राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत केंद्रीय टीम ने जिले के चारों प्रखंडों का किया दौरा
प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा कालाजार प्रभावित गांवों में रोगियों की कराई जाती है खोज: डीवीबीडीसीओ
जनवरी से नवंबर तक 58 कालाजार मरीजों की हुई पहचान: वीडीसीओ
केंद्रीय टीम ने अंतिम दिन गोरेयाकोठी और लकड़ी नबीगंज का दौरा कर मरीजों से ली जानकारी: जिला प्रतिनिधि
श्रीनारद मीडिया, सिवान, (बिहार):
सीवान जिले में कालाजार उन्मूलन अभियान को लेकर बेहतर प्रयास किया जा रहा है, जो सार्थक भी दिख रहा है। वर्तमान में देखा जाए तो कालाजार संक्रमित मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है। जिले के द्वारा कालाजार उन्मूलन के लिए भारत सरकार का मानक प्राप्त किया गया है। उक्त बातें राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) के तहत जिले में आई केंद्रीय टीम के सदस्य सह एनवीबीडीसीपी के पूर्व संयुक्त निदेशक सह वर्तमान में पिरामल स्वास्थ्य के राष्ट्रीय सलाहकार डॉ विनोद कुमार रैना (डॉ वीके रैना) ने अपने दो दिवसीय दौरे के अंतिम दिन गोरेयाकोठी के आज्ञा और लकड़ी नबीगंज के चौमुखा गांव के कालाजार मरीजों से मिलने के बाद कही। इस अवसर पर जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ मणि राज रंजन, वेक्टर जनित नियंत्रण पदाधिकारी (वीडीसीओ) राजेश कुमार, पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुंदन कुमार, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी शामिल थे।
प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा कालाजार प्रभावित गांवों में रोगियों की कराई जाती है खोज: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ मणि राज रंजन ने बताया कि जिले में समय-समय पर अभियान चलाकर कालाजार प्रभावित गांव में कालाजार रोगी की पहचान की जा रही है। इसके लिए जिले के सभी आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। आशा कार्यकर्ता अपने पोषक क्षेत्रों में समयावधि के अंदर सभी घरों में कालाजार से संबंधित संदिग्ध मरीजों को दूंढने के बाद प्रतिदिन की रिपोर्ट अपने आशा फैसिलिटेटर को देती है। वहीं वीबीडीएस संदिग्ध कालाजार रोगियों का सत्यापन कर उसकी जांच को सुनिश्चित करवाते हैं। आशा कार्यकर्ताओं के क्षेत्र भ्रमण पर आशा फैसिलिटेटर के द्वारा निगरानी की जाती है। आशा कार्यकर्ता, कालाजार के लक्षण वाले मरीज को पीएचसी रेफर करती हैं। जहां चिकित्सकों द्वारा मरीज की जांच आर के 39 किट से जांच की जाती है।
जनवरी से नवंबर तक मात्र 58 कालाजार मरीजों की हुई पहचान: वीडीसीओ
वेक्टर जनित नियंत्रण पदाधिकारी (वीडीसीओ) राजेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2021 में कालाजार के 185 मरीजों की पहचान की गई थी। जिसमें वीएल के 112 जबकि पीकेडीएल के 73। वहीं वर्ष 2022 में कालाजार के 108 मरीजों की शिनाख्त हुई थी। जिसमें वीएल के 57 जबकि पीकेडीएल के 51थे। इसी तरह वर्ष 2023 के जनवरी से नवंबर तक मात्र 58 कालाजार मरीजों की खोज की गई है। जिसमें वीएल के 39 जबकि पीकेडीएल के 19 मरीज शामिल हैं। बता दें कालाजार उन्मूलन के लिए जिले में लगातार छिड़काव कराया जाता है। ताकि कालाजार उन्मूलन अभियान को शत प्रतिशत सफ़लता मिल सके। साथ ही मरीजों की संख्या शून्य करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।
केंद्रीय टीम ने अंतिम दिन गोरेयाकोठी और लकड़ी नबीगंज का दौरा कर मरीजों से ली जानकारी: जिला प्रतिनिधि
पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुंदन कुमार ने बताया कि गोरेयाकोठी प्रखंड के आज्ञा गांव में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य नीलम देवी और महम्मद हबीब से केंद्रीय टीम ने फाइलेरिया (हाथी पांव) से ग्रसित होने के बाद होने वाली कठिनाइयों को जाना। इससे अवगत होने के बाद बचाव और सुरक्षित रहने के साथ ही दूसरों को भी जागरूक करने के आवश्यक दिशा- निर्देश दिए गए। इस अवसर पर सीफार के डीसी जमाल अख्तर, बीसी मधु कुमारी उपस्थित थी। वहीं लकड़ी नबीगंज के चौमुखा गांव निवासी प्रीतम कुमार से पिरामल के बीसी अभिषेक सिंह सहित टीम के सभी सदस्यों की उपस्थिति में कालाजार बीमारी से ठीक होने के बाद हुए बदलाव और सरकार द्वारा मिलने वाली सहयोग राशि से संबंधित जानकारी ली गई। इसके बाद लकड़ी नबीगंज सीएचसी पहुंच वीबीडीएस आरती कुमारी और लिपिक विजय शंकर सिंह से जानकारी लेने बाद टीम गोरेयाकोठी सीएचसी पहुंची। वहां पहुंचने के बाद बीएचडब्ल्यू संजय श्रीवास्तव और पिरामल के बीसी विजय कुमार से कालाजार बीमारी और सहयोग राशि से संबंधित बातचीत कर जानकारी ली गई।
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