यह संसद हमारी संस्कृति और आधुनिकता के मिलन का अप्रतिम उदाहरण है-अमित शाह

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

28 मई को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। इस पल का साक्षी बनने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। इस बीच लोगों के मन में सवाल है कि आखिर नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद पुराने यानी मौजूदा संसद भवन का क्या होगा। उस संसद भवन का क्या होगा, जहां से एक नए राष्ट्र का निर्माण किया गया, जहां से देश को कई ऐतिहासिक पल मिले हैं। लोगों के मन में सवाल है कि क्या मौजूदा संसद भवन की इमारत को ढाह दिया जाएगा।

इस प्रतिष्ठित इमारत की झलक पेश करता है। मेरा एक विशेष अनुरोध है- इस वीडियो को अपने स्वयं के वॉयस-ओवर के साथ साझा करें, जो आपके विचारों को व्यक्त करता है। मैं उनमें से कुछ को री-ट्वीट करूंगा। #MyParliamentMyPride का इस्तेमाल करना न भूलें।

इस ट्वीट को रि-ट्वीट करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा कि नये संसद भवन की इन अद्भुत झलकियों को देख पूरा देश हर्षित है। यह संसद हमारी संस्कृति और आधुनिकता के मिलन का अप्रतिम उदाहरण है। मेरा सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में पुराने और अब इस नये संसद भवन में एक जनप्रतिनिधि के रूप में सेवा करूँगा। देशवासी इसके उद्घाटन को लेकर उत्साहित हैं।

28 मई को होगा नई संसद भवन का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर जमकर सियासत हो रही है। तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, प्रधानमंत्री के हाथों नहीं।

इतना ही नहीं अब तक 21 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बायकॉट का ऐलान भी किया है। हालांकि, एनडीए के घटक समेत 25 दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का ऐलान किया है।

क्यों बनाया गया नया संसद भवन?

  • केन्द्र सरकार के मुताबिक, पुरानी संसद भवन की इमारत अब पर्याप्त नहीं है। इस भवन का निर्माण आज से 97 साल पहले हुआ था। सरकार का कहना है कि इस भवन में आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है।
  • इसमें सांसदों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। दरअसल, मौजूदा भवन में लोकसभा सीटों की संख्या 545 है, जो आने वाले समय में बढ़ सकती है। ऐसे में नए सांसदों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होगा।
  • संसद भवन में सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं, जिनके रहने के लिए संसद में जगह कम है। इसके अलावा, लगातार कर्मचारियों और अन्य लोगों की संख्या बढ़ सकती है।
  • सुरक्षा के मद्देनजर भी पुरानी संसद भवन की इमारत मजबूत नहीं है। दरअसल, जिस दौरान पुराने संसद भवन की इमारत बनाई गई थी, उस दौरान दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-2 में आता है, लेकिन इस समय दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-4 में पहुंच गया है। आम भाषा में कहे तो, इसकी नींव की मजबूती को लेकर केन्द्र सरकार को संदेह है।
  • इसकी इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी संदेह बना हुआ है। दरअसल, जिस दौरान इस भवन का निर्माण किया गया था, उस दौरान तकनीकी क्षेत्र में देश का विकास नहीं हो पाया था, लेकिन आज के समय में देश काफी विकसित हो चुका है।
  • उस समय सीवर लाइन, एयर कंडीशनिंग, फायर इंस्ट्रूमेंट, सीसीटीवी कैमरा, डेवलप ऑडियो- वीडियो सिस्टम उपलब्ध नहीं थे। जब इमारत में कुछ चीजों को जोड़ा गया तो, इसको लेकर खतरा बढ़ गया है।
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