यह टीम इंडिया का सबसे खराब दौर है, कैसे ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
एक क्रिकेट टीम को पूरी दुनिया में नंबर वन बनने के लिए क्या चाहिए- अच्छे चयनकर्ता, उम्दा प्लेयर्स, शानदार सपोर्टिंग स्टाफ और एक ऐसा कप्तान जो सबको साथ लेकर चले। टीम इंडिया के पास ये सब है, लेकिन भारतीय टीम पिछले 11 साल के सबसे खराब दौर में नजर आ रही है।
साल 2011 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि हम किसी भी बडे़ टूर्नामेंट के चैंपियन नहीं रह गए हैं। चाहे ICC ट्रॉफी हो या फिर एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) का एशिया कप, कोई खिताब हमारे पास नहीं है। पहले आप उसे नीचे दिए गए ग्राफ से समझिए कि कैसे पिछले 11 सालों में हम कम से कम एक बड़े टूर्नामेंट के डिफेंडिंग चैंपियन रहे और इस बार UAE में हुए एशिया कप में हार से हमने यह उपलब्धि गंवा दी
- टीम इंडिया 28 साल बाद 2011 में वनडे वर्ल्ड कप में चैंपियन बनी थी। 2015 तक ये ट्रॉफी हमारे पास थी, लेकिन फिर 2015 में हम इसे डिफेंड नहीं कर पाए और ऑस्ट्रेलिया की टीम चैंपियन बन गई।
- 2015 में वर्ल्ड टाइटल गंवाने से पहले 2013 में धोनी की कप्तानी में ही भारतीय टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी जीत लिया था। 2017 में हम फाइनल तक पहुंचे और फाइनल मुकाबला पाकिस्तान से हार गए।
- 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी का ताज गंवाने से पहले 2016 के एशिया कप में माही की कप्तानी में हम चैंपियन बने थे। फिर 2018 का एशिया कप हमें रोहित शर्मा ने अपनी कप्तानी में दिलाया। यानी 2011 से 2022 तक हम किसी न किसी मेगा टूर्नामेंट के चैंपियन रहे।
- पर 2022 में हम एशिया कप के फाइनल में नहीं पहुंच पाए और सुपर-4 राउंड से ही बाहर हो गए।
- इससे पहले हमारे पास 2021 में ICC टेस्ट चैंपियनशिप जीतने का मौका था, लेकिन फाइनल में टीम को न्यूजीलैंड से हार का सामना करना पड़ा था।
अब जान लेते हैं कि पिछले 11 साल तक हम चैंपियन कैसे रहे
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी रही। 2016 तक उन्होंने हमें किसी न किसी एक ग्लोबल टूर्नामेंट का चैंपियन बनाए रखा। धोनी ने 2016 के बाद कप्तानी छोड़ दी लेकिन उनकी बनाई टीम अगले कुछ साल खेलती रही। इसका नतीजा रहा कि हम 2018 में रोहित शर्मा की कप्तानी में भी एशियन चैंपियन बनने में कामयाब हो गए। लेकिन, 2019 से भारत की गाड़ी पटरी से उतरने लगी।
उस साल विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम इंग्लैंड में हुए वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में हार गई। इसके बाद 2021 टी-20 वर्ल्ड कप में फिर विराट की कप्तानी में टीम उतरी लेकिन इस बार हम सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच सके। 2022 में रोहित शर्मा की कप्तानी में एशिया कप में यही कप्तानी दोहराई गई।
ऐसे में सवाल उठता है कि धोनी के पास वो कौन सी जादुई छड़ी थी जिसके दम पर वो समय-समय पर टीम को चैंपियन बनवा लेते थे। इसकी सबसे बड़ी वजह है बड़े टूर्नामेंटों में धोनी की प्रेशर हैंडल करने की क्षमता। जब तक धोनी कप्तान रहे न तो टीम इंडिया और न ही टीम का कोई खिलाड़ी पैनिक होता था। धोनी अपनी प्लेइंग-11 में जल्दी छेड़छाड़ नहीं करते थे। इस वजह से सभी खिलाड़ियों को अपना रोल अच्छे से पता होता था। उनके जाने के बाद यह बदलता चला गया। अब भारतीय टीम दो देशों की सीरीज तो खूब जीतती है, लेकिन जैसे ही एक से ज्यादा विपक्षी टीमों वाला टूर्नामेंट होता है हम हथियार डाल देते हैं।
विराट कोहली भी नाकाम रहे
- विराट को सलेक्टर्स पर भरोसा नहीं था। 2019 के वर्ल्ड कप से पहले अंबाती रायडू का प्रदर्शन कमाल का था, लेकिन उन्हें टीम में मौका नहीं दिया गया और उनकी जगह विजयशंकर टीम का हिस्सा बने। विजयशंकर 2019 वर्ल्ड कप में फ्लॉप साबित हुए। कप्तानी के दबाव में खुद विराट का प्रदर्शन उस टूर्नामेंट में कमजोर रहा।
- 2021 के टी-20 वर्ल्ड कप में भी ऐसा ही देखने को मिला। युजवेंद्र चहल जो लगातार अपनी गेंदाबाजी से टीम को जीत दिलाते आए थे, उनको निकालकर राहुल चाहर को मौका दे दिया गया।
रोहित पैनिक हो रहे और प्लेइंग-11 भी स्थिर नहीं
विराट के बाद रोहित को कप्तान बनाया गया। इस उम्मीद में कि मुंबई इंडियंस को पांच खिताब दिलाने वाले हिटमैन भारत को भी चैंपियन बनाएंगे। लेकिन, अब तक रोहित ने जो किया उससे अच्छे संकेत नहीं मिल रहे। वे खुद कई सीरीज में चोट के कारण बाहर रहे। जब से उन्होंने टीम की कमान संभाली तब से सिर्फ टी-20 फॉर्मेट में ही भारत ने 28 खिलाड़ी आजमा लिए। लेकिन, अब तक भारतीय टीम परफेक्ट प्लेइंग-11 नहीं तलाश पाई है।इसके अलावा रोहित दबाव बढ़ने पर पैनिक भी हो रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबला था। मैच में नाजुक मौके पर अर्शदीप सिंह ने आसिफ अली का कैच छोड़ा। टीम के कप्तान रोहित उनपर खूब चिल्लाते नजर आए। ऐसे में अर्शदीप पर बहुत प्रेशर बन गया। वो भी तब जब उन्हें मैच का आखिरी ओवर डालना था। ड्रेसिंग रूम में भी रोहित और हार्दिक पंड्या के बीच बहस के वीडियो खूब वायरल हुए।
वर्ल्ड कप सिर पर, स्क्वॉड तय नहीं
आम तौर पर वर्ल्ड कप से पांच-छह महीने पहले टीमें अपना प्लेइंग-11 लगभग फाइनल कर लेती है और टूर्नामेंट से पहले आखिरी के कुछ मैच उसी कॉम्बिनेशन के साथ खेलती है। इस बार ऐसा नहीं है। एशिया कप के डिजास्टर के बाद भारतीय टीम में बदलाव होना तय माना जा रहा है। हालांकि, अभी तय यह तय नहीं है कि कौन खिलाड़ी अंदर होगा और कौन बाहर। इतनी अनिश्चितता के साथ टीम इतने बड़े टूर्नामेंट में उतरेगी तो उससे चैंपियन बनने की आस करना खुद को दिलासा देने से ज्यादा कुछ नहीं होगा।- यह भी पढ़े…….
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