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यूएचएसएनडी सत्र: शहरी क्षेत्र की दो महिलाओं ने अंतरा की लगवाई सुई, परिवार नियोजन अपना कर पेश की मिसाल 

यूएचएसएनडी सत्र: शहरी क्षेत्र की दो महिलाओं ने अंतरा की लगवाई सुई, परिवार नियोजन अपना कर पेश की मिसाल

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महिलाओं के गर्भधारण रोकने में यह 99.7% प्रभावी: सिविल सर्जन

नियत तिथि से 14 दिन पहले या 28 दिन बाद तक अंतरा की सुई लगवा सकती हैं महिलाएं: एमओआईसी

लाभार्थी एवं प्रोत्साहित करने वाले को दी जाती है प्रोत्साहन राशि: सलाहकार

महिलाएं अपनी इच्छानुसार अंतरा की लगवा सकती हैं सुई: पीएसआई

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


परिवार नियोजन को लेकर इच्छुक महिलाएं अपनी रुचि व पसंद के हिसाब से स्थायी और अस्थायी प्रक्रिया का चयन आसानी से कर सकती हैं। यह बच्चों में अंतर रखने का सबसे आसान तरीका है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध अंतरा की सुई काफी कारगर मानी जाती है। जिसको लेकर वीएचएसएनडी के दिन शहरी क्षेत्र के वार्ड संख्या- 38 के अंतर्गत सरदार टोला मुहल्ला के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या- 108 पर सेविका पूजा कुमारी, एएनएम संगीता कुमारी, पीएसआई इंडिया के जिला प्रबंधक अयाज़ असरफी, परिवार नियोजन समन्वयक प्रेम रंजन के द्वारा स्थानीय पोषक क्षेत्रों की महिलाओं को परिवार नियोजन को लेकर जागरूक किया गया। यहां सरदार टोला मुहल्ला निवासी अरुण साह की 24 वर्षीय पत्नी निपु देवी एवं भागवत साह की 25 वर्षीय पत्नी रिभा देवी ने जागरूक होकर अंतरा की पहली डोज लगवाई।

महिलाओं के गर्भधारण रोकने में यह 99.7% प्रभावी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि अंतरा महिलाओं के लिए एक सरल एवं सुरक्षित असरदार साधन है। अंतरा की सुई लेने से महिलाओं के शरीर में प्रत्येक महीने अंडा नहीं बनता है। गर्भाशय की तैयारी के लिए गर्भाशय की अंदरुनी परत मोटी नहीं होती है। जिस कारण गर्भाशय के मुख्य द्वार पर गाढ़ा स्राव जमा हो जाता है। जिससे शुक्राणु गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाता है। अगर सुई लगवाने में कोई गलती ना हो तो 100 में से एक से भी कम महिला ने गर्भाधान किया है। यानी गर्भधारण रोकने में यह 99.7% प्रभावी होता है। तिमाही लगने वाले इंजेक्शन का पूरा नाम मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रोन एसीटेट है।

नियत तिथि से 14 दिन पहले या 28 दिन बाद तक अंतरा की सुई लगवा सकती हैं महिलाएं: एमओआईसी
गुलाबबाग के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रवि रौशन ने बताया कि अनचाहे गर्भ से निज़ात पाने के लिए अंतरा बहुत ही असरदार विधि है। इसकी सुई लगाने से 3 महीने तक गर्भधारण की संभावना नहीं होती है। इस विधि को दूध पिलाती मां भी आसानी से अपना सकती है। नवजात शिशुओं को पीने के लिए दूध की मात्रा और गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता और ना ही शिशु पर कोई हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यदि महिला ठीक 3 महीने बाद इंजेक्शन लगवाने नहीं आती तो निर्धारित तिथि से 14 दिन पहले 28 दिन बाद तक भी सुई लगवा सकती है।

 

लाभार्थी एवं प्रोत्साहित करने वाले को दी जाती है प्रोत्साहन राशि: सलाहकार
जिला शहरी स्वास्थ्य सलाहकार मोहम्मद दिलनवाज़ ने बताया कि दो बच्चों के बीच अंतराल एवं अनचाहे गर्भ से बचाव के लिए नवीन गर्भ निरोधक- ‘अंतरा’ की सुई उन महिलाओं को लगाया जाता है, जिन्हें एक या दो बच्चों के बाद गर्भ में अंतर रखने के लिए दिया जाता है। इस तरह साल में अंतरा की चार सुई दी जाती है। साथ ही सरकार द्वारा अंतरा इंजेक्शन लगवाने पर प्रति डोज या सुई लाभार्थी को 100 रुपए एवं उत्प्रेरक को भी 100 रुपए स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिया जाता है।

 

महिलाएं अपनी इच्छानुसार अंतरा की लगवा सकती है सुई: पीएसआई
पीएसआई इंडिया के जिला प्रबंधक अयाज़ अशरफी ने बताया कि प्रजनन काल की सभी उम्र की महिलाएं जिन्हें एक भी बच्चा नहीं है या फिर एक से अधिक है एवं जिनका गर्भपात हुआ हो वह इसका इस्तेमाल आसानी से कर सकती हैं। जिन महिलाओं में खून की कमी, अनियमित मासिक धर्म, बच्चेदानी का ट्यूमर, उच्च रक्तचाप, थायराइड या टीबी की बीमारी हो तो उस स्थिति में चिकित्सीय परामर्श के बाद ही परिवार नियोजन से संबंधित स्थायी या अस्थाई साधन को अपना सकती है। वही शिशु को स्तनपान कराने वाली या फिर धूम्रपान करने वाली महिलाएं अगर वह 6 सप्ताह या 43 दिन हो गए हो तो इस तरह की सभी महिलाएं स्वेच्छा से अंतरा की सुई लगवा सकती हैं।

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