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 मेंहदार मंदिर में सावन की प्रथम सोमवारी को हुई हादसा में तीन की मौत, कई घायल - श्रीनारद मीडिया

 मेंहदार मंदिर में सावन की प्रथम सोमवारी को हुई हादसा में तीन की मौत, कई घायल

मेंहदार मंदिर में सावन की प्रथम सोमवारी को हुई हादसा में तीन की मौत, कई घायल

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रविवार को ही पहुंच गये थे लाखों श्रद्धालु

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):


सीवान जिले के सिसवन प्रखंड क्षेत्र के एतिहासिक मेहंदार मंदिर में रविवार की रात एक बड़ा हादसा हो गया। जल चढ़ाने के दौरान भगदड़ मचने से दो महिला श्रद्धालु की मौत हो गई।जबकि एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। मृतक की पहचान जीरादेई प्रखंड के जामापुर पंचायत के पथारदेई गांव निवासी दिलीप बैठा के 50 वर्षीय पत्नी सोहागमति देवी के रूप में हुई है। जो वर्तमान में जो वर्तमान में मुफस्सिल थाना क्षेत्र के भंटापोखर गांव में रहती थी। जबिक दुसरी मृत महिला हुसैनगंज थाना के प्रतापपुर गांव के मोहर चौधरी के पत्नी लीलावती देवी हैं।

घायलों मे हुसैनगंज थाना के प्रतापपुर गांव के बिना चौधरी के पत्नी अजोरियां देवी, शहबाजपुर के जनक देव भगत की पत्नी शिव कुमारी देवी व बड़कागांव के दिनेश साह के पत्नी माला देवी हैं। जिनका इलाज सिसवन रेफरल अस्पताल में कराया गया। जहां पर चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद सीवान रेफर कर दिया।वही अन्य कई घायलों को परिजनो ने अलग-अलग अस्पतालों में इलाज कराया। घटना की जानकारी जैसे ही मृतक के परिजनों को मिली कि चीख पुकार मच गई।

घटना को लेकर क्या कहते हैं चश्मदीद

चश्मदीदों के मुताबिक श्रावण माह कि पहली सोमवर के मौके पर मेंहदार मे रविवार के दिन से हीं बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचना शुरु हो गए थे। रविवार की देर रात को मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लग गया। बताया जाता है कि रविवार के देर रात करीब 12 बजे से हीं बाबा महेंद्रनाथ को जल चढ़ाने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भिड़ मंदिर के मुख्य द्वार पड़ जुटना शुरु हो गई। मंदिर का मुख्य दरवाजा बंद था। चश्मदीदों ने बताया कि श्रद्धालु मंदिर के दरवाजा खोलने के लिए बार बार हर हर महादेव का नारा लगाते हुए मुख्य दरवाजे पर धक्का दे रहे थे। जैसे ही मंदिर प्रशासन की तरफ से करीब 1:00 बजे मंदिर के मुख्य दरवाजा को खोला गया उसी दौरान मंदिर में प्रवेश करने को लेकर भगदड़ मच गई इस दौरान यहां अफरा-तफरी जैसा माहौल पैदा हो गया। इसी दौरान सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालु एक दूसरे पर गिर गए। इसी दौरान दो महिला खुद को संभाल नहीं पाई और नीचे गिर गई और उनकी मौत हो गई। जबकि दर्जनों श्रद्धालु बुरी तरह से घायल हो गए।चश्मदीदों का कहना है भीड़ के नीचे दबने से महिलाओं की मौत हो गई।

गांव कि महिलाओं के साथ महेंदर पूजा करने आई थी मृतक सोहागमति और लालमती

घटना के बारे में पूछे जाने पर मृतक के साथ मौजूद महिला संजू देवी और द्रोपती देवी ने बताया कि मृतक सोहाग मति देवी जीरादेई प्रखंड के जामापुर पंचायत के पथारदेई गांव की रहने वाली हैं । जो बीते कुछ वर्षों से मुफस्सिल थाना क्षेत्र के घंटा पोखर में जमीन खरीद कर घर बना कर रही थी। महिलाओं ने बताया कि टेंपो रिजर्व करके दर्जनों महिलाओं के रविवार की देर शाम 7:00 बजे वे सभी मेहदार के लिए घर से निकले। करीब 9 बचे हुए सभी महिंदर पहुंच गए महेंदर पहुंचकर सभी लोग बैठकर एक साथ खाना खाया। खाना खाने के बाद कुछ लोग सो गए । करीब 12:00 बजे सुहागमती देवी जगी और पूजा करने के लिए वह पोखरे में नहाने चली गई।जिसके बाद से उनसे संपर्क टूट गया।चश्मदीद महिलाओं ने बताया कि वह अपने साथी महिला सुहागमति देवी को खोजते खोजते करीब 1 बजे रात को मंदिर के मुख्य दरवाजे पर पहुंची तो देखा की मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर के मुख्य दरवाजे पर पहले से ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ खड़ी थी। चश्मदीद महिलाओं ने बताया कि वहां पर कोई भी पुलिस बल व प्रशासन के लोग मौजूद नहीं थे।श्रद्धालुओं की भीड़ मुख्य दरवाजा को खुलवाने के लिए बार-बार जयकारे लगा रही थी। करीब 1:00 बजे रात को मंदिर का दरवाजा खुला गया जैसे ही दरवाजा खुला कि मंदिर में प्रवेश करने को लेकर अफरा-तफरी मच गई जिसमें सुहाग मति देवी के भीड़ में दबने से मौत हो गई।

भगदड़ के बाद प्रशासनिक व्यवस्था पर उठे सवाल

मेंहदार मे जल चढ़ाने के दौरान मची भगदड़ के दौरान बाल-बाल बचे लोगों ने पर प्रशासन पर ठीकरा फोड़ा है।इस घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस पर मौजूद आक्रोशित श्रद्धालुओं ने हाथ में लिए जल पात्र फेंकना शुरू कर दिया। सूत्रों की माने तो इस दौरान पुलिस को हल्की चोट भी आई हैं। भगदड़ की घटना को लेकर चारों तरफ निंदा हो रही है।इस घटना ने सभी को हिला दिया है।इससे साथ कई सवाल भी पैदा हो रहे हैं। मेहंदार में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था पर पर सवाल उठ रहे हैं।भगदड़ में हुई मौत के बाद अब मंदिर में प्रवेश करने के तरीके में बदलाव की बात उठनी शुरू हो गई है।


भीड़ से निपटने के लिए एसडीओ के नेतृत्व में बनी थी विशेष रणनीति

मेंहदार में श्रावणी मेला की तैयारियों का जायजा लेने एसडीओ सीवान सदर रामबाबू बैठा व एसडीपीओ जीतेन्द्र पांडेय बीते मेले शुरु होने से एक सप्ताह पूर्व बीते गुरुवार की शाम मेंहदार पहुंचे थे। यहां पहुंच कर उन्होंने शिवमंदिर के पूरब स्थित कमलदाह सरोवर के घाट का अवलोकन किया था।इसके उपरांत श्रावणी मेले को लेकर अधिकारियों,पुजारियों व प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित कर तैयारियों की समीक्षा किया था। एसडीओ ने बैठक में श्रद्धालुओं के सुविधा को लेकर विभागीय अधिकारियों एवं पंचायत प्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श कर विख्यात कमल दाह सरोवर से लेकर बाबा के मुख्य मंदिर तक शिव भक्तों की भीड़ से निपटने के लिए विशेष रणनीति बनाई थी। सूत्रों के माने तो बैठक मंदिर परिसर के मुख्य स्थलों पर करीब दर्जन भर जगहों पर दो दर्जन से अधिक दंडाधिकारी के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात किया गया था। लेकिन प्रशासन के तमाम व्यवस्था के बाद भी मेंहदार मे भगदड़ की घटना में श्रद्धालुओं की मौत को लेकर चारों तरफ निंदा हो रही।

मामला चाहे जो भी हो घटना की सूचना मिलते ही एसडीओ राम बाबू बैठा, एसडीपीओ जितेन्‍द्र पांडेय मौके पर पहुंच कर मामले को संभाला और पूरी शांतिपूर्ण तरीके से श्रद्धालुओं को पंक्तिबद्ध कर गर्भगृह में  भेजने लगे। बताया जाता है कि पूरे दिन दोनों अधिकारी जमे रहे।

 

कमलादाह सरोवर में उतराता मिला युवक का शव

मेंहदार स्थित कमलदाह सरोवार में सोमवार की सुबह एक युवक का शव पानी में तैरता हुआ मिला।‌ शव मिलने की खबर सुनते ही तालाब की किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई। मौके पर स्थानीय पुलिस पहुंची और शव को निकलवाया।‌ जिसके बाद पुलिस ने शव को रेफरल अस्पताल भेज दिया।मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला के निकेश प्रसाद के रूप में की गई है।पुलिस युवक की पानी में डूबने की आशंका जता रही हैं। वहीं कुछ लोग मेहदार मंदिर में जल चढ़ाने के दौरान हुई भगदड के दौरान पोखरे मे कूदने से मौत बता रहे है।फिलहाल पुलिस मामले कि जांच-पड़ताल मे जुटी हैं।

इस घटना से अगले सोमवार को प्रशासन को लेना होगा सबक

प्रथम सोमवार की हुई इस घटना से आने वाले अगले सोमवार को प्रशासन के लिए यह घटना सबक बन गया है। इस घटना की पुर्नवृृतिन न हो इसके लिए काफी सुरक्षा व्‍यवस्‍था करना होगा। दो वर्ष बाद सावन में जलाभिषेक करने की ललक सभी में है यहीं कारण है कि अधिक से अधिक लोग जलाभिषेक करने के लिए पहुंच रहे हैं।

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