तुलसीदास चंदन घिसैं तिलक देत रघुवीर.., चित्रकूट में छिपा है इस चौपाई का रहस्य.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जयंती पर विशेष
चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीड़…तुलसीदास चंदन घिसैं, तिलक देत रघुवीर…। चित्रकूट का नाम लेते ही यह चौपाई हर रामभक्त के मुख पर आ ही जाती है लेकिन इसे किसने गढ़ा था। यह बहुत कम लोगों को ही मालूम है, इस चौपाई को तोता रूप बनाकर हनुमानजी ने गढ़ा था। इसकी हकीकत चित्रकूट की तुलसी गुफा में तोतामुखी हनुमान जी का मंदिर बयां कर रहा है।
ऐसा कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास अपने आराध्य श्रीराम की दर्शन अयोध्या और काशी में वास किया लेकिन दर्शन चित्रकूट के रामघाट में हुए और वह भी तोता रूप में हनुमान जी की मदद से। यहां के लोगों के बीच प्रचलित है कि रामघाट पर तुलसीदास जी दो बालकों को चंदन का तिलक लगा रहे थे। इसी बीच तोता रूपी हनुमानजी ने चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीड़… तुलसीदास चंदन घिसैं, तिलक देत रघुवीर चौपाई गढ़ी थी। उनके मुख से यह चौपाई सुन तुलसीदास ने बालकों के रूप में खड़े भगवान राम और लक्ष्मण को पहचान लिया और भाव विभोर होकर अपने आराध्य के पैरों में गिर गए। तब श्रीराम और लक्ष्मण के साथ हनुमानजी ने वास्तविक रूप में तुलसीदासजी को दर्शन दिए थे।
तुलसी गुफा में है तोतामुखी हनुमानजी का मंदिर
ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास ने रामचरित मानस से सात कांडों का लेखन काशी में किया था। फिर भगवान राम के दर्शन के लिए चित्रकूट आ गए थे। मंदाकिनी तट रामघाट में पर्णकुटी के बगल में एक गुफा में निवास स्थान बनाया था। आज यह स्थान तुलसी गुफा के नाम से प्रसिद्ध है। यहीं पर तोतामुखी हनुमान जी का भी मंदिर है। पर्यटन विभाग इन स्थल को विकसित कर रहा है।
रामघाट में काशी के तर्ज पर आरती
मंदाकिनी के जिस रामघाट पर गोस्वामी जी ने भगवान राम के मस्तक में चंदन लगाया था। वहां पर गोस्वामी जी विशाल प्रतिमा लगी है। अब मंदाकिनी आरती भी शुरू हो गई है। पर्यटन विभाग घाट में आरती के लिए सात चबूतरे व छत्र बना रहा है। पर्यटन अधिकारी शक्ति सिंह बताते हैं कि चित्रकूट के पर्यटन हब सरकार बना रही है। मुख्य फोकस रामघाट पर है। तुलसी गुफा का सुंदरीकरण किया जा रहा है।