सातवाँ अस्थापना दिवस ह आजु “जय भोजपुरी जय भोजपुरिया” परिवार के।

सातवाँ अस्थापना दिवस ह आजु “जय भोजपुरी जय भोजपुरिया” परिवार के।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

चिरई नियन पाँखि लगाके ई समइयो भागल जाता। केकरा में सामरथ बा जे ए के पकड़ो। नियति की फुलवारी में खिलल फूल का मँहकत आजु पाँच बरिस पूरा हो गइल। सातवाँ अस्थापना दिवस ह आजु “जय भोजपुरी जय भोजपुरिया” परिवार के। आजुवे के दिन ठीक छव बरिस पहिले 29 जुलाई 2015 के पहिलका ईंटा धराइल रहे। ई कहीं कि एगो आस के बीया बोवल गइल रहे। जवन समय के साथ अँखुवाइल आ गँवें- गँवें समय के कान्ह धइले बढ़त- फलत- फुलात बा।

एकर डहंग आज गाँव- गिराँव से लेके शहर, महानगर आ देश के सीमा तूरि के विदेश तक फइलल जा रहल बा। कहे के मतलब ई कि ए परिवार के सदस्य देश के कोना- कोना में त फइलले बाड़ें, देश के बहरो बहुत सदस्य ए परिवार के झंडा फहरावत बाड़ें। एकर सबसे बड़हन प्रमाण बा ए परिवार की ई पत्रिका के सबसे जिआदा पढ़वइया अमेरिका में बाड़ें। सभे माईभाषा के नेह के डोर से बन्हाइल बा। केहू का पावे के आशा नइखे, भावना समर्पण के बा।

“जय भोजपुरी जय भोजपुरिया” परिवार के स्थापना के पीछे विशेष उद्देश्य रहे। उद्देश्य रहे अपनी माईभाषा भोजपुरी के गौरव अउर सम्मान समाज में अक्षुण्ण रहो, अपनी बोली आ भाषा के लोग शान से बोलो। लोगन के अपनी माईभाषा में बोले, बतियावे, पढ़े- लिखे के प्रेरित करे के प्रयास के दिशा में काम कइल। लोकगीत, लोकपरम्परा के जोगावल अउरी समाज मे लुकाइल, भुलाइल, तोपाइल कलमकार, गायक, गीतकार, संगीतकार के समाज के सोझा लियावल। अपना साहित्य के समृद्ध कइल लेखन के माध्यम से। भोजपुरी आ भोजपुरिया बेवहार, लोकाचार, सरोकार, संस्कार आ संस्कृति के संरक्षित, सुरक्षित आ संवर्द्धित कइल।

वाट्सएप समूह के रूप में शुरू भइल ई परिवार आज भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड एगो ट्रस्ट बन चुकल बा। आजो वाट्सएप ग्रुप बिद्यमान बा, ओकरा माध्यम से माईभाषा में बतकही, गीत- गवनई, कविता, गीत, ग़ज़ल आदि लिख के पटल पर राखल जाला। गलती के सुधारल जाला। प्रेरित कइल जाला लिखे के, पढ़े के, टिप्पणी करे के। बतकही से शब्दभंडार त बढ़बे करेला, शंका के समाधानो होला।

एकरा अलावा फेसबुक पर “जय भोजपुरी- जय भोजपुरिया” नाम से ग्रुप बा, पेज बा जे में सदस्य लोग आपन रचना डालेला। ओ पर देश- विदेश से टिप्पणी मिलेला, जेकरा से लिखेवाला के उत्साह बढ़ेला।

कोरोना महामारी के दौरान “जय भोजपुरी- जय भोजपुरिया के पेज पर लाइव कार्यक्रम शुरू भइल। ओ कार्यक्रम में गायक, कवि आ विद्वान सभ का व्याख्यान के पचास गो से जिआदा कार्यक्रम हो भइल। जवना के पूरा दुनियाँ से लोग जीवंत देखेल आ सुनल। ए समय ले ए पेज के कार्यक्रम लगभग 800,000 से अधिक लोग का लगे पहुँचल बा आ 500,000 से जियादा लोग देख चुकल बा। भाषा के मिठास त भोजपुरी के पहचान ह।

ओकरा गदरल आ कचरस के धार के लोहा त उहो मानेला जेकरा भोजपुरी से कवनो दूर के भी नाता नइखे। ए महामारी में सकारात्मक ऊर्जा के बयार में सब दर्शक का सकून के कुछ पल मिल जाला, एह लाइव कार्यक्रम से घर बइठले कहीं जाए के ना परे।

ई परिवार अपना अस्थापना काल से अब तक ले करीब- करीब 30 गो छोट- बड़ कार्यक्रमन के आयोजन करि चुकल बा। जे में मुख्य बा हर साल स्थापना दिवस के मौका पर दिल्ली में कार्यक्रम अउर हर साल नवम्बर में सलाना कार्यक्रम के आयोजन। एकरा अलावा कजरी गायन प्रतियोगिता के आयोजन कइल जाला। परिवार अपना सामाजिक दायित्व से कबो दूर नइखे भागल। कोरोना काल में 51,000/- रूपया के जोगदान पीएम केयर्स में कइला का अलावा समय-समय पर विषम स्थिति में परिवार का सदस्य लोग के आर्थिक, मानसिक आ सामाजिक सहायता आ सद्भावना में पीछे ना रहेला। आजकाल कोरोना महामारी के चलते कवनो सार्वजनिक कार्यक्रम सम्भव नइखे एही से डिजिटल माध्यम से स्थापना दिवस मनावे के निर्णय लिहल गइल बा।

एकरा अलावा परिवार महाकवि अंजन जी की स्मृति में “अंजन पुस्तकालय” शुरू करे जा रहल बा। पुस्तकालय के सब तइयारी पूरा बा। कोरोना काल से राहत मिलते उद्घाटन होई आ काम शुरू हो जाई। “जय भोजपुरी- जय भोजपुरिया” यूट्यूब चैनल पर देश के हर कोना के भोजपुरी गायक कलाकार के गीत- गवनई आ कविता माईभाषा भोजपुरी में सुनल/देखल जा सकता। कब्बो आ कहीं अपनी माईभाषा के मिठास के महसूस कइल जा सकत बा सुनिके आ देखि के। सोशल मीडिया का हर मंच जइसे- ट्विटर, इंस्टाग्राम पर ए परिवार के उपस्थिति देखल जा सकता।

गीत- गवनई खूब होता, लोग सुनतो बा लेकिन पत्र पत्रिका के पाठक के अभाव बा। लोग के अपनी माईभाषा में साहित्य पढ़े के प्रेरित करे खातिर आ एकर प्रचारो प्रसार होखो एहू दिशा में काम हो रहल बा । भोजपुरी भाषा के प्रचार प्रसार का पीछे कवनो पूर्वाग्रह भा दुराग्रह नइखे बलुक अपना माईभाषा के गौरव जानि के ओकरा प्रति आपन कर्तब्य के निर्वहन आ भोजपुरी साहित्य में संवर्द्धन के प्रयास खातिर एगो त्रैमासिक ई-पतिरिका के प्रकाशन कर रहल बा परिवार । ओह प्रयास के नाव ह “सिरिजन” । सिरिजन में गाँव, जवार, देहात में बोले बतियावे वाला शब्दन के जरिये पाठक के मन-मनसायन, ज्ञानवर्द्धन करे खातिर आ पढ़वइया के लगातार रस आनन्द मिलत रहो एकरा खातिर एगो प्रयास कइल गइल बा। सिरिजनो के तीन बरिस के सफर सफलतापूर्वक पूरा हो गइल बा। जवन आगहूँ जारी बा आ रही।

एकरा अलावा एगो वेबसाइट बा www.sirijan.com जे पर माईभाषा में साहित्य के हर बिधा के रचना मौजूद बा। दुनियाँ के कवनो जगह से ओ के पढ़ल जा सकत बा।

भोजपुरी बोलेवालन के संख्या एतना बड़ बा कि बहुत बड़का कहाएवाली भाषा आ बोलिन से भोजपुरी कहि सकेले कि “जवन तोहरा घरे भोज तवन हमरा घरे रोज”। भोजपुरी एतना बड़का बोलवइया के भाषा होखला के बादो समाज में सम्मान के दृष्टि से ना देखल जाला। भोजपुरी भाषा त गंगा हिय, हेतना बिषमो परिस्थिति का बावजूद एतना सजोर बिया त नन्दन कानन में ओकर जोर के थाह के ले पाई?

हर पतनशील धारा के बाद बदलाव के हिलकोरा उठेला जइसे हर रात के बाद दिन आवेला। सबूर के साथे निस्वार्थ कर्म करत चले के, स्वभाविक गति खुदे पैदा हो जाई ।

“जय भोजपुरी- जय भोजपुरिया” परिवार समूचा भोजपुरिया समाज के आश्वासन दे सकता कि आगहूँ एही तरह से समाज में सेवा अउरी साहित्य के काम के आगे बढ़ाई। खास क के युवा पीढ़ी के माईभाषा से जोड़े के एगो महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक बार फिर से “जय भोजपुरी- जय भोजपुरिया” परिवार का तरफ से पूरा भोजपुरी जगत के स्थापना दिवस के बहुत-बहुत बधाई अउर शुभकामना।

“जय भोजपुरी जय भोजपुरिया”

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