लंबित मामलों को बताया बड़ी चुनौती–एन.वी. रमणा
कुछ अहम फैसले जो रहे सुर्खियों में
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
देश के चीफ जस्टिस एनवी रमणा के कार्यकाल का आज अंतिम दिन है। 48वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने शुक्रवार को समारोह पीठ को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने लंबित मामलों को एक बड़ी चुनौती बताया। इसके साथ ही उन्होंने और मामलों की सूची और मामलों की सुनवाई के कार्यक्रम के मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर खेद व्यक्त किया।
चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने अपने संबोधन में कहा
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने अपने कार्यकाल की आखिरी समारोह पीठ में सभी से माफी मांगी। CJI ने समारोह पीठ को संबोधित करते हुए कहा कि आई एम सॉरी, सोलह महीनों में सिर्फ पचास दिन ही प्रभावी और पूर्णकालिक सुनवाई कर पाया हूं। उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 के कारण कोर्ट पूरी तरह काम नहीं कर पाया, लेकिन उन्होंने पूरी कोशिश की, ताकि सुप्रीम कोर्ट का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे।
वहीं औपचारिक पीठ ने कहा, ‘संबंधित लोगों ने मॉड्यूल विकसित करने का प्रयास किया, हालांकि सुरक्षा मुद्दों और अनुकूलता के कारण, बहुत प्रगति नहीं हुई थी, और इस मुद्दे को हल करने के लिए आधुनिक तकनीक को तैनात करने की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति रमणा ने कहा, ‘आम हम सभी आम आदमी को त्वरित और किफायती न्याय देने की प्रक्रिया में चर्चा और संवाद के साथ आगे बढ़ें।’ उन्होंने कहा कि वह देश के संस्थान के विकास में योगदान देने वाले पहले या आखिरी नहीं होंगे। न्यायमूर्ति रमणा ने कहा कि लोग आएंगे और जाएंगे, लेकिन संस्था हमेशा के लिए बनी हुई है। इसके साथ ही उन्होंने संस्था की विश्वसनीयता की रक्षा करने पर जोर दिया।
न्यायमूर्ति ने कहा- न्यायपालिका की जरूरतें बाकी की जरूरतों से अलग
न्यायमूर्ति रमणा ने कहा कि न्यायपालिका की जरूरतें बाकी की जरूरतों से अलग थीं, और इस बात पर जोर दिया कि जब तक बार सहयोग नहीं करता, तब तक आवश्यक बदलाव लाना मुश्किल होगा, और कहा कि भारतीय न्यायपालिका समय के साथ विकसित हुई है और इसे परिभाषित या न्याय नहीं किया जा सकता है।
एक ही आदेश या निर्णय से उन्होंने कहा, ‘हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि पेंडेंसी हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है। मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मामलों को सूचीबद्ध करने और पोस्ट करने के मुद्दे उन क्षेत्रों में से एक हैं जिन पर मैं ज्यादा ध्यान नहीं दे सका। मुझे इसके लिए खेद है।’
आपको मालूम हो कि हाल ही में, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा था कि सीजेआई को मामलों को सौंपने और सूचीबद्ध करने की शक्ति नहीं होनी चाहिए, और शीर्ष अदालत के पास मामलों के आवंटन के लिए एक स्वचालित प्रणाली होनी चाहिए। अपने पहले विदाई भाषण का समापन न्यायमूर्ति रमणा ने कहा, ‘मैं अपने सभी सहयोगियों और बार के सभी सदस्यों को उनके सक्रिय समर्थन और सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं निश्चित रूप से आप सभी को याद करूंगा।’
कुछ अहम फैसले जो रहे सुर्खियों में
देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस नुुुुथालापति वेंकट रमणा (Nuthalapati Venkata Ramana) आज 26 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने 24 अप्रैल, 2021 को सीजेआई (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) के रूप में अपने पद की शपथ ली थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई थी। रमणा ने जस्टिस बोबडे (Justice Bobde) की जगह ली थी, जो 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त हुए।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस रमणा ने अपने कार्यकाल में कई अहम मामलों की सुनवाई की और उनके फैसले लिए। आज उनके सेवानिवृत्त होने के मौके पर कुछ ऐसे ही फैसलों पर हम नजर डालेंगे, जिन पर रमणा ने मुहर लगाई।
पेगासस मामला: भारत के राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी किए जाने वाले पेगासस (Pegasus) जासूसी मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की बेंच ने की। शीर्ष अदालत ने मामले की जांच कर रही टेक्निकल कमेटी को मई में 4 हफ्तों का समय दिया था। जिसमें कहा गया था कि वह इस दौरान अपनी अंतिम रिपोर्ट इस दौरान सौंप दें। उनके रिटायर होने से एक दिन पहले यानि कि 25 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर सुनवाई की।
बिलकिस बानो गैंगरेप मामला: बिलकिस बानो गैंगरेप (Bilkis Bano Gangrape) मामला एक बार फिर से चर्चा में है क्योंकि गुजरात सरकार ने छूट नीति के तहत इसमें शामिल सभी ग्यारह आरोपियों को रिहा कर दिया। इसे लेकर हलचल शुरू होते ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गुजरात सरकार को नोटिस भेजा गया जिसके तहत मामले की सुनवाई फिर से होगी। इस मामले की भी सुनवाई गुरुवार को जस्टिस एन वी रमणा, जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की बेंच ने की।
शिवसेना पर अधिकार मामला: मुख्य न्यायाधीश एन वी रमणा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने महाराष्ट्र में शिवसेना (Shiv Sena) पर अधिकार को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के गुट के बीच चल रही लड़ाई और 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के मामले की भी सुनवाई की। इस पर बीते मंगलवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया जिसके तहत अब पीठ इससे संबंधित फैसले तय करेगी।
PMLA मामला: बिलकिस बानो मामले पर सुनवाई करने के बाद ही जस्टिस रमन्ना PMLA मामले की सुनवाई में बैठ गए। इसमें कांग्रेस सांसद कीर्ति चिदंबरम की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हुई। बेंच में जस्टिस रमणा के साथ जस्टिस तेके माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल रहे।
इस रिव्यू पीटिशन में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई थी कि वह इडी की शक्तियों को बरकरार रखने के अपने फैसले की समीक्षा करे। मालूम हो कि बीते 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि केंद्रीय जांच एजेंसी इडी की शक्तियों और अधिकारों को कायम रखा जाएगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अवधि को बढ़ाते हुए कहा कि अब इसकी सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।
पीएम सिक्योरिटी ब्रीच मामला: पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सुरक्षा में हुई गंभीर चूक के मामले की जांच के लिए 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई। कमेटी की अध्यक्षता सेवानिवृत्त जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने की।
गुरुवार कमेटी की रिपोर्ट को प्रस्तुत करते हुए सीजेआई रमणा की बेंच ने कहा कि अब इसे आगे की कार्रवाई के लिए केंद्र के पास भेजा जाएगा और अब केंद्र ही इस पर एक्शन लेगी। मालूम हो कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में फिरोजपुर के एसएसपी को जरूरी कार्रवाई करने में विफल रहने का दोषी पाया।
बता दें कि इसी साल पांच जनवरी को पीएम मोदी ने पंजाब के फिरोजपुर का दौरा किया था। पहले पीएम मोदी को हेलीकॉप्टर से जाना था, लेकिन बारिश की वजह से उन्हें सड़क मार्ग से सफर तय करना पड़ा। उनके काफिले को राष्ट्रीय शहीद स्मारक हुसैनवाला से करीब 30 किमी पहले एक फ्लाइओवर पर 20 मिनट तक रूकना पड़ा क्योंकि फ्लाईओवर के आगे बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुट गए थे। अन्तत: पीएम मोदी को रैली को रद्द कर वापस लौटना पड़ा।
राजद्रोह मामला: जस्टिस रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की एक पीठ ने राजद्रोह कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दस मई को सुनवाई की थी और इस पर एक ऐतिहासिक फैसला लिया था।
इस सुनवाई के बाद पीठ ने यह आदेश दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124A के तहत 162 साल पुराने राजद्रोह कानून (Sedition) को तब तक स्थगित रखा जाना चाहिए जब तक कि केंद्र सरकार इस प्रावधान पर पुनर्विचार नहीं करती। कोर्ट ने यह भी कहा कि राजद्रोह के मामले में जो भी लोग जेल में बंद है वे अब अपनी जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं।
इनके अलावा, सीजीआई रमणा आज अपने कार्यकाल के अंतिम दिन भी पांच मामलों में अपने फैसले सुनाएगी जिनमें साल 2007 में कथित अभद्र भाषा से संबंधित एक मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका भी शामिल रही, जिसे खारिज कर दी गई। यानि कि अब हेट स्पीच मामले पर योगी आदित्यनाथ पर केस नहीं चलेगा।
इसके अलावा, चुनाव में राजनीतिक दलों की ओर से की जाने वाली मुफ्त घोषनाओं पर रोक लगाने की मांग पर भी आज फैसला आएगा। हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट पर विशेषज्ञों की कोई कमेटी बनाए।
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