समर्पित समय है। सूर्य देव की पूजा, दान, और ध्यान जैसे सकारात्मक कार्यों को अपनाकर इस अवधि का अधिकतम लाभ उठाएं। साथ ही, शुभ कार्यों और नए प्रयासों से बचें, ताकि जीवन में शांति और संतुलन बना रहे।

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