पुलिस के लिए मुसीबत बने दो बैल,क्यों ?

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नीलामी में भी नहीं बिक रहे अब

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के गोपालगंज जिले की पुलिस और उत्पाद विभाग के लिए दो बैल परेशानी का सबब बन गए हैं. दो बैल पुलिस के लिए ऐसी मुसीबत बने हैं, कि तमाम मामलों को सुलझाने वाली पुलिस खुद फंसी हुई है. दरअसल यह पूरा मामला जादोपुर थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. जादोपुर पुलिस के पास आठ महीनों से यह बैल जोड़ा है. हालांकि पुलिस ने इन दोनों बैलों की देखरेख का जिम्मा एक किसान को दे दिया है. बैल भी कम परेशान नहीं दिख रहे.

गोपालगंज की पुलिस के लिए दो बैल मुसीबत बन गए हैं। ये बैल अकेले नहीं हैं। इनके साथ एक बैलगाड़ी भी है। पुलिस चाहती है कि बैल और बैलगाड़ी से पिंड छूटे। इसके बावजूद ऐसा हो नहीं पा रहा है। मामला गोपालगंज के जादोपुर थाने से जुड़ा हुआ है। जादोपुर थाने की पुलिस पिछले आठ महीने से इन बैलों की चिंता कर रही है।

बैलों की गलती- मालिक ही गलत मिल गया था 

ये बैल जनवरी से ही पुलिस के जिम्‍मे हैं। बैलों की गलती यह है कि उनका मालिक गलत मिल गया था। पुलिस की परेशानी यह है कि उनके पास शराबबंदी लागू करने की जिम्‍मेदारी है। जनवरी महीने में जब पुलिस पर इन बैलों की जिम्‍मेदारी आन पड़ी, तो थाने ने पास के एक गांव वाले को इन्‍हें रखने के लिए तैयार किया। अब बैलों को थाने में बिठाकर भला कौन सानी-पानी देता।

60 हजार रुपए में बिक रहे थे बैल और बैलगाड़ी 

पुलिस महकमे ने बैलों और बैलगाड़ी की चिंता से मुक्‍त‍ि पाने के लिए गोपालगंज के डीएम को रिपोर्ट दी। गोपालगंज डीएम ने बैलों और बैलगाड़ी की कीमत निर्धारित करते हुए इनकी नीलामी की तारीख भी तय कर दी। लेकिन, 60 हजार रुपए में इन्‍हें खरीदने के लिए कोई सामने नहीं आया। लिहाजा ये बैल अभी पुलिस के जिम्‍मे ही रहेंगे।

25 जनवरी की शाम पकड़े गए थे दोनों बैल 

यह मामला गणतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले शुरू हुआ। 25 जनवरी 2022 को शाम के पौने आठ बजे के करीब रामपुर टेंगराही गांव के समीप बांध पर बैलगाड़ी को पकड़ा गया था। तत्‍कालीन थानाध्‍यक्ष मिथ‍िलेश प्रसाद सिंह के बयान पर मामला दर्ज किया गया था। प्राथमिकी के मुताब‍िक एंटी लिकर टास्‍क फोर्स ने इस बैलगाड़ी को शराब तस्‍करी के मामले में जब्‍त किया था।

जिम्‍मेनामा पर ग्रामीण को दिए गए हैं बैल

दोनों बैल एक स्‍थानीय ग्रामीण को जिम्‍मेनामा पर दिए गए हैं। यह ग्रामीण इन बैलों को पिछले आठ महीने से सानी-पानी दे रहा है। वह चाहे तो इन बैलों का इस्‍तेमाल तो कर सकता है, लेकिन इस दौरान उसे बैलों की सेहत का पूरा ख्‍याल रखना होगा। बैलों को अगर ग्रामीण की लापरवाही से कोई नुकसान हो गया, तो वह पशु क्रूरता अधिनियम में फंस सकता है।

पुलिस के मुताबिक, गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले यानी 25 जनवरी 2022 को शाम के पौने आठ बजे के करीब रामपुर टेंगराही गांव के समीप शराब की तस्करी के आरोप में एक बैलगाड़ी को पकड़ा गया था. तत्कालीन थानाध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद सिंह के बयान पर मामला दर्ज किया गया था. प्राथमिकी के मुताबिक एंटी लिकर टास्क फोर्स ने इस बैलगाड़ी को शराब तस्करी के मामले में जब्त किया था और कुछ शराब बरामद किए गए थे.

इसके बाद जब्त किए गए दो बैल की जिम्मेदारी थाना पुलिस पर आ पड़ी. कुछ दिन तो दोनो बैल थाना परिसर में रहे, लेकिन बाद में पुलिस ने परेशानी देखते हुए थाने ने पास के एक गांव वाले को इन्हें रखने के लिए तैयार किया. पुलिस का कहना है कि बैलों को थाने में रखना आसान नहीं था. इस दौरान इस परेशानी की जानकारी जब जिलाधिकारी को बताई गई तब उन्होंने बैल और बैलगाड़ी की कीमत तय कर नीलामी का निर्देश दे दिया.

इस बीच, बैलों की कीमत 60 हजार रुपए तय कर दिए गए. नीलामी की दो तिथि गुजर गई लेकिन बैल और बैलगाड़ी का कोई खरीददार सामने नहीं आया. बैल अभी भी पुलिस को हिरासत में है और ग्रामीण किसान की देखरेख में है. इधर, ग्रामीण किसान भी बैलों को लेकर डरा सहमा है. ग्रामीण को डर है कि अगर बैल को कुछ हो गया तो वह भी कानूनी रूप से फंस जाएगा. इधर, गोपालगंज के उत्पाद अधीक्षक राकेश कुमार कहते हैं कि बैलों को नीलामी के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो भी कानून सम्मत कार्रवाई है वह जारी है.

 

 

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