Train Accident: पहली ट्रेन गुजरी तो रेल मंत्री ने हाथ जोड़े, कहा- अभी लापता लोगों को खोजना बाकी!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसे वाले ट्रैक की मरम्मत का काम पूरा हो गया है। हादसे के 51 घंटे बाद रविवार रात को इस ट्रैक से जब पहली ट्रेन रवाना की गई, तब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हाथ जोड़कर खड़े दिखे। उन्होंने कहा कि हमारी जिम्मेदारी अभी खत्म नहीं हुई। हमारा लक्ष्य लापता लोगों को खोजना है। यह कहकर वे भावुक हो गए।
रेल मंत्री हादसे के बाद से ही बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन पर राहत-बचाव और ट्रैक रिपेयरिंग की निगरानी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी शनिवार को बालासोर का दौरा करने के बाद रेल मंत्री से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े अपडेट्स ले रहे थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है, NDRF की सभी नौ टीमें घटनास्थल से वापस लौट रही हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रविवार रात को रेलवे ट्रैक साफ कर दिया गया था। इसके बाद 50-60 से ज्यादा ट्रेनें वहां से गुजर चुकी हैं।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को हावड़ा में ओडिशा ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी। वे कल कटक और भुवनेश्वर जाएंगी। यहां वे हादसे में जान गंवाने वाले बंगाल के लोगों के परिजन और घायलों से मुलाकात करेंगी।
बुधवार को ममता हादसे में मरने वालों के परिजन को आर्थिक मदद के लिए 5 लाख रुपए की चेक और परिवार के सदस्य को होम गार्ड की नौकरी के लिए अप्वाइनमेंट लेटर देंगी। वे हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50 हजार और मामूली रूप से घायल लोगों को 25 हजार रुपए की आर्थिक मदद देंगी।
दक्षिण पूर्व रेलवे के CPRO आदित्य कुमार चौधरी ने कहा कि कुछ जगह गलत खबरें चल रही हैं कि रेलकर्मी भाग गए हैं। लोको पायलट के मरने की खबर भी चल रही है, जबकि वो AIIMS भुवनेश्वर में भर्ती हैं और वो खतरे से बाहर हैं। रेलवे की ओर से इससे जुड़ी सही जानकारी शेयर की जा रही है।
हादसे के 48 घंटे बाद झाड़ियों में बेहोश मिला युवक
हादसे के 48 घंटे बाद रविवार रात घटनास्थल से एक यात्री जिंदा मिला। हादसे के वक्त वह बोगी से निकलकर झाड़ियों में गिरकर बेहोश हो गया था। युवक की पहचान असम के रहने वाले डिलाल के रूप में हुई है।उसे तुरंत रेस्क्यू करके इलाज के लिए भेजा दिया गया, जहां उसे होश भी आ गया। घटना में उसका फोन और वॉलेट गायब हो गया।
हादसे से जुड़े 3 बड़े बयान
- रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार शाम को कहा, अब तक जो जानकारी मिली है उसके बाद रेलवे बोर्ड की तरफ से इस मामले की CBI जांच की सिफारिश की गई है।
- रेल मंत्री वैष्णव ने रविवार शाम को बालासोर में कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव की वजह से एक्सीडेंट हुआ। जिम्मेदारों की पहचान भी कर ली गई है।’
- रेलवे बोर्ड की ऑपरेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट मेंबर जया वर्मा ने दिल्ली में कहा कि शुरुआती तौर पर लगता है कि सिग्नल में गड़बड़ी थी।
- हादसे में मारे गए लोगों की संख्या पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि हमारे पास हादसे में जान गंवाने वालों की लिस्ट बढ़ रही, लेकिन उनके पास घट रही है। हादसे में पश्चिम बंगाल के 162 लोगों की जान गई है। अब तक पूरी लिस्ट नहीं मिल पाई है। बहुत से ऐसे लोग भी यात्रा करते हैं जो लिस्ट में नहीं होते। 182 शवों की अब तक पहचान नहीं हुई है।
ओडिशा सरकार ने कहा- हादसे में 288 नहीं, 275 जानें गईं
ओडिशा के चीफ सेक्रेटरी प्रदीप जेना ने रविवार सुबह दावा किया कि हादसे में 288 नहीं, बल्कि 275 लोगों की जान गई है। उन्होंने कहा कि कुछ शव दो बार गिन लिए गए थे, इस वजह से मृतकों की संख्या में गड़बड़ी हुई। हादसे में 1,175 लोग घायल हुए, जिनमें से 793 को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है।
इस पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि हमारे पास हादसे में जान गंवाने वालों की लिस्ट बढ़ रही, लेकिन उनके पास घट रही है। हादसे में पश्चिम बंगाल के 162 लोगों की जान गई है।अब तक पूरी लिस्ट नहीं मिल पाई है। बहुत से ऐसे लोग भी यात्रा करते हैं जो लिस्ट में नहीं होते। 182 शवों की अब तक पहचान नहीं हुई है
बहानगा बाजार स्टेशन के आउटर पर टकराई थीं तीन ट्रेन
हादसा 2 जून को शाम 7 बजकर 10 मिनट पर हुआ था। रेलवे अधिकारियों ने बताया था कि बहानगा बाजार स्टेशन की आउटर लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी। हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस यहां डीरेल होकर मालगाड़ी से टकरा गई। एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी पर चढ़ गया और बोगियां तीसरे ट्रैक पर जा गिरीं। तीसरे ट्रैक पर आ रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ने कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों को टक्कर मार दी।
नीचे दिए यार्ड ले-आउट के जरिए दुर्घटना के समय तीनों ट्रेनों की स्थिति को समझा जा सकता है…
इस ले-आउट को देखने पर हादसे के वक्त तीनों ट्रेन की स्थिति साफ हो जाती है…
- बीच वाला ट्रैक अप मेन लाइन है, जिस पर शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस आ रही थी।
- अप मेन लाइन के पास कॉमन लूप लाइन थी, जिस पर मालगड़ी खड़ी थी। कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ कोच मालगाड़ी से टकराकर छिटक गए थे। कुछ डिब्बे डाउन मेन लाइन पर भी गिरे।
- सबसे ऊपर डाउन मेन लाइन है। यहां से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुजरी। कोरोमंडल एक्सप्रेस के कोच इस ट्रैक पर भी पड़े थे। बेंगलुरु-हावड़ा ट्रेन इन्हीं कोचेस से टकरा गई।
14 साल, शुक्रवार का यही वक्त, जब ओडिशा में ही कोरोमंडल एक्सप्रेस बेपटरी हुई थी
कोरोमंडल एक्सप्रेस 14 साल साल पहले यानी कि 13 फरवरी 2009 को भी ऐसे ही हादसे का शिकार हुई थी। इत्तफाक की बात है कि वह हादसा भी शाम के साढ़े 7 बजे के करीब ही हुआ था। ट्रेन जाजपुर रेलवे स्टेशन की ओर जा रही थी। इसी दौरान वह गलत ट्रैक पर चली गई और उसकी 8 बोगियां पलट गई थीं। हादसे में 16 यात्रियों की मौत हुई थी और 40 से ज्यादा घायल हुए थे।
- यह भी पढ़े……
- विश्व पर्यावरण दिवस पर एच. आर. कॉलेज के स्वयंसेवकों ने किया वृक्षारोपण
- Train Accident: क्या है कवच, 11 साल पहले हुआ था ट्रायल, अब तक सिर्फ 65 इंजनों में ही लगा पाया,क्यों?
- Train Accident:भारत में रेलों के पटरी से उतरने के ज़िम्मेदार कारक क्या है?
- Train Accident:क्या इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के कारण हुआ रेल हादसा?