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किसी से अत्यधिक मोह बन सकता हैं प्रगति पथ का बाधक : राघव शरण जी महाराज

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राजपुर में श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन बताया कि भगवान को पाने के लिए भक्ति का कोई पैमाना नही होता

श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)

किसी से अत्यधिक मोह प्रगति पथ का बाधक बन सकता है साथ ही मोक्ष के मार्ग को अवरुद्ध भी.उक्त बातें रघुनाथपुर प्रखंड के राजपुर गांव में हो रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन परम् पूज्य श्री राघव शरण जी महाराज ने कही. गोवर्धन पूजा, रासलीला, गोकुल से मथुरा गमन कथा के दौरान आचार्य ने कहा कि प्रेम सबसे करना चाहिए परंतु किसी के प्रति अत्यधिक मोह नहीं करना चाहिए अन्यथा वह प्रगति के पथ का बाधक बन सकता है और मोक्ष का मार्ग भी अवरुद्ध कर सकता है.

उन्होंने गोवर्धन पूजा की कथा में कहा कि जब इंद्र गोकुल वासियों से कुपित होकर अनुभव और बारिश कराने लगे तो भगवान कृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपने कनिष्ठ उंगली पर तबतक उठाए रखा था जबतक देवराज इंद्र का मान भंग न हो गया. इस घटना के भी कई कारण थे. एक का संबंध रामावतार से था जब भगवान राम के किसी अनुष्ठान में महर्षि अगस्त लगातार सात दिनों तक भोजन करते रहे जब उन्हें पानी पिलाने की बात आई तो द्वापर युग मे पिलाने की बात कही गई.

इसपर देवराज इंद्र लगातार सात दिनों तक बारिस करते रहे उस समय भगवान भी लगातार सात दिनों तक गोवर्धन को अपने उंगली पर उठाए रखे. इतना ही नही बलराम जी जो शेषावतार थे अपने पूछ से पानी को रोके रखे और गोकुलवासियों को कोई क्षति नही होने दिए. उसी दौरान महर्षि अगस्त को सात दिनों तक पानी पिलाया गया.

इसके साथ एक और कथा जुड़ा हुआ है. भगवान अपने भक्तों को अपने दूर रहने वालों को क्षमा नही करते. देवराज इंद्र ने गोकुलवासियों और गोपियों को परेशान किये इसका दंड भी था. पर गोकुलवासी और गोपियां प्रभु के पास आ गए इसको लेकर भगवान ने क्षमा भी कर दिया जबकि एक समय मे ब्रम्हा जी ने गोपियों का हरण कर लिया था इसलिए प्रभु ने ब्रम्हा जी को क्षमा नही किए. उन्होंने बताया कि भगवान को पाने के लिए भक्ति का कोई पैमाना नही होता.

मीरा बाई और सूरदास ने भगवान को गा कर पाए थे जबकि भगवान को पाने के लिए गोपियों को रोना पड़ा था. आचार्य ने बताया कि भगवान ने जब गोकुल छोड़ा तो वापस कभी भी नही आये. किसी के प्रति मोह नही करने का यह प्रमाण है. प्रतिदिन की तरह कथा के छठवे दिन मंगलवार को भी भजन व आरती के उपरान्त कथा का समापन हुआ. मौके ओर सैकड़ो श्रोता मौजूद रहे.

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