हाईकोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार और भाजपा की गहरी साजिश का परिणाम है-उपेन्द्र कुशवाहा
VIP ने हाईकोर्ट के फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
चुनाव की तैयारी में अपना सब कुछ झोंक चुके नेताओं की मुसीबत बढ़ गयी है.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में होने वाले नगर निकाय चुनाव पर पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए रोक लगा दी है. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि नियमों के मुताबिक स्थानीय निकायों में ओबीसी को तब तक आरक्षण नहीं दिया जा सकता जब तक कि सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2010 में रखी गई तीन शर्तों को पूरा नहीं करती. हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद से बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है. कोर्ट का फैसला आने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया. इस वीडियो में उन्होंने कोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने इस वीडियो के जरीय भाजपा पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार और भाजपा की गहरी साजिश का परिणाम है. उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने सही वक्त पर जातीय जनगणना करवा ली होती तो आज ऐसी नौबत नहीं आती. उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि बीजेपी ने जानबूझकर प्रक्रिया को फाइनल नहीं किया.
उपेन्द्र कुशवाहा ने केंद्र सरकार और भाजपा पर पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस फैसले के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पार्टी शीघ्र ही आंदोलन के कार्यक्रम की घोषणा करेगी. उन्होंने कोर्ट के इस फैसले को दुर्भाग्य पूर्ण बताते हुए इसे केंद्र और बीजेपी की गहरी साजिश भी बताया है.
पेंद्र कुशवाहा की इस बात का पलटवार करते हुए भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा है कि जातिगत जनगणना का नगर निकाय चुनाव से कोई सम्बन्ध नहीं है. कोर्ट का कहना था की इसके लिए एक समर्पित आयोग बना कर उसकी अनुशंसा पर आरक्षण दिया जाये. परंतु यह ऐसा नहीं किया गया और न ही AG और SEC की राय मानी गई.
बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण के खिलाफ याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सामान्य रूप से ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को अधिसूचित करने के बाद चुनाव होंगे. कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर आप वोटिंग की तारीख बढ़ाना चाहते हैं तो इसे बढ़ा सकते हैं.
VIP ने हाईकोर्ट के फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
VIP के द्वारा पटना हाईकोर्ट के बिहार नगर निगम चुनाव को रद्द करने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. पार्टी के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा सुनाया गया फैसला अतिपिछड़ा वर्ग और पिछड़ा को दी जा रही संपूर्ण आरक्षण पूर्व, वर्तमान, भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगता है. देश के अति पिछड़ा एवं पिछड़ा समाज को भाजपा सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन करना होगा, क्योंकि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है तब से आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे है?
वर्तमान ने कहा तीन टेस्ट के बाद करा सकते हैं चुनाव
पार्टी के द्वारा बताया गया कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट से कहा गया है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव वर्तमान पैटर्न पर करने के लिए ‘तीन टेस्ट’ से गुजरना होगा. इसमें सबसे पहले स्थानीय स्तर पर पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की समसामयिक जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना करना. फिर आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय-वार चुनाव किये जाने के लिए आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि नीचे न गिरे. साथ ही, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिए.
इस चुनाव के होंगे दुर्गामी परिणाम
VIP के द्वारा कहा गया है कि आरक्षण के साथ चुनाव के दुर्गामी परिणाम होंगे. इस निर्णय के कारण बिहार सरकार अब कई मामलों में अतिपिछड़ों एवं पिछड़ों को आरक्षण नहीं दे पाएगी. इसके पहले भी वर्तमान पैटर्न पर चुनाव हुआ तब कोर्ट ने रोक नहीं लगाया या रोक लगाने की कोशिश नहीं हुई.
आखिर जब भाजपा, बिहार सरकार से अलग हुई तो ऐसा क्यों हुआ? 50% आरक्षण की उच्च सीमा और तीन टेस्ट का सवाल कभी 10% EWS आरक्षण पर कभी नही आया लेकिन OBC/EBC/SC के केस में आता है, क्यों? देश में इंडियन जुडिसियरी सर्विस की शुरुआत होनी चाहिए. अधिवक्ता जनरल, बिहार एवं अन्य विधिय सलाहकार के सलाह पर भी पुनर्विचार करना होगा कि ऐसी नौबत ही क्यों आई? साजिश की बू आ रही है.
आपसी मदभेद भुलाकर एक हो दलित
पार्टी के द्वारा बताया गया है कि इस निर्णय में सभी पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग के सीटों का OPEN करने की बात कही गई है जब तक कि तीनों टेस्ट के आधार पर आरक्षण की संख्या नियत नहीं हो जाती है. मगर इसमें वर्षों लगेंगे. लेकिन नगर निकाय चुनाव भी तुरंत कराने की भी बात की गई है. ऐसे में साफ है कि इस बार बिहार में नगर-निकाय चुनाव बिना आरक्षण का ही होगा. मंडल की राजनीति के खिलाफ आपसी सभी मतभेद भुलाकर 2024 के पहले सभी अतिपिछड़ों, पिछड़ों, दलितों एवं आदिवासियों को एक होना होगा. बिहार में नगर निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण पर रोक को लेकर शीघ्र ही निर्णायक आंदोलन होगा.
एप से लेकर सोशल मीडिया तक मैनेज कर रहा था परिवार
बिहार के 224 नगर निकाय में 4875 वार्ड के लिए चुनावी कार्यक्रम होना था. चुनाव दो फेज में होने था. इसकी तैयारी में अकेले नेताजी नहीं लगे थे. बल्कि उनका परिवार भी लगा था. कोई एप बनाकर युवाओं को टार्गेट कर रहा था. जबकि परिवार के अन्य लोग सोशल मीडिया मैनेज करने में जुटे थे. फैसले से घरवालों का उत्साह भी ठंडा पर गया है. कई नेताओं ने नवरात्र में जीत की अभिलाषा से माता की भव्य पूजा का आयोजन किया था. इसमें माता के प्रसाद के नाम पर पिछले 9 दिनों से भंडारा चल रहा था. नेताजी , प्रसार में शामिल होने के लिए युवाओं को भरपेट हांडी मीट के साथ पेट्रोल का कांबो ऑफर दे रहे थे. ऐसे में उनके चेहरे पर भी निराशा दिख रही है.
ट्रैवल एजेंसी और प्रचार सामग्री बनाने वाले परेशान
नगर निगम चुनाव में मैदान में उतरे उम्मीदवारों ने जनता में अपना भौकाल बनाने के लिए थार और एसयूवी जैसी गाड़ियां ली थी. ट्रैवल एजेंसी से चुनाव तक भारी-भरकम चार पहिया को बुक कराया था. अब सारी गाड़ियों की बुकिंग एक साथ कैंसिल हो गयी है. इसके साथ ही, चुनाव प्रचार की सामग्री छापने वाली एजेंसियों की भी परेशानी बढ़ गयी है. चुनाव रद्द होने की सूचना के बाद एजेंसियां नेताओं से बकाया मांग रही हैं. वहीं नेता जी अभी कन्नी काट रहे हैं.