ये हिट एंड रन का केस नहीं, बल्कि ब्रूटल मर्डर है-हाइकोर्ट.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हाईकोर्ट ने धनबाद के एडीजे उत्तम आनन्द की संदिग्ध मौत को गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि ये हिट एंड रन का केस नहीं है, बल्कि ब्रूटल मर्डर है.
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि घटना की सीसीटीवी फुटेज देखने से स्पष्ट होता है कि यह हिट एंड रन का केस नहीं है, बल्कि ब्रूटल मर्डर है. एक उच्च स्तरीय जुडिशियल ऑफिसर पर अटैक हुआ है. यह न्यायपालिका पर प्रहार जैसा है. इससे अधिक संवेदनशील घटना क्या हो सकती है. कोर्ट को नहीं लगता है कि राज्य की पुलिस मामले की निष्पक्ष जांच कर पाएगी. कोर्ट गंभीरता से मामले को सीबीआई को सौंपना चाहता है. हम चाहते हैं कि असली साजिशकर्ता पकड़ा जाए. जांच करते हुए साजिशकर्ता के चेहरे से मुखौटा उतारा जाए.
खंडपीठ ने एफआईआर दर्ज करने के समय के बारे में एसएसपी धनबाद से जानकारी मांगी. पहले तो बताया गया कि एफ आई आर 6:45 बजे दर्ज की गई है, बाद में एसएसपी ने कहा कि 12:45 बजे एफआईआर दर्ज की गई. खंडपीठ ने एसएसपी के जवाब को खारिज करते हुए पूछा कि मैनिपुलेट क्यों किया जा रहा है. आखिर कौन सा पहाड़ टूट पड़ा है. खंडपीठ ने एसएसपी से यह भी पूछा कि जब सीसीटीवी कैमरे का कंट्रोल आपके पास है तो वह वायरल कैसे हुआ. इसका एसएसपी जवाब नहीं दे पाए.
खंडपीठ ने कहा कि मामले की मॉनिटरिंग की जायेगी और प्रोफेशनल तरीके से निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कराया जाएगा. डीजीपी के आश्वासन को देखते हुए कोर्ट एसआईटी को जांच की जिम्मेवारी देता है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे संजय लाटकर को एसआईटी का हेड बनाया जाए. खंडपीठ को कभी भी महसूस हुआ कि जांच में कोताही या लापरवाही बरती जा रही है, तो मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाएगा. खंडपीठ ने पुलिस द्वारा अब तक की गई जांच पर असंतोष प्रकट किया.
खंडपीठ ने कहा कि राज्य में पिछले दिनों एक पुलिस पदाधिकारी की मौत हुई थी. उसके बाद एक वकील मनोज झा की हत्या हुई और अब एक जज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई है. इसका यह अर्थ क्यों नहीं निकाला जाए कि झारखंड में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है. खंडपीठ ने कहा कि जज की मौत मामले के सभी बिंदुओं पर जांच की जानी चाहिए. ज्यूडिशियल ऑफिसर से कुछ लोग नाराज हैं. इस बिंदु पर भी जांच की जानी चाहिए. जांच प्रोफेशनल व निष्पक्ष होना चाहिए.
अनुसंधान के क्रम में किसी भी बिंदु पर गड़बड़ी नहीं हो, इसका विशेष ख्याल रखा जाए. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ को बताया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और एसआईटी मामले की जांच कर रही है. टेंपो भी जब्त कर लिया गया है. ड्राइवर सहित दो लोग गिरफ्तार किए गए हैं. मामले की जांच जारी है. मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
वहीं एएसजीआई राजीव सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि मामले की जांच के लिए सीबीआई तैयार है. यदि कोर्ट आदेश देता है तो सीबीआई मामले को हैंड ओवर लेकर जांच शुरू कर देगी. बिहार के पूर्व महाधिवक्ता पीके शाही, झारखंड के पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सदस्य व हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार, अधिवक्ता एके दास ने भी एडीजे उत्तम आनंद की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को नृशंस हत्या बताया. उन्होंने मामले को सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया.
इससे पूर्व हाईकोर्ट ने धनबाद के प्रधान जिला जज की रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. सुनवाई के दौरान धनबाद के एसएसपी वर्चुअल तरीके से उपस्थित थे. कोर्ट ने उनसे कई सवाल पूछे. पूरी घटना की जानकारी ली. सुनवाई के दौरान डीजीपी भी वर्चुअल तरीके से उपस्थित हुए.
आपको बता दें कि धनबाद के एडीजे उत्तम आनंद हर दिन की तरह बुधवार को भी मॉर्निंग वॉक पर निकले थे. रणधीर वर्मा चौक के पास पीछे से जा रहे ऑटो ने उन्हें टक्कर मार दी. इससे वह सड़क पर गिर पड़े. वहां से गुजर रहे लोगों ने आनन-फानन में उन्हें शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SNMMCH) पहुंचाया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इसके बाद इस मामले में एसआईटी गठित की गयी.
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