तुलसी विवाह आरोग्य की जड़ों को मजबूत करने का देता है संदेश भी!
सनातनी परिवारों में शुभ और मांगलिक कार्यों का भी होता है शुभारंभ
✍️ डॉक्टर गणेश दत्त पाठक, श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
महाप्रसादजननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी,
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
सनातनी परंपरा में तुलसी विवाह का त्योहार विशेष महत्व का माना जाता है। इस दिन माता तुलसी के साथ भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न कराया जाता है और सनातनी परिवारों में शुभ और मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है। लेकिन हर सनातनी परंपरा के त्योहार की तरह तुलसी विवाह का त्योहार भी एक विशेष संदेश देता है। वह संदेश है तुलसी के औषधीय महत्व को जानने का।
तुलसी विवाह का धार्मिक महत्त्व
तुलसी विवाह का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन होता है। इससे एक दिन पहले देव उठनी एकादशी को माना जाता है कि भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं। फिर अगले दिन तुलसी जी के साथ विवाह रचाते हैं। तुलसी विवाह का दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने का दिन भी होता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि रहती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है।
तुलसी पूजनीय और पवित्र पौधा
तुलसी के पौधे का घर आंगन में मौजूद होना ही आरोग्य की गारंटी होती है, जो सुख और समृद्धि का आधार भी बनती है।
शास्त्रों और आयुर्वेद, दोनों में ही तुलसी के पौधे को घर में लगाने के कई लाभकारी फायदे बताए गए हैं। पौराणिक ग्रंथों में तुलसी के पौधे को पूजनीय, पवित्र और देवी का दर्जा दिया गया है। तुलसी का पौधा हमारे लिए धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही महत्व रखता है। तुलसी वातावारण को शुद्ध और प्रदूषण रहित करने के साथ-साथ घर परिवार में आरोग्य की जड़ें मज़बूत करती है और श्रद्धा भाव को भी जीवित रखती है।
तुलसी सर्वदोष निवारक औषधि
दयानंद आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुधांशु शेखर त्रिपाठी बताते हैं कि तुलसी को सर्व दोष निवारक, सर्व सुलभ तथा सर्वोपयोगी बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि तुलसी की सेवा और आराधना से व्यक्ति स्वस्थ एवं सुखी रहता है। तुलसी के पौधे के आस-पास सकारात्मक ऊर्जा होती है। तुलसी में एंटीबायोटिक, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। तुलसी के पत्ते नियमित रूप से खाने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह नियंत्रित होता है साथ में इंसान की उम्र भी बढ़ती है। तुलसी को रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का मजबूत आधार भी माना जाता है।
आज सनातनी परंपरा के श्रद्धालुजन निश्चित तौर पर श्रद्धा पूर्वक माता तुलसी के विवाह का आयोजन कर आस्था का आनंद लेंगे। लेकिन साथ ही यदि तुलसी के औषधीय महत्व को समझने का प्रयास करेंगे तो यह त्योहार के सार्थकता की प्राप्ति भी होगी।
यह भी पढ़े
रौशन हत्याकांड के तीन आरोपियों को नवादा पुलिस ने दबोचा, पास से हथियार भी बरामद
दोस्त की प्रेमिका पर निगाह डाली तो फ्रेंड ने करा दिया हत्या
डीएओ की उपस्थिति में हुई अगहनी धान फसल की कटनी
पटना में दो युवकों को मारी गोली, प्रेम-प्रसंग में अपराधियों ने दिया घटना को अंजाम
प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग प्रदर्शनी में सराहे गए बच्चों के मॉडल