Breaking

सर्द बयार में लक्ष्मीपुर में संवाद, स्वाद और उमंग की बही त्रिवेणी!

सर्द बयार में लक्ष्मीपुर में संवाद, स्वाद और उमंग की बही त्रिवेणी!

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

नए साल के स्वागत के क्रम में प्रतिभाओं का अनोखे अंदाज़ में किया गया उत्साहवर्धन

रानी लक्ष्मी बाई स्पोर्ट्स एकेडमी में नन्हे कदम फाउंडेशन के सहयोग से आयोजन

कम संसाधन, गरीबी, सामाजिक बंधनों के बावजूद लड़कियों का खेल के प्रति जुनून एक मिसाल है।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

खेल प्रतिभाओं की तपस्यास्थली लक्ष्मीपुर। ग्रामीण क्षेत्र् के प्रतिभाओं के राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाली प्रेरणास्थली लक्ष्मीपुर। सिवान के गुरु द्रोणाचार्य श्री संजय पाठक जी की कर्मस्थली लक्ष्मीपुर।

नए साल के दूसरे दिन की लक्ष्मीपुर की साँझ बेहद निराली थी। खेल प्रतिभाओं ने उल्लास के साथ नन्हे कदम फाउंडेशन द्वारा उपलब्ध कराया गया केक काटा, चॉकलेट खाया, शिक्षाविद् गणेश दत्त पाठक से संवाद कर स्वर्णिम करियर की बात समझी। हुनर के फलसफे को समझा। खेलभावना के सकारात्मक आयामों को महसूस किया। अनोखे देसी अंदाज़ में लिट्टी चोखे का जायका चखा।

सर्द बयार अवश्य बह रही थी लेकिन रानी लक्ष्मी बाई स्पोर्ट्स एकेडमी की प्रतिभाओं ने अपने ऊर्जस्वित, प्रेरित आयाम का परिचय तो करा ही दिया। इस अवसर पर मौजूद पाठक आईएएस संस्थान के निदेशक श्री गणेश दत्त पाठक, रानी लक्ष्मी बाई स्पोर्ट्स एकेडमी के संचालक श्री संजय पाठक, Central Bank of India के सेवानिवृत वरिष्ठ बैंक प्रबंधक श्री अरुण पाण्डेय, नन्हे कदम फाउंडेशन के प्रमुख आदित्य कुमार, विपिन पाण्डेय, दिव्यांशु कुमार ने प्रतिभाओं का भरपूर उत्साहवर्धन किया और नए साल में राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रेरित किया। प्रतिभाओं का उत्साह, उमंग एक शानदार भविष्य की तरफ संकेत करता दिखा।

कच्ची-पक्की सड़कों से जब कभी आप मैरवा पहुंचेंगे तो खेतों के बीच बड़े से मैदान में कुछ लड़कियां फुटबॉल खेलते दिख जाएंगी। दरसअल ये बच्चियां सिर्फ फुटबॉल ही नहीं खेल रही होती हैं बल्कि व्यस्त रहती हैं अपने अरमानों के आसमानों को बुनने में।

बिहार की राजधानी पटना से करीब 150 किमी की दूरी पर स्थित मैरवा गांव सीवान जिले में आता है। यहां स्थित हैं रानी लक्ष्मीबाई महिला स्पोर्ट्स एकोडमी। अकादमी में गांव के आस-पास की लड़कियां फुटबॉल की ट्रेनिंग लेती हैं। इस स्पोर्ट्स एकेडमी की उपलब्धि यहीं पर खत्म नही होती। इस एकेडमी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई फुटबॉल खिलाड़ी दिए हैं। और आने वाली पीढ़ी को तैयार कर रही है।
2013 में फ्रांस में आयोजित प्रतियोगिता में देश के लिए फुटबॉल टीम का हिस्सा रह चुकी तारा का कहना है कि जब वह पहली बार खेलने के लिए घर से बाहर निकली थीं तब गांव और समाज के लोगों को यह ठीक नहीं लगा था। लेकिन आज जब वह देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं तब गांव के लोग अपने घर की बेटियों को खेलने के लिए और तारा की तरह बनने को कहते हैं।
साल 2009 में इस एकेडमी की स्थापना हुई थी। जब एक सरकारी स्कूल के टीचर संजय पाठक ने दो बच्चियों के खेल के प्रति जूनून को देखा। एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि 2009 में शिक्षक के तौर पर उनका ट्रांसफर मैरवा में हुआ तब भारत सरकार की महत्वकांक्षी खेल योजना “पंचायत युवा खेल अभियान ” चल रही थी। स्कूल की दो बच्चियां तारा खातून और पुतुल कुमारी दौड़ की प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती थीं, बच्चियों जिद करने पर मैंने दौड़ के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था की।
पहले प्रयास में ही दोनों ही बच्चियों ने block level पर गोल्ड जीत गईं। जिले के लिए दोनों का चयन हुआ वहां भी उन्होंने खेला और स्टेट लेवल पर सिल्वर और गोल्ड मेडल जीता। इन जीत के बाद तारा और पुतुल कुमारी रूकी नहीं उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश के लिए खेला। तारा खातून और पुतुल कुमारी की सफलता से उन्हें लगा कि अगर गांव की लड़कियों को सही ट्रेनिंग दी जाए तो वो देश का नाम रोशन कर सकती हैं। इसी सपने को लेर रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी की नींव डाली गई। अब तक इस अकादमी से लगभग 1 दर्जन से ज्यादा लड़कियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं तो 60 से ज्यादा राष्ट्रीय खिलाड़ी बन चुकी हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!