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सीवान के 10 सीएचओ को परिवार नियोजन कार्यक्रम से संबंधित प्रशिक्षण शिविर का हुआ शुभारंभ - श्रीनारद मीडिया

सीवान के 10 सीएचओ को परिवार नियोजन कार्यक्रम से संबंधित प्रशिक्षण शिविर का हुआ शुभारंभ

सीवान के 10 सीएचओ को परिवार नियोजन कार्यक्रम से संबंधित प्रशिक्षण शिविर का हुआ शुभारंभ:

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प्रसव के तुरंत बाद अपनाई जाने वाली यह विधि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध: डॉ भारती सिंह

परिवार नियोजन से संबंधित कार्य करने के लिए उन्मुखीकरण करना अति आवश्यक: आरपीएम

श्रीनारद मीडिया, छपरा (बिहार):


परिवार नियोजन के लिए आईयूसीडी सबसे उपयुक्त माध्यम है। जिसे प्रसव के बाद या गर्भ समापन के बाद लगाया जाता है। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए आईयूसीडी सबसे कारगर उपाय है। महिलाएं ऑपरेशन के नाम पर बंध्याकरण से डरती हैं, उनके लिए आईयूसीडी बेहतर विकल्प है। उक्त बातें प्रभारी क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने सदर अस्पताल परिसर स्थित क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र में परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत पीपीआईयूसीडी और पीएआईयूसीडी को लेकर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के दौरान कहीं। इस अवसर पर मुख्य प्रशिक्षक सह चिकित्सा पदाधिकारी डॉ भारती सिंह, ओटी प्रभारी निष्ठा मोदनवाल, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई के प्रशासनिक कर्मी मनोज कुमार सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

 

प्रसव के तुरंत बाद अपनाई जाने वाली यह विधि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध: डॉ किरण ओझा
मुख्य प्रशिक्षक सह महिला रोग विशेषज्ञ डॉ भारती सिंह ने प्रशिक्षकों से कहा कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटेरिन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) और गर्भ समापन के बाद पीएआईयूसीडी व कभी भी आईयूसीडी को किसी भी सरकारी अस्पताल में आसानी से लगाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से जहां अनचाहे गर्भ से बचने के साथ ही महिलाओं के सेहत पर कोई नुकसान भी नहीं होता है। हालांकि यह दो प्रकार के होते हैं। जो गर्भ निरोधक विधि का नाम है। इसमें गर्भाशय में एक छोटा उपकरण लगाया जाता है। जिसके माध्यम से बच्चों में सुरक्षित अंतर रखने में मदद मिलती है। जो प्रसव के तुरंत बाद अपनाई जाने वाली यह विधि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। प्रसव के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही यह डिवाइस (कॉपर टी) लगवाई जा सकती है। एक बार लगवाने के बाद इसका असर पांच से दस वर्षों तक रहता है। यह बच्चों में अंतर रखने के लिए लंबी अवधि की एक विधि है।

परिवार नियोजन से संबंधित कार्य करने के लिए उन्मुखीकरण करना अति आवश्यक: आरपीएम
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार ने कहा कि गर्भपात के पश्चात प्रत्येक महिला को उपलब्ध परिवार नियोजन साधनों में उसकी इच्छा अनुसार लगभग सभी प्रकार के साधन प्रदान किया जाता हैं। जिसमें लाभार्थी की सहमति अनिवार्य रूप से होती है। इसके बाद ही पीपीआईयूसीडी और पीएआईयूसीडी प्रशिक्षित सेवा प्रदाता ही लगा सकते हैं। इसलिए उन्मुखीकरण करना अति आवश्यक है। दीर्घकालिक प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक के लिए आईयूसीडी सबसे लोकप्रिय गर्भनिरोधक तरीकों में से एक है। क्योंकि इसे आसानी से लगाया और हटाया जा सकता है। जिस कारण यह अत्यधिक प्रभावी है। जिसका उपयोग लगभग कोई भी महिला कर सकती है, जिसमें अशक्त महिला भी शामिल है। बीच में नही हटाने पर इसका प्रभाव दस वर्ष तक रहता है। इसका उपयोग वहीं महिलाएं कर सकती हैं जो किसी भी प्रकार की दवा ले रही हैं।

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