म्यूकोपोली सेक्रेडेंसिस नामक लाइलाज बीमारी से ग्रसित हो गये है तीन भाई

 

म्यूकोपोली सेक्रेडेंसिस नामक लाइलाज बीमारी से ग्रसित हो गये है तीन भाई

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तीन बेटों के असहनीय दर्द से बदरंग हो गई है दुनिया

इन तीनों भाई के पिता का है संकटमोचन का इंतजार

श्रीनारद मीडिया,  सचिन पांडेय, मांझी, सारण (बिहार):

म्यूकोपोली सेक्रेडेंसिस नामक लाइलाज बीमारी से ग्रसित होकर तिल तिल कर मरने को मजबूर अपने तीन बेटों के असहनीय दर्द से बदरंग हो गई है।  दूसरों के घरों को चमकाने वाले पेंटर के खुद के परिवार की जिंदगी। माँझी के कौरुधौरु गांव निवासी तथा दिल्ली में वर्षों से पेंटिंग करके की गई कमाई के अलावा राजू यादव अपने नाते रिश्तेदारों से कर्ज लेकर लगभग तीस लाख रुपया अपने बड़े बेटे मनीष के इलाज पर खर्च कर चुका है। पिछले 8 वर्षों से अनवरत छपरा पटना तथा भेलौर में इलाज के पश्चात चिकित्सकों की सलाह पर वर्ष 2019 में परिजनों ने बड़े बेटे मंजेश कुमार उर्फ मनीष का दिल्ली एम्स में ब्रेन का ऑपरेशन करा दिया।

ऑपरेशन से पहले मनीष के शरीर में अकड़न के अलावा बोलने चलने में परेशानी तथा रीढ़ में टेढ़ापन शुरू हो चुका था। मरीज के चाचा सुभाष यादव ने बताया कि ऑपरेशन के बाद से मनीष पूरी तरह निश्तेज पड़ गया। अब वह बेड पर पड़े पड़े अपने मौत के दिन गिन रहा है। भेलौर क्रिश्चियन मेडिकल हॉस्पिटल के चिकित्सक के मुताबिक 19 वर्षीय मरीज मनीष अभी और पांच छह साल तक जीवित रह सकता है। भूख अथवा शौच लगने पर मनीष पास में बैठे अपने परिजन को अपनी उंगली से खोद कर अथवा चींटी काटकर इशारा करता है और परिजन उसकी समस्या जानकर उसका निदान करते हैं। समय बीतने के साथ ही उसके शरीर की अकड़न बढ़ रही हैं। शरीर के अंगों में व नसों में खिंचाव बढ़ रहा है।

मरीज मनीष लोगों को टुकुर टुकुर देखता है पर मुंह से बोल नही पाता है। वह रोता और हंसता भी है। आठवीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाले मनीष के दर्द से कराहने तथा उसकी आंखों से झर झर बहते आंसू परिजनों को उनके अनजाने दुर्भाग्य के सैलाब में डुबो देता है। इतना ही नही मनीष से उम्र में पांच साल छोटे जुड़वाँ भाई रोहित कुमार व बीरू बीरू कुमार के शरीर में भी उक्त बीमारी के लक्षण दस वर्ष की उम्र से दिखना शुरू हो गया है। उनके चलने फिरने व बोलने में अंतर आने लगा है। बावजूद इसके उन दोनों भाइयों में अब भी लड़कपन का असर दिख रहा है।

आने वाले बुरे दिनों की असहय शारीरिक व मानसिक पीड़ा का अहसास मात्र भी उनके चेहरे पर नही दिखता। लेकिन परिजन सामने आने वाले हालात से उतपन्न बेइन्तहां दर्द के आभास से कराह रहे हैं। तीन पुत्रों के लाइलाज बीमारी से ग्रस्त होने के साथ ही उनके माता पिता का एक सुखद संयोग यह है कि 17 साल की उनकी पुत्री उक्त रोग से वंचित व पूरी तरह चंगा है। बीमारी आनुवंशिक भी नही है।उक्त लाइलाज बीमारी से जूझ रहे मरीजों से जुड़ा एक बहुत बड़ा दुखद पहलू यह है कि इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों के इलाज खर्च का प्रावधान राज्य सरकार ने अबतक इजाद नही किया है।

बताते चलें कि बिहार में इस लाइलाज बीमारी से पांच सौ से अधिक मरीज ग्रस्त है तथा मरीजों के परिजन सोशल ग्रुप तथा आवेदनों के माध्यम से उनके इलाज खर्च अथवा मुआवजे की मांग भी लगातार करते आ रहे हैं। उक्त लाइलाज बीमारी से जूझ रहे मरीज के परिजन नेताओं व पदाधिकारियों के दरवाजे पर दस्तक देकर अपनी आपबीती से उन्हें अवगत भी करा रहे हैं।

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