जयंती पर नमन…पुरवी के पुरोधा के…..

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जन्मदिवस पर विशेष

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सारण जिला के जलालपुर प्रखण्ड के ‘मिसरौलिया’ गाँव में 16 मार्च,सन् 1886 ईo के भोजपुरी माटी में,एगो अइसने प्रतिभा के जनम भइल जेकर आजु ले कवनो जोड़ नइखे।भोजपुरी ताल,लय आ सुर के साधक आ पुरबी के लोकप्रिय पुरोधा गायक पंडित महेन्दर मिसिर के बराबरी करे वाला साचहूँ आजु केहू नइखे।पूरा भोजपुरी साहित्य के इतिहास में उ अपना तरीका के एगो अकेले कवि रहलन।
लइकाई से गवनई -बजनई आ कविताई करत,जवानी में,जहाँ एक ओरी उ अंग्रेजन के धुरछक छोड़ा दिहले, त दोसरा ओर अपना देश के सेवा में भी कवनो कोर कसर ना रखले।एह सिलसिला में उनका जेलो जाये के पड़ल रहे।उनकर व्यक्तित्व बहुरंगी आ बहुआयामी रहे।उनका जिनगी पर कबो जब फिलिम बनी त देखनी हारन के ओर ना लागी।

” अइसन करेजऊ के कइसे के विसारी हो
दरदिया दे के ना,
स्याम मथुरा परइले हो दरदिया देके ना” ||

महेन्दर मिसिर जी के भोजपुरी के सबसे रसिया गीतकार मानल जाला।बाकिर उनका गीत में कबो स्त्री के देह ना उभरल।उहाँ के स्त्री खातिर जीवन भर रचत रहली।

भरम आ भंवरजाल में फसल भोजपुरी के बड़का पुरोधा महेन्दर मिसिर जी के आजु जयंती ह।जनता उहा के पुरबिया उस्ताद कहत रहे।
रामनाथ पाण्डेय द्वारा ‘महेन्दर मिसिर’ आ पाण्डेय कपिल द्वारा ‘फुलसुँघी’ नाम से उनका पर बहुत पहिले ही कालजयी उपन्यास लिखल जा चुकल बा।इनकर गीत कई दशक से आकाशवाणी से गुंजत रहल बा।
एह महान पुरवी के पुरोधा के जयंती के अवसर पर शत् शत् नमन आ श्रद्धा सुमन अर्पित।

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