आज का सामान्य ज्ञान🎊🎛️’नयी’ और ‘नई’ शब्दों में क्या है फर्क? एक ही हैं या फिर मतलब है अलग-अलग 🎛️
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
हमारी रोज़ाना की ज़िंदगी में इस्तेमाल होने वाले बहुत से ऐसे शब्द होते हैं, जिन्हें हम खूब इस्तेमाल करते हैं लेकिन कभी ये नहीं जानने की कोशिश करते कि ये सही भी है या नहीं. कुछ शब्दों को तो हम ज़िंदगी भर गलत ही लिखते हैं. होता यूं है कि हमने किसी को ऐसा लिखते देख लिया तो उसी को सही मान लिया. ऐसे ही एक शब्द को लिखने का कनफ्यूज़न कुछ लोगों को जीवन भर बना रहता है – वो है ‘नयी’ और ‘नई’. तो फिर क्या है सही? हालांकि ये सवाल काफी पेंचीदा है और इसका सीधा जवाब दे पाना भी आसान नहीं है.
📌क्या ‘नयी’ और ‘नई’ में है फर्क?👉🏻
सबसे पहले तो सवाल ये है कि ‘नयी’ और ‘नई’ में कुछ फर्क होता भी है या नहीं? वैसे तो दोनों को ही एक ही अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है, सुनने में इसमें कोई अंतर समझ में नहीं आता लेकिन इस यक्ष प्रश्न का जवाब लिखते वक्त ज़रूर लोग भ्रमित हो जाते हैं. इस प्रश्न के उत्तर में भी ‘गयी’ और ‘गई’ की तरह कुछ लोग मानकीकरण हिंदी के तहत श्रुतिमूलक और स्वरात्मक रूप का हवाला देते हैं. यानि सुनने में तो इन दोनों शब्दों का उच्चारण एक जैसा ही है लेकिन अगर इसे लिखेंगे तो ये नई हो सकता है. चूंकि ये क्रिया न होकर संज्ञा है, ऐसे में ‘नया’ का इस्तेमाल पुल्लिंग के तौर पर होने पर व्याकरण के आधार पर इसे ‘नयी’ ही लिखा जाएगा. अगर नया शब्द का अंत न’आ’ होता तो इसे बेशक स्वरात्मक रुप से स्त्रीलिंग होने पर नई लिख दिया जाता.
📌किसी को भी गलत नहीं कह सकते👉🏻
इस पर बहस तो काफी लंबी हो सकती है और अलग-अलग तरह के तर्क सामने आ सकते हैं. हालांकि सीधी चीज़ ये है कि दोनों ही शब्दों को समान अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है और लोग अपनी-अपनी समझ के हिसाब से लिखते हैं. मुख्य बात ये है कि किसी भी परिस्थिति में इनके अर्थ में कोई बदलाव नहीं आता है. जिन भी शब्दों में सुनकर लिखने के बाद ‘यी’ और ‘ई’, ‘ये’ और ‘ए’ का फर्क आता है, उनमें से किसी को भी सही या गलत नहीं कहा जा सकता.
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