Train Accident:CBI ने बहनगा स्टेशन को सील किया,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ओडिशा रेल हादसे की जांच में CBI जुटी हुई है। जांच एजेंसी ने बहनगा स्टेशन को सील कर दिया है। अगले आदेश तक इस स्टेशन पर कोई भी पैसेंजर ट्रेन या मालगाड़ी नहीं रुकेगी। हर दिन यहां से करीब 170 ट्रेन गुजरती हैं। हादसे के बाद 7 ट्रेन रुक रही थीं। यह जानकारी न्यूज एजेंसी ANI ने रेलवे अधिकारी आदित्य कुमार चौधरी के हवाले से दी है।

रेलवे अधिकारी चौधरी ने बताया कि CBI ने जांच के दौरान स्टेशन में मौजूद सभी दस्तावेज चेक किए। लॉग बुक, रिले पैनल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त कर ली है।बता दें कि 2 जून को ओडिशा के बालासोर में दो सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की टक्कर हुई, जिसमें 288 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे में 1208 लोग घायल हुए थे।

दुर्घटनास्थल पर भी CBI ने जांच की
रेलवे अधिकारी ने बताया कि CBI की दो सदस्यीय टीम शुक्रवार को दुर्घटनास्थल पहुंची थी। एजेंसी ने यहां कई जगहों से कुछ जरूरी सबूत इकट्ठा किए। इसके बाद करीब 2 घंटे तक पैनल और रिले रूम की जांच की। टीम ने दोनों रूम और डेटा लॉकर को सील कर दिया। माना जा रहा है कि CBI को हादसे से जुड़े कुछ अहम सबूत मिल सकते हैं।

एक ट्रेन मालगाड़ी से टकराई, सामने से आई दुरंतो इसकी बोगियों से भिड़ी
2 जून की रात करीब 10 बजे मीडिया रिपोर्ट्स में आया कि दो यात्री गाड़ियां और एक मालगाड़ी टकरा गई हैं। शुरुआत में 30 लोगों के मारे जाने की जानकारी थी, लेकिन देर रात यह आंकड़ा 200 के पार पहुंच गया। इसके अगले दिन 3 जून को दोपहर 2 बजे तक मरने वालों का आंकड़ा 288 पहुंच चुका था।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि बहनगा बाजार स्टेशन की आउटर लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी। हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन पर चली गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी पर चढ़ गया और बोगियां तीसरे ट्रैक पर जा गिरीं। कुछ देर बाद तीसरे ट्रैक पर आ रही हावड़ा-बेंगलुरु दुरंतो एक्सप्रेस ने कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों को टक्कर मार दी।

हादसे के 48 घंटे बाद झाड़ियों में बेहोश मिला युवक

हादसे के 48 घंटे बाद रविवार रात घटनास्थल से एक यात्री जिंदा मिला। हादसे के वक्त वह बोगी से निकलकर झाड़ियों में गिरकर बेहोश हो गया था। युवक की पहचान असम के रहने वाले डिलाल के रूप में हुई है। उसे तुरंत रेस्क्यू करके इलाज के लिए भेजा दिया गया, जहां उसे होश भी आ गया। घटना में उसका फोन और वॉलेट गायब हो गया।

2 जून की शाम ओडिशा के बालासोर में देश का तीसरा सबसे बड़ा रेल हादसा हुआ। तस्वीरें ऐसी जिन्हें देखकर किसी का भी दिल दहल जाए।किसी का सिर धड़ से अलग तो किसी का कटा हुआ हाथ दूर पड़ा था। रेल की पटरियों पर लाशों का ढेर था।रेलवे के सामने संकट था मृतकों और घायलों को घटनास्थल से निकालना और ट्रैक की मरम्मत करना। लेकिन, हादसे के 51 घंटे के अंदर ही रेस्क्यू टीम और रेल मंत्रालय इसमें सफल रहा।

51 घंटे बाद जब इस रूट से पहली ट्रेन गुजरी तो रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाथ जोड़कर भगवान को धन्यवाद दिया।घटना के 5 दिन बाद बुधवार को पश्चिम बंगाल के शालीमार स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस भी चेन्नई के लिए रवाना हुई। ये वही ट्रेन है, जो 2 जून को हादसे का शिकार हुई थी।रेस्टोरेशन के काम में रेलवे के 2300 कर्मचारी 24 घंटे लगातार काम करते रहे। खुद रेल मंत्री पूरे ऑपरेशन की मॉनिटरिंग घटनास्थल से कर रहे थे।

रेस्क्यू और री-स्टोरेशन का काम प्लान के मुताबिक हुआ
एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हमेशा प्लान के आधार पर काम करते हैं। हादसे के बाद भी उन्होंने ऐसा ही किया।उन्होंने कहा कि हमारा मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाना और घायलों को इलाज मुहैया कराना है। हादसे के तुरंत बाद सैकड़ों एम्बुलेंस मौके पर पहुंच गईं।

आसपास के जिलों से मेडिकल टीमों को बुलाया गया, ताकि घायलों का जल्द से जल्द इलाज किया जा सके।रेस्क्यू के बाद हमारा टारगेट रेल लाइन को क्लियर करने का था, ताकि ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो सके।इसके लिए हमने ऐसा प्लान तैयार किया, जिसमें मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा सके।

अस्पतालों में बड़े रेलवे अधिकारियों को तैनात किया गया
रेल मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि हमें साफ निर्देश दिए गए थे कि सिर्फ घायलों को अस्पताल तक पहुंचाना काफी नहीं है।ये देखना भी जरूरी है कि अस्पताल में उन्हें कोई परेशानी न हो। वे आराम से रह सकें। इसलिए सीनियर अधिकारियों को हालात का जायजा लेने के लिए भेजा गया।रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को कटक के अस्पताल में तैनात किया गया, जबकि डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ को भुवनेश्वर के अस्पताल में भेजा गया।

ग्राउंड वर्क के लिए 8 टीमें बनाई गईं, हर टीम में 70 लोग
रेलवे अधिकारी ने बताया कि ग्राउंड पर काम करने के लिए 70-70 लोगों वाली 8 टीमें बनाई गईं। हर टीम के सुपरविजन की जिम्मेदारी एक सीनियर सेक्शन इंजीनियर को सौंपी गई।इन सीनियर सेक्शन इंजीनियर का सुपरविजन डिस्ट्रिक्ट रेलवे मैनेजर और जनरल मैनेजर को सौंपा गया। इनकी निगरानी रेलवे बोर्ड के मेंबर ने की।

ग्राउंड वर्क पूरा होने पर भावुक हुए रेल मंत्री
शुक्रवार की शाम यह रेल हादसा हुआ था। लगभग 48 घंटे बाद रूट की मरम्मत पूरी हुई और यहां ट्रेन चली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इस दौरान मैदान पर रहे। जब रूट पर ट्रेन चली तो वे भावुक हो गए और ईश्वर के आगे हाथ जोड़कर धन्यवाद दिया।रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव 1999 में बालासोर जिले के कलेक्टर रह चुके हैं। तब उन्होंने सुपर साइक्लोन के संकट के दौरान राहत और बचाव कार्य किया था। इसलिए डिजास्टर मैनेजमेंट का यह उनका पहला अनुभव नहीं था।

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