यह पहला मौका है जब देश को आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने जा रही हैं।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा की संसदीय दल की बैठक में द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी गई। इस घोषणा के बाद इन कयासों को विराम लग गया कि देश के मुस्लिमों और मुस्लिम देशों को प्रसन्न करने के लिए भाजपा राष्ट्रीय विचारधारा वाले किसी मुस्लिम को राष्ट्रपति बना सकती है।
अब झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा होने से इन कयासों को विराम लग गया। स्पष्ट हो गया कि भाजपा को इस विरोध की ज्यादा चिंता नहीं है। उसका लक्ष्य आगामी तीन राज्यों के विधानसभा और 2024 का लोकसभा चुनाव है।
ओडिशा की रहने वालीं द्रौपदी मुर्मू इससे पहले झारखंड की पहली महिला आदिवासी राज्यपाल भी रह चुकी हैं। उनकी उम्र 64 साल है। यह पहला मौका है जब देश को आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने जा रही हैं। इससे पहले अब तक देश में कोई आदिवासी राष्ट्रपति नहीं रहा। इस लिहाज से मुर्मू आदिवासी और महिला, दोनों वर्ग में फिट बैठती हैं।
उनके नाम के ऐलान के साथ ही राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा का यह निर्णय यह बताता है कि गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा का फोकस इन प्रदेशों के आदिवासी समुदाय पर है। माना जा रहा है कि पार्टी ने द्रोपदी मुर्मू को टिकट देकर आदिवासी वोटों को साधने का प्रयास किया है। वे महिला हैं। भाजपा पहले ही महिला वोट पर फोकस किए हुए है। महिला मतदाता भाजपा की बड़ी ताकत हैं। इन महिला वोटर को अपने से जोड़े रखने के लिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का भले ही यह कहना है कि भाजपा गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के वोटरों को रिझाने के लिए ऐसा कर रही है किंतु यह भी सच है कि उसका यह निर्णय 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी उसे लाभ पंहुचा सकता है। जहां तक मुख्तार अब्बास नकवी की बात है तो उनको हाल में ना राज्यसभा का टिकट मिला, ना ही रामपुर लोकसभा उपचुनाव लड़ाने के लिए भाजपा ने उन्हें टिकट दिया।
इससे इन बातों को बल मिलता है कि भाजपा आगे चलकर उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने का इरादा रखती है। हालाकि ये राजनीति है। यह पल–पल बदलती रहती है। उपराष्ट्रपति चुनाव के समय क्या हालात होंगे? यह अभी नहीं कहा जा सकता।
आपको बता दें कि द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के अन्तर्गत रायरंगपुर के बैदापोसी गांव के एक गरीब आदिवासी परिवार हुआ था। द्रौपदी मुर्मू के पिता का नाम विरंची नारायण टुडू और माता का नाम किनगो टुडू है। वह अनुसूचित जनजाति समुदाय से आती हैं, उनका परिवार ओडिशा के एक आदिवासी जातीय समूह संथाल से ताल्लुक रखता हैं। बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वालीं मुर्मू ने गरीबी और अन्य समस्याओं से जुझते हुए वर्ष 1979 में आरबी वूमेंस कॉलेज, भुवनेश्वर से बीए में स्नातक किया था।
हालांकि उनका व्यक्तिगत जीवन बेहद कष्टकारी व त्रासदियों से भरा रहा है, क्योंकि उन्होंने अपने पति और दोनों बेटों को असमय ही खो दिया था, अब उनकी सिर्फ एक बेटी इतिश्री है जिसकी शादी गणेश हेम्ब्रम से हो चुकी है, वैसे उनके पति स्वर्गीय श्यामचरण मुर्मू धालभूम स्थित यूको बैंक के प्रबंधक रह चुके हैं। लेकिन द्रौपदी मुर्मू के जीवन की सबसे बड़ी अहम बात यह है कि उन्होंने जीवन पथ की इन बेहद कष्टकारी दुश्वारियों से कभी भी हार नहीं मानी, वह विपरीत परिस्थितियों से लड़कर हमेशा बुलंद हौसलों के साथ जीवन पथ पर बेखौफ होकर चलती रही और आज उनकी इस मेहनत व हिम्मत का सकारात्मक परिणाम सम्पूर्ण विश्व देख रहा है, उनकी आगामी सफलता के जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है।
द्रौपदी मुर्मू ने राजनीति में आने से पहले वर्ष 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग, ओडिशा सरकार में जूनियर असिस्टेंट के रूप में कार्य किया था। उन्होंने वर्ष 1994 से 1997 तक श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में एक मानद सहायक शिक्षक के रूप में कार्य किया था। द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक सफर की बात करें तो वह वर्ष 1996-1998 में रायरंगपुर नोटिफाईड एरिया काउंसिल से पार्षद बनकर काउंसिल की उपाध्यक्ष चुनी गयी थी।
उन्होंने ओडिशा में दो बार भाजपा से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा गठबंधन वाली नवीन पटनायक सरकार में 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के स्वतंत्र प्रभार मंत्री के रूप में और 6 अगस्त, 2002 से 16 मई , 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्यमंत्री के रूप में दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन किया था।
संगठनात्मक स्तर की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू को पार्टी ने जब भी कोई छोटी या बड़ी जिम्मेदारी दी उन्होंने उसका पूरी ईमानदारी व मेहनत से निर्वहन किया था, वह भाजपा में जिला स्तर से लेकर के पार्टी के एसटी मोर्चा में प्रदेश स्तर से लेकर के राष्ट्रीय स्तर तक की पदाधिकारी रहीं थीं। उनको वर्ष 2007 में ओडिशा विधानसभा के द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
द्रौपदी मुर्मू ने झारखण्ड के नौवें एवं प्रथम महिला राज्यपाल के रूप में दिनांक 18 मई 2015 को शपथ ग्रहण की थी, इस पद पर ही वह फिलहाल तैनात थी। द्रौपदी मुर्मू के नाम राजनीति से जुड़ी हुई विभिन्न राजनीतिक उपलब्धियां अब दर्ज हो गयी है, उनके नाम देश के आदिवासी समुदाय से आने वाली पहली राज्यपाल का रिकॉर्ड दर्ज हैं, वहीं वर्ष 2000 में झारखंड राज्य के जन्म के बाद से उनको झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के साथ-साथ अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले राज्यपाल होने का गौरव प्राप्त है। अब उनके नाम पर देश के आदिवासी समुदाय से आने वाली राष्ट्रपति पद की पहली उम्मीदवार होने का रिकॉर्ड भी दर्ज हो गया है।
वैसे देश में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसकी गुणा भाग के आधार पर देखें तो जल्द ही द्रौपदी मुर्मू के नाम पर देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड भी दर्ज होने की पूर्ण संभावना है। अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति का चुनाव जीत जाती हैं तो उनके नाम पर देश के सबसे युवा राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड भी दर्ज हो सकता है, क्योंकि जब वह 25 जुलाई 2022 को शपथ ग्रहण करेंगी, उस दिन उनकी उम्र 64 साल 35 दिन होगी। फिलहाल देश के सबसे युवा राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के नाम पर दर्ज है।
रेड्डी जब राष्ट्रपति बने थे उस वक्त उनकी उम्र 64 साल दो महीने 6 दिन थी। अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीत जाती हैं तो उनके नाम पर देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड भी दर्ज हो जायेगा और वह ऐसी दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी जो पहले राज्यपाल भी रह चुकीं हैं। खैर जो भी हो वह तो आने वाला समय ही तय करेगा, लेकिन आज द्रौपदी मुर्मू देश की एक ऐसी शख्सियत बन गयी हैं जिन्होंने पार्षद से लेकर के देश के राष्ट्रपति पद तक के उम्मीदवार बनने का सफर बेहद सफलतापूर्वक ढंग से तय कर लिया है।
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