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पीएम मोदी का देश के नाम उनका लगातार 11वां संबोधन रहा - श्रीनारद मीडिया

पीएम मोदी का देश के नाम उनका लगातार 11वां संबोधन रहा

पीएम मोदी का देश के नाम उनका लगातार 11वां संबोधन रहा

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 देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है

40 करोड़ लोगों से हम स्वतंत्रता हुए, आज तो हम 140 करोड़ हैं- पीएम

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

15 अगस्त यानी आज भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद राष्ट्र को संबोधित किया। यह देश के नाम उनका लगातार 11वां संबोधन है और लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद उनका पहला संबोधन रहा। स्वतंत्रता दिवस समारोह के मद्देनजर दिल्ली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इस बार खास बात यह है कि पेरिस ओलंपिक 2024 में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ी भी इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बतौर अतिथि पहुंचे।

लाल किले से अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि 2036 ओलंपिक की मेजबानी करना भारत का सपना है। पीएम ने बताया कि भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के भावी मेजबान आयोग (FHC) के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करके 2036 में ओलंपिक की मेजबानी की दिशा में पहला कदम पहले ही उठा लिया है।

पीएम मोदी ने आज लाल किले से अपनी सरकार का आगे का विजन भी बताया। पीएम ने कहा कि अब देश में वन नेशन वन इलेक्‍शन, UCC और कृषि व्यवस्था में ट्रांस्फॉर्म की जरूरत है। पीएम ने कहा कि देश में कम्युनल नहीं, सेक्युलर सिविल कोड चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं आज लाल किले से एक बार फिर अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। एक समाज के रूप में हमें महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। देश में इसके खिलाफ आक्रोश है। मैं इस आक्रोश को महसूस कर सकता हूं। देश को, समाज को, राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की त्वरित जांच हो, इन राक्षसी कृत्यों को अंजाम देने वालों को जल्द से जल्द सख्त सजा मिले।

पीएम मोदी ने कहा कि एक पड़ोसी देश के तौर पर मैं बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ है, उससे जुड़ी चिंता को समझ सकता हूं। मुझे उम्मीद है कि वहां स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हो जाएगी। 140 करोड़ देशवासियों की चिंता वहां के हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

पीएम मोदी ने कहा कि मेरे देश का युवा अब धीरे-धीरे चलने का इरादा नहीं रखता है, मेरे देश का युवा छलांग लगाने के मूड में है, छलांग लगाने और नए लक्ष्यों को प्राप्त करने के मूड में है। पीएम ने कहा कि मैं कहना चाहूंगा कि यह भारत के लिए एक स्वर्णिम युग है। भले ही हम इसकी तुलना वैश्विक स्थिति से करें, यह एक स्वर्णिम युग है। हमें इस अवसर को बर्बाद नहीं करना चाहिए। अगर हम इस अवसर के साथ आगे बढ़ेंगे, अपने सपनों और संकल्पों के साथ, तो हम विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे।

पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी के बाद लोगों को एक प्रकार के माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा। सरकार से मांगते रहो, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहो, यही काम रहा, लेकिन हमने गवर्नेंस के इस मॉडल को बदला। पीएम ने कहा कि आज सरकार खुद लाभार्थी के पास जाती है। आज सरकार खुद उसके घर तक गैस का चूल्हा, पानी, बिजली और आर्थिक मदद पहुंचाती है।

पीएम मोदी ने कहा कि हमने बड़े रिफॉर्म्स जमीन पर उतारे हैं। गरीब हो, मध्यम वर्ग हो, वंचित हो, हमारे नौजवानों के संकल्प और सपने हों या हमारी बढ़ती हुई शहरी आबादी हो, इन सभी के जीवन में बदलाव लाने के लिए हमने रिफॉर्म का मार्ग चुना।

पीएम ने आगे कहा कि मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि रिफॉर्म के प्रति हमारी प्रतिबद्धता देश को मजबूती देने के इरादे से है। इसलिए मैं आज कह सकता हूं कि रिफॉर्म का हमारा मार्ग आज ग्रोथ का ब्लूप्रिंट बना हुआ है।

पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत-2047 सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं। इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है, देश के लोग से सुझाव लिए जा रहे हैं और देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत-2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं। पीएम ने कहा कि देश के सामान्य नागरिकों ने हमें अमूल्य सुझाव दिए हैं।

पीएम ने कहा कि जब देश के आम लोगों में संकल्प झलकते हों, तब हमारे भीतर एक नया दृढ़ संकल्प बन जाता है, हमारे मन में आत्मविश्वास नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है।‘विकसित भारत 2047’ सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे कठोर परिश्रम जारी है और देश के सामन्य जन से सुझाव लिए जा रहे हैं।
PM Modi ने आगे कहा कि जरा आजादी से पहले के वो दिन याद करें, जब सैकड़ों साल की गुलामी और उसका हर कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, किसान हो, महिला हो या आदिवासी हों, वो गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। इतिहास गवाह है, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जा रही थी।
आज तो हम 140 करोड़ हैं। अगर 40 करोड़ देशवासी गुलामी की जंजीरों को तोड़ सकते हैं, आजादी के सपने को पूर्ण कर सकते हैं, आजादी लेकर दिखा सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी अगर संकल्प लेकर चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित करके चल पड़ते हैं, कदम से कदम मिलाकर और कंधे से कंधा मिलाकर अगर चल पड़ते हैं तो चुनौतियां कितनी भी क्यों ना हो, अभाव कितना भी तीव्र क्यों ना हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत क्यों न हो तो भी… हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं।

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