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LetsInspireBihar अभियान के अंतर्गत युवा संवाद का क्रम पुनः गतिमान है ! - श्रीनारद मीडिया

LetsInspireBihar अभियान के अंतर्गत युवा संवाद का क्रम पुनः गतिमान है !

LetsInspireBihar अभियान के अंतर्गत युवा संवाद का क्रम पुनः गतिमान है !

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सारण में #युवासंवाद ! #LetsInspireBihar अभियान के अंतर्गत युवा संवाद का क्रम पुनः गतिमान है ! वर्ष 2022 के प्रथम युवा संवाद का आयोजन #सारणअध्याय द्वारा #छपरा जिला मुख्यालय स्थित एकता भवन में किया गया जिसमें लोकगायन में पद्मश्री से अलंकृत रामचन्द्र मांझी जी, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति प्रो. फ़ारुख अली जी, छपरा के माननीय विधायक डॉ. सी एन गुप्ता जी, रामकृष्ण मिशन के स्वामी अतिदेवानंद जी, एडीएम गगन जी, औरंगाबाद के प्रमुख समाजसेवी लव कुमार सिंह जी, पटना के समाजसेवी गौतम कात्यायन जी, सारण अध्याय से जुड़े राजन सिंह जी, मंटू यादव जी, रजनीश कुमार जी, शुभम शर्मा जी, मनीष सिंह जी, अविनाश प्रताप रूडी जी, सोनल गिरी जी, शिवशंकर जी, रमन जी, सुमंत जी, अभय पांडे जी, सत्यानंद जी, संजीव चौधरी जी, उज्ज्वल जी सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामय सहभागिता रही ।

कार्यक्रम में संबोधन के क्रम में मैंने सर्वप्रथम सारण की प्राचीन भूमि को नमन किया, जहाँ चिरंद जैसे ऐतिहासिक स्थलों में नवपाषाण काल से आधुनिक काल तक क्रमवार सभ्यता के विकास के संकेतक पुरातात्विक अवशेषों के साथ स्पष्ट मिलते हैं, और बताया कि क्षेत्र के आध्यात्मिक महत्व को सोनपुर पहुंचकर साक्षात रूप में अनुभव किया जा सकता है जहाँ अवस्थित हरिहरनाथ मंदिर क्षेत्र प्राचीन गजेंद्र मोक्ष (गज-ग्राह संग्राम) की कथा का स्मरण कराता है और अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक प्रसंगो का मूक साक्षी भी रहा है ।

संबोधन के क्रम में उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए मैंने बताया कि “आइए, मिलकर प्रेरित करें बिहार !” या “Let’s Inspire Bihar !” मातृभूमि की समृद्ध विरासत से प्रेरित तथा नव बिहार गढ़ने के लिए स्वैच्छिक रूप से संकल्पित युवाओं एवं प्रबुद्धजनों का सामुहिक अभियान है जिसमें जुड़े व्यक्तियों द्वारा लघुवादों (जातिवाद, सम्प्रदायवाद इत्यादि) से उपर उठकर राष्ट्रहित में भविष्यात्मक दृष्टिकोण को अंतर्मन में स्थापित करके #शिक्षा, #समता एवं #उद्यमिता जैसे विकास के आधारभूत क्षेत्रों में बृहतर चिंतन के साथ संगठित होकर योगदान समर्पित करने का प्रयास किया जा रहा है तथा कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने आचरण तथा विरासत में समाहित दृष्टि तथा प्रेरणा के साथ प्रेरणास्त्रोत बनकर दूसरों को प्रेरित किया जा रहा है, ताकि उज्ज्वलतम भविष्य का निर्माण संभव हो सके और आनेवाली पीढ़ियाँ हम पर भविष्य निर्माता के रूप में गर्व कर सकें ।

अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए मैंने बताया कि बाल्यकाल से ही चुनौतियाँ मुझे अत्यंत आकर्षित करती रही हैं चूंकि समस्याओं को सुलझाने में मुझे आत्मीय संतुष्टि सदैव मिलती है । मेरा मानना है कि यदि कोई भी समस्या हमें चिंतित करती है तो उससे बचना उसका समाधान नहीं है । समस्या स्वतः समाप्त नहीं होती अपितु उसके समाधान के लिए उसके मूल कारकों पर चिंतन करते हुए उसे समूल नष्ट करने हेतु सशक्त प्रयास करना पड़ता है ।

यदि मन में भाव शुद्ध हों तथा प्रयास में निष्ठा के साथ दृढ़ संकल्प भी हो तो समाधान के मार्ग स्वतः प्रशस्त हो जाते हैं । मैंने यह साझा किया कि विद्यार्थी जीवन में ही बिहार की अनेक दीर्घकालिक समस्याओं से मेरा साक्षात्कार हुआ और तब किस प्रकार बिहार की ऐतिहासिक विरासत ने ही मुझे वर्तमान में उज्ज्वलतम भविष्य के निर्माण हेतु योगदान के लिए प्रेरित करते हुए एक अभियंता, जो आईआईटी से पढ़कर विदेशों में आराम से नौकरी कर सकता था, से सामाजिक परिवर्तन हेतु संकल्पित एक पुलिस पदाधिकारी के रूप में परिवर्तित कर दिया ।

अपने पूर्व कार्यकालों में बगहा तथा रोहतास में विरासत से प्रेरित वास्तविक परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए मैंने बताया कि जो परिवर्तन कभी असंभव माने जाते थे, वह भी संभव सिद्ध हुए । मैंने यह स्पष्ट अनुभव किया है कि विरासत में अद्भुत प्रेरणा समाहित है जो वर्तमान को आलोकित तथा भविष्य को उज्ज्वलतम कर सकती है ।

इसी प्रेरणा को सभी युवाओं के मध्य प्रसारित करने के लिए ही अवकाश के पलों, जिन्हें आराम से घर में विश्राम की मुद्रा में व्यतीत कर सकता था, का उपयोग भी बिहार के भिन्न-भिन्न जिलों में भ्रमण कर युवाओं के साथ संवाद स्थापित करने हेतु किया जाता है चूंकि मेरा मानना है कि हम उन्हीं यशस्वी पूर्वजों के वंशज हैं जिनमें अखंड भारत के साम्राज्य को स्थापित करने की क्षमता तब थी जब न आज की भांति विकसित मार्ग थे, न सूचना तंत्र और न उन्नत प्रौद्योगिकी । यह हमारे पूर्वजों के चिंतन की उत्कृष्टता ही थी जिसने बिहार को ज्ञान की उस भूमि के रूप में स्थापित किया जहाँ वेदों ने भी वेदांत रूपी उत्कर्ष को प्राप्त किया । ज्ञान की परंपरा ने ही कालांतर में ऐसे विश्वविद्यालयों को स्थापित होते देखा जहाँ संपूर्ण विश्व के विद्वान अध्ययन हेतु लालायित रहते थे ।

उर्जा निश्चित आज भी वही है, आवश्यकता केवल चिंतन की है कि उर्जा का प्रयोग हम कहाँ कर रहे हैं । यदि हम चिंता नहीं अपितु चिंतन करें और आपस में संघर्ष नहीं अपितु सहयोग करें, तो उज्ज्वलतम भविष्य के निर्माण का अवरोध भला कौन कर सकता है ।आवश्यकता लघुवादों यथा जातिवाद, संप्रदायवाद आदि संकीर्णताओं से परे उठकर राष्ट्रहित में आंशिक ही सही परंतु कुछ निस्वार्थ सकारात्मक सामाजिक योगदान समर्पित करने की है । आवश्यकता यह है कि हम केवल स्वयं तक सीमित मत रहें तथा बिहार की विरासत में समाहित अद्भुत प्रेरणा का प्रसार करें । हर वांछित परिवर्तन संभव है !

अभियान से जुड़ने के लिए इस लिंक का प्रयोग कर सकते हैं –

https://forms.gle/bchSpPksnpYEMHeL6

 

 

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