यूक्रेन में तिरंगा बना रहे जान,कैसे?

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रूसी सैनिक ने हथियार तानकर पूछा- सच में इंडियन हो?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यूक्रेन में फंसे बिहार के छात्र सकुशल घरवापसी के बाद वहां की स्थिति बताते हुए रो पड़ते हैं. शुक्रवार की सुबह पूर्णिया के अमित प्रकाश और मधुबनी मिस्त्री टोला के रवि कुमार अपने घर वापस आ गये. दोनों गुरुवार को पटना से चले थे. सरकार की चारपहिलया गाड़ी से उतरते ही अमित और रवि ने पहले पिता के चरण छूए फिर पूर्णिया के धरती को प्रणाम किया. बेटे को देखते ही सभी परिजनों की आखें खुशी से नम हो गयी.

भूखे-प्यासे रहकर बंकर में गुजारे पांच दिन

अमित और रवि ने बातचीत के क्रम में यूक्रेन और वहां के हालात से उपजे संकट को शेयर किया. अमित ने बताया कि यूक्रेन के कीवी से वह अपने 11 दोस्तों के साथ 80 हजार में गाड़ी रिजर्व कर निकला. मगर, पोलैंड बॉडर से 5 किलो मीटर दूर से गाड़ी वालों ने उतार दिया. फिर पैदल चल कर पोलैंड पहुंचे जहां भारतीय दूतावास के माध्यम से होटल में रहे. वहां खाने पीने की व्यवस्था बहुत ही उत्तम थी.

पांच दिनों तक बंकर में रहा, बॉडर पर 36 घंटे तक खड़ा रहा

अमित ने बताया कि यूक्रेन में पांच दिनों तक बंकर में बिताना पड़ा. ये पांच दिन बहुत ही भयावह बीता. रवि ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि यूक्रेन से रोमानिया बॉर्डर से दस किलो मीटर पहले बस से उतार दिया गया. फिर बमबारी और बर्फबारी के बीच रोमानिया दूसरे दिन पहुंचे. इसके बाद भी बॉडर पर भीड़ रहने से 36 घंटे तक खड़ा रहना पड़ा. फिर रोमानिया घुसे जहां रहने और खाने की व्यवस्था थी.

मोदी सरकार को दिया श्रेय

दोनों छात्रों ने बताया घर पहुंच कर केंद्र और राज्य सरकार को बधाई दी. रवि व अमित ने बताया कि आज यदि घर सकुशल पहुंचे हैं तो वो मोदी सरकार की देन है. इन दोनों ने यह भी बताया कि यदि सरकार पूर्णिया में यही यूक्रेन जैसी व्यवस्था कर दे तो कोई क्यों बाहर जाएगा.

डरावने सपनों सा लग रहा आग की खौफनाक लपटें और धुआं का बवंडर

युक्रेन से सकुशल अपने घर आने के बाद रवि और अमित ने बताया कि हर तरफ दशहत का माहौल था. लगातार धमाकों की आवाज आ रही थी. आग की लपटें और धुएं का गुबार मन में डर पैदा रहा था. हर समय यही लग रहा था कि किसी तरह से घर पहुंच जाएं. जैसे ही घर पहुंचा तो मां ने सीने से लगा लिया और फिर दोनों रोने लगे. रवि ने बताया की यह सब बूरे सपने से कम नहीं था. एक-एक दिन मुश्किल से कट रहा था.

तिरंगा ने बचायी जान

रवि ने बताया कि आज यदि बस में तिरंगा लगा नहीं रहता तो हमलोगों को रूस की सेना मार देती. रवि ने बताया कि यूक्रेन के निस्टेरिया शहर से जब बस से रोमानिया बॉर्डर के लिए निकले तो रास्ते में बम बारूद की गिरते हुए देखा र कानों को फाड़ देने वाली आवाजें आ रही थी.

रूस की सेना ने पूछा कि सच में इंडियन हो

रवि ने बताया कि इसी क्रम में जिस बस में मेरे साथ साथ मेरे दोस्त सभी थे उस बस को रूस की सेना ने रोक दिया. लेकिन बस के दोनों तरफ हिंदुस्तान का तिरंगा झंडा लगा हुआ था. बस रोकने बाद रूस की सेना ने पूछा कि सच में इंडियन हो, तो रवि न बताया हम सभी इंडियन ही है. इसके बाद सेना में ही एक अन्य सेना ने पासपोर्ट देखने को मांगा तो दिखाए. इसके बाद फिर सेना ने नजदीक से अपने वतन के तिरंगे को गौर से देखने के बाद बस को आगे बढ़ने दिया.

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