शिवचर्चा में तीन सूत्रों की गयी व्याख्या

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श्रीनारद मीडिया, आनंद मिश्रा, बड़हरिया, सीवान


सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के सदरपुर मठिया के शिवमंदिर परिसर में रविवार को शिव शिष्य सत्यनारायण साह, कल्याण वर्मा, राजकिशोर प्रसाद, धनकिशोर सहित और स्थानीय गुरु भाई-बहनों द्वारा शिव-गुरु परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिले के विभिन्न क्षेत्र से आए शिवनाथ गुरुभाई, हृदयानंद गुरुभाई, टुनटुन गुरुभाई, नगनारायण गुरुभाई, सुनयना देवी, रामाज्ञा प्रसाद सिंह, विश्वकर्मा शर्मा, लालबाबू सिंह,देवेंद्र सिंह, मालती गुरुबहन, लालती गुरुबहन, राजपति गुरुबहन आदि ने हरींद्रानंद भाई द्वारा बताई गई बातों की चर्चा करते हुए शिव के शिष्य रुप से जुड़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि शिव शिष्य का कहना है कि जगत गुरु शिव ही हैं। इस कलियुग में देवाधिदेव महादेव को गुरु मानकर चलना है। इसके लिए उन्होंने तीन सूत्र बताये गये हैं। उन्होंने कहा कि पहला दया मांगना, दूसरा चर्चा करना और तीसरा नम: शिवाय: से नमन करने पर लोगों का जीवन शिवमय व सुखमय हो जाता है।

भारतीय आध्यात्म के सिंहावलोकन से स्पष्ट हो जाता है कि महादेव शिव चिरकाल से आदि गुरु एवं गुरु पद पर अवस्थित हैं। पुरातन काल से शिव को रुद्र, पशुपति, मृत्युंजय, देवाधिदेव, महाकाल, महेश्वर, जगतगुरु आदि उपाधियों से विभूषित किया गया है। उनके विभिन्न स्वरुपों की पूजा-अर्चना का अविरल प्रवाह सर्वाधिक लोकप्रिय होता आया है।

उन्होंने कहा कि शिष्य भाव के जागरण के लिए सर्वदा यह स्मरण रखना चाहिए कि शिव मेरे गुरु हैं और गुरु दया ही लौकिक -परलौकिक चरमोत्कर्ष का रहस्य है। दूसरों के साथ शिव-गुरु की चर्चा शिव-भाव जागरण की अनुपम विधा है। स्मरण रखना है कि शिवगुरु की दया ही शिष्य के जीवन का आधार है।

इस मौके पर विश्व कर्मा शर्मा और राजकिशोर प्रसाद की मंडली ने भजन कीर्तन कर कार्यक्रम को रोचक बना दिया। भी आयोजन किया गया। शिवचर्चा में बड़ी संख्या में शिव शिष्य उपस्थित हुए इनमें महिलाओं की संख्या काफी थी।

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