Train Accident:रेल हादसे के पीड़ितों को मिलता है 8 लाख रुपये तक का बीमा कवर,कैसे?










श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार की शाम भीषण ट्रेन हादसा हो गया, जिसमें तीन ट्रेन आपस में टकरा गई। इस हादसे में अब तक 233 लोगों की जान जा चुकी है और 900 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। सभी घायलों को फिलहाल, अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करा दिया गया है।
कोरोमंडल एक्सप्रेस डिरेल हो गई और फिर मालगाड़ी के इंजन पर जा चढ़ी। इसके बाद हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस की बोगियां इससे भिड़ गई। घटना स्थल पर मौजूद रेस्क्यू टीम अब भी ट्रेन के डिब्बों के नीचे से लोगों के शव निकाल रही है। अधिकारियों का कहना है कि अभी मरने वालों की संख्या में और भी वृद्धि होने के आसार है।
इस हादसे के बाद पीएमओ की ओर से मुआवजे का ऐलान किया गया है। ट्रेन हादसे मे मृतकों के परिवार के दो-दो लाख रुपये और घायल लोगों को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को रेल मंत्रालय की ओर से 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए दो लाख रुपये, मामूली रूप से चोटिलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। अलग-अलग राज्यों की सरकार ने भी इस हादसे में घायल हुए और मृतकों को मुआवजा राशि देने की घोषणा की है।
रेलवे विभाग का ट्रैवल इंश्योरेंस है काफी फायदेमंद
आपको बता दें, रेल हादसे में शिकार होने पर रेलवे विभाग बीमा कवर देता है। रेलवे की इस सुविधा को रेलवे ट्रैवल इंश्योरेंस (Railways Travel Insurance) कहते हैं। रेल हादसों में मुआवजा देने को लेकर कुछ संशोधन किए गए हैं। हालांकि, टिकट बुकिंग कराते समय यदि यात्री ने बीमा के ऑप्शन का चयन किया है, तो ही बीमा के पैसे दिए जाते हैं।
बीमा के लिए अप्लाई करते समय एक उम्मीवार (Nominee) का नाम देना होता है। इस खबर में हम आपको बताएंगे की अलग-अलग रेल दुर्घटनाओं में सरकार कितना मुआवजा देती है और मुआवजा प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है।
किन स्थितियों को हादसा मानता है रेलवे?
रेलवे अधिनियम, 1989 के अध्याय 13 के मुताबिक, यात्रा के दौरान यदि किसी यात्री की मौत हो जाती है या उसे किसी तरह की शारीरिक क्षति होती है, तो इसके लिए रेलवे जिम्मेदार होता है। हालांकि, यदि किसी यात्री ने आत्महत्या करने की कोशिश की हो, मानसिक संतुलन खराब होने के कारण हादसे का शिकार हुआ हो या किसी गैर-कानूनी काम को करते समय दुर्घटना का शिकार हुआ हो, तो ऐसे में रेलवे विभाग इसके लिए उत्तरदायी नहीं होता है और ऐसी परिस्थिति में किसी को मुआवजा नहीं दिया जाता है।
रेलवे अधिनियम में साफ तौर पर लिखा है कि यदि जब ट्रेन में काम करते समय कोई दुर्घटना होती है, जब यात्रियों को ले जा रही ट्रेन पटरी से उतर जाती है, तो ऐसी परिस्थिति में यात्रियों को बीमा राशि दिया जाता है। इसके अलावा, यदि दो ट्रेनों के बीच टक्कर होने के कारण यात्री या आसपास मौजूद लोग इसका शिकार हो जाते हैं, तो राशि की मांग कर सकते हैं। यदि यात्रा के दौरान ट्रेन पर किसी तरह का आतंकवादी हमला होता है और यात्री को किसी तरह का नुकसान होता है, तो भी वो बीमा कवर के लिए पैसे क्लैम कर सकता है।
इन स्थितियों में मिलती है बीमा राशि
रेल दुर्घटना एवं दुर्घटना (मुआवजा) संशोधन नियमावली कहती है कि इससे जुड़े कई मामले में बीमा की शुरुआती राशि 4 लाख रुपए से बढ़ाकर 8 लाख रुपए कर दी गई है। यदि रेल हादसे के दौरान घायल होने के बाद किसी यात्री की आंखों की रोशनी या सुनने की क्षमता चली जाती है, तो ऐसे में उसे 8 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। इसके साथ ही, अगर हादसे में किसी के चेहरे पर कोई ऐसी चोट आती है, जिससे उसका विकृत हो जाता है, तो ऐसी परिस्थिति में भी घायल को आठ लाख रुपये देने का प्रावधान है।
इसके अलावा, रेल हादसे के दौरान यात्री की चोट की गंभीरता को देखते हुए 32,000 रुपये से लेकर 8 लाख रुपये तक का मुआवजा दिया जाता है। इसके लिए सरकार डॉक्टरों के साथ विचार-विमर्श कर के आगे की प्रक्रिया पर काम करती है। घायलों को अस्पताल में इलाज के लिए 2 लाख रुपये की मदद दी जाती है।
इस प्रक्रिया के जरिए प्राप्त कर सकते हैं बीमा राशि
- रेल अधिनियम, 1989 की धारा 125 के तहत पीड़ित या मृतक के परिजनों को बीमा राशि के लिए रेलवे दावा अधिकरण (आरसीटी) में आवेदन करना होगा।
- पैसेंजर ट्रेन दुर्घटना या अप्रिय घटना के तुरंत बाद, संबंधित आरसीटी बेंच को रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि वह समय रहते यात्री से जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर सकें और समय पर हादसे से जुड़ी चीजों का पता लगा सके।
- जब भी किसी की ओर से बीमा राशि के लिए दावा किया जाता है, तो सबसे पहले उसकी जांच होती है। जल्द-से-जल्द मामला सुलझाने के लिए रेलवे विभाग आरसीटी से संपर्क करता है और हर संभव सहयोग करता है।
- आरसीटी की ओर से रेलवे को नोटिस भेजे जाने के 15 दिन के अंदर ही जवाब देना होता है।
- आवेदन करते समय आवेदक को इस बात का ध्यान रखना होता है कि उसे अपना निवास स्थान, वह स्थान जहां यात्री ने टिकट खरीदा हो या वह स्थान जहां दुर्घटना हुई हो,
- उसका उल्लेख करना होता है।
- भारतीय रेलवे की वेबसाइट www.indianrailways.gov.in में दुर्घटना के संबंध में मुआवजे के दावों के संबंध में नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है। यहां से देख सकते हैं कि आप किस मामले में आवेदन करना चाहते हैं और उसकी लीगल प्रक्रिया क्या है।
- यह भी पढ़े ……………………
- बालू लदे ट्रक बने आम आदमी के जान के दुश्मन, सांसद ने प्रशासन को दी चेतावनी
- Train Accident: जब बिहार की बागमती नदी में समा गई थी ट्रेन,कैसे?
- Train Accident: ट्रेनों को हादसे से बचाता है ‘कवच’,कैसे?
- Train Accident: पीएम मोदी ने दुर्घटनास्थल का लिया जायजा
- Train Accident : रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म, अबतक 288 लोगों की मौत