1 जुलाई से लागू होने जा रहे तीन नए कानून, पढ़ें किनको होगा बड़ा फायदा? बढ़ेगा पुलिस का काम

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

दुनिया भर में होने वाली हिंसा का सबसे बुरा रूप है दुष्कर्म। औरत, लड़की, बुजुर्ग महिला या बच्ची दुष्कर्म की शिकार बन जाती है। लोक लज्जा व डर के कारण ज्यादातर मामलों में रिपोर्ट ही नहीं की जाती है। घटना से पीड़िता को गहरा सदमा लगता है, जिससे उबर पाना मुश्किल होता है।

सोचने-समझने की शक्ति खत्म सी हो जाती है। ऐसे में थाना जाकर बयान दर्ज कराना पीड़िता के लिए और मुश्किल होता है। एक जुलाई से देश भर में लागू होने वाले तीन नए कानून में अब पीड़िता अपनी सुविधानुसार जगह पर बयान दर्ज करा सकेंगी। ताकि उसकी सुरक्षा और मर्यादा बनी रहे। थाना जाने की जरूरत नहीं होगी।

पुलिस इन जगहों पर जाकर दर्ज कर सकेगी बयान पीड़िता अपने या किसी रिश्तेदार के घर, मंदिर या कहीं भी अपनी इच्छा व सुविधानुसार बयान दर्ज करा सकेंगी। पीड़िता द्वारा बताए गए जगह पर जाकर पुलिस उसका बयान कलमबद्ध करेगी। उस वक्त पीड़िता के अभिभावक और महिला पुलिस की मौजूदगी अनिवार्य होगी। अभिवावक के नहीं रहने पर इलाके के समाजसेवी की उपस्थिति अनिवार्य होगी। बयान की आडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग होगी, जिसे कोर्ट में अतिसुरक्षित तरीके से सबमिट किया जाएगा। यहां तक कि कोर्ट में भी मामले की सुनवाई के वक्त किसी महिला का उपस्थित होना जरूरी होगा, चाहे वह महिला वकील हो या महिला पुलिस।

 

पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज छेड़छाड़ के मामले भी पीड़िता को यही सुविधा प्रदान की जाएगी। नई व्यवस्था में निश्चित रूप से दुष्कर्म पीड़ित औरत, लड़की, बुजुर्ग महिला या बच्ची को काफी राहत मिलेगी। दुष्कर्म जैसी असहनीय यातना सहने के बाद भी लोक लज्जा के चलते केस नहीं करने वाली पीड़िता अब दोषियों को सजा दिलाने के लिए आगे आएंगी। आम मामलों में अब हथकड़ी नहीं लगाएगी पुलिस किसी भी मामूली अपराध में अब पुलिस आरोपितों को हथकड़ी लगाने से परहेज करेगी। छोटी मारपीट की घटना, जूतम पैजार, गाली गलौज या छोटे अपराध में जमानत टूटने के केस में वारंटी को बिना हथकड़ी लगाए पुलिस थाना ले जाएगी। शर्त है कि आरोपित पुराना दागी न हो।

 

कोई पुराना आपराधिक इतिहास न हो। अन्यथा पुलिस पहले की तरह हथकड़ी जरूर लगाएगी। घटनास्थल पर लोगों को जाने से रोकेगी पुलिस नए कानून में डिजिटल साक्ष्य इक्ट्ठा करने पर जोर दिया गया है। बगैर इसके किसी भी केस में सबूत को वैध नहीं माना जाएगा। ऑडियो- वीडियो रिकार्डिंग और फारेंसिक जांच को अनिवार्य कर दिया गया है।इसके लिए पुलिस को किसी भी घटना के तुरंत बाद पहुंचना होगा ताकि सुरक्षित तरीके से मजबूत साक्ष्य जुटाया जा सके। अन्यथा आरोपित केस में बच निकलेगा।

अक्सर देखा जाता है कि किसी भी वारदात के बाद घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। लोग वहां पहुंचकर अपने तरीके से घटना का अनुसंधान भी शुरू कर देते हैं।खासकर हत्या के केस में ऐसा देखा गया है। पीड़ित परिवार या ग्रामीण पुलिस को सूचना देने के उपरांत शव को उलट पलटकर गोली व चाकू का निशान ढूंढने लगते हैं। अब पुलिस लोगों को ऐसा करने से रोकेगी। गांव-गांव जागरूकता अभियान चलाएगी।

घटनास्थल पर भीड़ इक्ट्ठा नहीं करने की अपील करेगी। कई केस में ऐसा भी देखने को मिला है कि किसी घटना को अंजाम देने के बाद आरोपित भीड़ में शामिल होकर साक्ष्य मिटा जाता है। अब पुलिस ऐसा करने से रोकेगी।

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