अस्पताल के मूल्यांकन से संबंधित उचित प्रबंधन को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
-स्थानीय अस्पताल परिसर में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारी एवं कर्मी हुए शामिल: सिविल सर्जन
-संस्थान का विकास करने से पहले ख़ुद को बदलना जरूरी: डॉ भावना गुलाटी
-स्थानीय अस्पताल के 50 कर्मियों को किया गया प्रशिक्षित: आरपीएम
-स्वास्थ्य विभाग के साथ जुड़कर अपनी भूमिका निभाता है यूनिसेफ़: डॉ रेड्डी
श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एन किउएएस ) कार्यक्रम की शुरुआत की गई है । ताकि अस्पताल में पहले से बेहतर सुख सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सके। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर अनुमंडलीय अस्पताल बनमनखी का यूनिसेफ़ के सहयोग से आंतरिक एवं बाह्य मूल्यांकन से संबंधित उचित प्रबंधन को लेकर हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज ऑफ़ इंडिया की सहायक प्राध्यापक डॉ भावना गुलाटी एवं झारखंड हेड डॉ जगजीत सिंह स्थानीय अस्पताल परिसर में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान अस्पताल के सभी चिकित्सक, जीएनएम, एएनएम सहित कई अन्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए आए हुए हैं। इस अवसर पर जिला सलाहकार गुणवत्ता यक़ीन पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार शर्मा, स्थानीय एमओआईसी डॉ प्रिंस कुमार सुमन, एचएम अभिषेक आनंद, यूनिसेफ़ के क्षेत्रीय सलाहकार शिव शेखर आनंद, आरसीएच समन्वयक राजकुमार, मोअम्मर हाशमी, नंदन कुमार झा, तनुज कौशिक, सीफार के प्रमंडलीय समन्वयक धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी सहित कई कर्मी उपस्थित थे।
-संस्थान का विकास करने से पहले ख़ुद को बदलना जरूरी: डॉ भावना गुलाटी
हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज ऑफ इंडिया की सहायक प्राध्यापक डॉ भावना गुलाटी ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों से कहा कि किसी भी क्षेत्र या संस्थान का विकास करने के लिए पहले खुद को बदलना होगा । किसी भी कार्य को करने से पहले अपने लक्ष्य को तय करना होगा तभी आपको सफलता मिल सकती है । अमूमन क़भी-क़भी ऐसा भी होता है कि आपके लक्ष्य में बाधाएं आती हैं लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है । केवल आपको अपने लक्ष्य पर ही नजर रखना है। एक न एक दिन मंजिल जरूरी मिलेगी। किसी भी कार्यक्रम के प्रमाणीकरण के लिए अपना व अपने संस्थान का विकास करना जरूरी होता है। विभाग या संस्थान में जो भी कमियां है उसको दूर करते हुए उसका सही इस्तेमाल करने से हर तरह की सुख सुविधाएं मिल जाती हैं । इसके साथ ही बेहतरीन कार्य के लिए सबसे पहले आपसी समन्वय का होना बहुत ज़्यादा जरूरी होता है।
-स्थानीय अस्पताल के 50 कर्मियों को किया गया प्रशिक्षित: आरपीएम
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमूल होदा ने बताया कि इन दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत बनमनखी मुख्यालय स्थित अनुमंडलीय अस्पताल के 12 चिकित्सकों, 2 दंत चिकित्सक, 17 जीएनएम, 2 एएनएम, 1 परिवार नियोजन सलाहकार, 4 लैब टेक्नीशियन, 2 फार्मासिस्ट, 1 एक्सरे टेक्नीशियन, 2 पीपीटीसी, 1 पैरामेडिकल कार्यकर्ता, 2 परिवार नियोजन कार्यकर्ता, 1 कालाजार टेक्निकल पर्यवेक्षक एवं 3 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी को प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण शिविर के बाद प्रशिक्षित सभी चिकित्सा पदाधिकारी एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी अपने कार्यो के प्रति पूरी निष्ठा के साथ अस्पताल परिसर में आने वाले मरीज़ों एवं अभिभावकों के साथ उत्तम व्यवहार का परिचय देंगे। इन दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रसव कक्ष, ऑपरेशन थियेटर, ओपीडी, आईपीडी, इमरजेंसी, फार्मेसी, जेनरल ऑपरेशन थियेटर, रक्तकोष, लैब टेक्नोलॉजी से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया।
-स्वास्थ्य विभाग के साथ जुड़कर अपनी भूमिका निभाता है यूनिसेफ़: डॉ रेड्डी
यूनिसेफ़ बिहार के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ शंकर रेड्डी ने बताया कि बिहार ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य विभाग के साथ जुड़कर तकनीकी रूप से यूनिसेफ़ संगठन कार्य करता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहले से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लक्ष्य कार्यक्रम, कायाकल्प योजना, राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक ( NQAS) कार्यक्रम, नियमित टीकाकरण, अनमोल, सुमन, प्रसव कक्ष, एसएनसीयू, एनआरसी, एनबीसीसी, एनबीएसयू, केएमसी, स्तनपान, पोषण, सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूनिसेफ़ अपनी भूमिका निभाता है। हैदराबाद से आई दो सदस्यीय टीम द्वारा अपने दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उचित प्रबंधन से जुड़े विषयों को लेकर प्रतिभागियों को काफ़ी गहनतापूर्वक प्रशिक्षण दिया गया। निकट भविष्य में अनुमंडलीय अस्पताल बनमनखी का राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के तहत प्रमाणीकरण होना है। जिसके लिए लगातार कई महीनों से अस्पताल में कार्य चल रहा है।
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