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तीन दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला: दूसरे दिन आईसीडीएस एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण - श्रीनारद मीडिया

तीन दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला: दूसरे दिन आईसीडीएस एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण

तीन दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला: दूसरे दिन आईसीडीएस एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण

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-व्यवहार परिवर्तन में संवाद का योगदान महत्वपूर्ण: वर्षा चंदा
-जननी सुरक्षा योजना से जच्चा व बच्चा होते हैं लाभान्वित: अनुपमा श्रीवास्तव
-बेहतरीन संवाद भरोसे लायक होना चाहिए: निसार अहमद

श्रीनारद मीडिया‚ पूर्णिया, (बिहार)

नवजात शिशुओं को लेकर सामाजिक व्यवहार में बदलाव लाने से संबंधित तीन दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला का आज दूसरा दिन धा। इसमें यूनिसेफ़ की एसबीसी विशेषज्ञ मोना सिन्हा, वरीय सलाहकार सुधाकर सिन्हा, पोषण सलाहकार अनूप कुमार झा, पोषण अधिकारी डॉ शिवानी दास, शादान अहमद खान, स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सरिता वर्मा, अलाइव एंड थ्राइव की राज्य प्रमुख अनुपम श्रीवास्तव, इंविजन्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ डेवलपमेंट की सीईओ वर्षा चंदा, प्रशिक्षक निसार अहमद, यूनिसेफ़ के स्थानीय सलाहकार शिव शेखर आनंद, डीएचएस से डॉ अनिल कुमार शर्मा, मोअम्मर हाशमी, कसबा प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ, महिला पर्यवेक्षिका, बीसीएम, के अलावा के नगर की महिला पर्यवेक्षिका, बीसीएम, पूर्णिया पूर्व पीएचसी के बीएचएम, सीएचओ, अमौर से बीसीएम उपस्थित रहे।

-व्यवहार परिवर्तन में संवाद का योगदान महत्वपूर्ण: वर्षा चंदा
इंविजन्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ डेवलपमेंट नई दिल्ली की सीईओ वर्षा चंदा ने प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित आईसीडीएस से जुड़ी हुई महिला पर्यवेक्षिकाओं, सीएचओ, बीएचएम, बीसीएम को व्यवहार परिवर्तन में प्रक्रिया और सहायक वातावरण के संबंध में बताया । कहा कि कोई श्रोता या दर्शक वही सुनना व देखना चाहता है, जिसका कोई अर्थ निकलता हो। यानी जानकारियों में भी कहानी छुपी हो। इससे जो भी संवाद किया जा रहा है, वह लोगों तक सुगमतापूर्वक पहुंच जाता है। तब जाकर संवाद मूल्यवान और वास्तविक बनता है। अगर किसी भी समूह या व्यक्तिगत तौर पर संवाद स्थापित किया जाता है तो उसके फायदे भी होते हैं। जिससे व्यक्ति और संस्थान को बदलने की भी शक्ति होती है। ऐसा कभी भी नही सोचना चाहिए कि सामने वाला खुद आपके संवाद को समझ रहा है। एक संवाद की तैयारी पहले से करनी चाहिए ताकि किन परिस्थितियों में आपके संवाद होने वाले है।

-जननी सुरक्षा योजना से जच्चा व बच्चा होते हैं लाभान्वित: अनुपम श्रीवास्तव
अलाइव एंड थ्राइव की राज्य प्रमुख अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि नवजात शिशुओं के जीवन की सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा
जननी सुरक्षा योजना संचालित की जा रही है। जिसके तहत गर्भवती महिला, जननी व नवजात शिशु लाभान्वित हो रहे हैं। हालांकि यह सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में बिल्कुल ही निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है। जिसमें संस्थागत एवं सिजेरियन प्रसव, दवाइयां व अन्य सामग्री, जांच, भोजन, ब्लड एवं ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था निःशुल्क है। योजना का मुख्य उद्देश्य मातृ मृत्यु दर तथा शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। इस योजना के तहत सभी गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव कराने में प्रसव से संबंधित सभी तरह का खर्च पूर्णरूपेण निःशुल्क होता है। प्रसवपूर्व, प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद मिलने वाली सभी तरह की दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं। संस्थागत प्रसव होने पर तीन दिन तथा सिजेरियन ऑपरेशन होने पर सात दिनों तक निःशुल्क भोजन देने का भी प्रावधान है।

-बेहतरीन संवाद भरोसे लायक होना चाहिए: निसार अहमद
वहीं निसार अहमद ने कहा कि एक कुशल वक्ता असर पैदा करने और किसी की भी बात को स्वीकार कराने के लिए अध्ययन, प्रयास और संवाद का सहारा लेता है। भावपूर्वक संवाद की शुरुआत करने से पहले सामने बैठे दर्शकों का अनुमान, मूल्यों और आपत्तियों का आकलन जरूर करना चाहिए। क्योंकि दर्शकों की जरूरतों के अनुरूप ही वार्तालाप शुरू करनी होती है। तभी आपके संवाद को विश्वसनीयता के रूप में आंकी जा सकती है। लेकिन एक बात का ख़्याल आवश्यक होना चाहिए कि जो भी संवाद स्थापित किया जा रहा वह बहुत ही कम शब्दों में होने चाहिए। क्योंकि आपका बेहतरीन संवाद भरोसे लायक होता है। यह निश्चित रूप से स्पष्ट, मान्य और नैतिक होता है।

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