जीविका आश्रम में बारह दिवसीय लोहारी कार्यशाला का हुआ समापन
इंटेक, नई दिल्ली के सौजन्य से आयोजित हुई यह कार्यशाला
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जबलपुर से 30 किलोमीटर दूर इंद्राना ग्राम स्थित जीविका आश्रम में लोहार कारीगरों के साथ चल रहे 12 दिवसीय डिजाइन-विकास कार्यशाला का विधिवत समापन हुआ।
इंद्राना से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित कालाडूमर गाँव का लौह-शिल्प जबलपुर एवं आसपास के जिलों में अपने नक्काशी एवं धारदार सरोंतों के लिए वर्षों से जाना जाता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में पान मसाले के पॉउचों के चलन में आने के बाद इन सरोंतों का चलन धीरे-धीरे कम होता गया। जिसके कारण इस कला में पारंगत लोहारों का काम कम होते-होते विलुप्ति की कगार पर पहुँच गया। इस पृष्ठभूमि में कालाडूमर के लोहार परिवारों के साथ इंद्राना ग्राम के सक्रिय लोहारों के साथ यह प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।
इंटेक, नई दिल्ली के सौजन्य से गत 17 फरवरी से इंटेक, जबलपुर चैप्टर द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में लौह-कारीगरों के साथ मिलकर वर्तमान में चल सकने वाले कुछ नए उत्पाद विकसित किये गए। प्रशिक्षण का दायित्व डिजाइनर अक्षय चांदेकर कर रहे थे, जो कि स्वयं राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (NID) अहमदाबाद से परा-स्नातक हैं, और NID, असम समेत भारत के अनेक डिज़ाइन संस्थानों में बतौर अध्यापक अपनी सेवाएँ दे चुके हैं।
कार्यशाला के दौरान जबलपुर संभाग के संयुक्त कमिश्नर श्री अरविन्द यादव, इंटेक, नई दिल्ली के क्राफ्ट रीवाइवल सेंटर की डायरेक्टर श्रीमति बिन्दु मनचन्दा, इंटेक, नई दिल्ली के ही श्री प्रवीण तिवारी जी, इंटेक, मध्यप्रदेश के कन्वेनर सेवानिवृत्त मेजर जनरल श्री सिद्धू जी, प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर श्री बसन्त मिश्रा जी, इंटेक जबलपुर के कन्वेनर श्री संजय मेहरोत्रा जी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यशाला का भ्रमण कर प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाया।
इंटेक, देश की नामी संस्था है, जो कि भारत की धरोहर को संजोकर रखने का काम पिछले 40 वर्ष से निरन्तर करती आ रही है। जीविका आश्रम, स्थानीय कला-कारीगरी-भारतीय जीवनशैली आदि को बीज रूप में संरक्षित करने के कार्य में संलग्न है।
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