यूपी स्पेशल-80@ भाजपा क्यों हारी, वोट घटने के क्या कारण है?
जातियां छिटकीं, दलित भटके
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भाजपा में हार पर मंथन शुरू हो गया है। किसी ने कहा कि कई जातियां छिटकने से हार गए। कोई बोला संगठन निष्क्रिय रहा। किसी ने कार्यकर्ताओं की उदासीनता की बात की तो किसी ने हार का ठीकरा भितरघातियों पर फोड़ा। टिकटों का जल्दी घोषित होना भी कुछ लोगों ने चुनाव की हवा बिगड़ने का कारण बताया।
ऐसी तमाम बातें भाजपा के अवध क्षेत्र की सीटों से हारे प्रत्याशियों ने कहीं। पार्टी द्वारा क्षेत्रवार की जा रही समीक्षा के क्रम में गुरुवार को उन्हें प्रदेश कार्यालय पर बुलाया गया था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने अवध क्षेत्र के जीते और हारे प्रत्याशियों से अलग-अलग बात की।
केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार की ताजपोशी के बाद अब यूपी में हार के कारणों की समीक्षा का सिलसिला शुरू हो गया है। पार्टी ने दो स्तर पर समीक्षा का सिलसिला शुरू किया है। एक ओर सभी प्रत्याशियों से क्षेत्रवार चर्चा कर उनकी हार के कारण पूछे जा रहे हैं।
साथ ही सुधार के लिए उनके सुझाव भी लिए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत गुरुवार को अवध क्षेत्र से हुई। अवध में शामिल 16 लोकसभा सीटों में से लखनऊ के सांसद व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और गोंडा के सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह और बाराबंकी की प्रत्याशी को छोड़ बाकी सभी पहुंचे। दूसरी ओर हार के जमीनी कारणों का पता लगाने के लिए एक 80 लोगों की टॉस्क फोर्स भी बनाई गई है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो कौशल किशोर, साक्षी महाराज, रेखा वर्मा, अजय मिश्रा टेनी, दिनेश प्रताप सिंह, लल्लू सिंह, राजेश वर्मा और रितेश पांडेय ने अलग-अलग चर्चा में अपनी हार के कारण बताए। सभी ने संविधान बदलने और आरक्षण खतरे में होने के विपक्षी दांव के चलते नुकसान होने की बात कही। अयोध्या के प्रत्याशी लल्लू सिंह ने पार्टी के कई लोगों पर सहयोग न करने का आरोप लगाया।
कौशल किशोर, साक्षी महाराज, रेखा वर्मा, दिनेश प्रताप सिंह द्वारा भी कुछ ऐसे ही आरोप लगाए जाने की खबर है। प्रत्याशियों ने यह भी कहा कि जल्दी टिकट घोषित होने के कारण भी माहौल बिगाड़ने वालों को ज्यादा मौका मिला। वहीं चुनाव जीतने वाले हरदोई और मिश्रिख के सांसदों ने प्रदेश नेतृत्व का आभार जताया। शुक्रवार को कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रत्याशियों संग हार के कारणों पर चर्चा होनी है।
आज होगी टास्क फोर्स की बैठक
यूपी में चुनावी नतीजे भाजपा की अपेक्षा के प्रतिकूल रहे। अब पार्टी ने एक 80 सदस्यों वाली टास्क फोर्स बनाई है। यह टॉस्क फोर्स 15 जून से तय लोकसभा क्षेत्रों में जाएगी। एक टीम में दो सदस्य होंगे। हर टीम को दो-दो लोकसभा क्षेत्र दिए गए हैं। हर लोकसभा क्षेत्र में टीम 3 से 4 दिन रहेगी। शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में इस टास्क फोर्स की बैठक होगी।
बैठक में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह मौजूद रहेंगे। टास्क फोर्स के सदस्यों को वे बिंदु बताए जाएंगे, जिन पर उन्हें अपनी रिपोर्ट तैयार करनी है। इनमें संगठन की स्थिति, सामाजिक समीकरण कैसे गड़बड़ाए, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का असर, प्रत्याशी की स्थिति सहित अन्य बिंदु शामिल हैं। इन टीमों में प्रदेश और क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ ही कुछ जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।
भाजपा ने इस बार यूपी की 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। मगर पार्टी 33 और 36 के आंकड़े पर अटक गया। यूपी की हार का असर सीधे राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की सेहत पर पड़ा और भाजपा 240 सीटों तक ही पहुंच सकी।
अब केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के साथ ही हार के कारणों की समीक्षा का सिलसिला भी शुरू हो गया है। भाजपा की चिंता का मुख्य कारण प्रदेश में वोट शेयर का 8 फीसदी से अधिक घटना है। खासतौर से वाराणसी और लखनऊ सीटों पर जीत का अंतर घटने से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप है। शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय पर हार की समीक्षा के लिए लोकसभा क्षेत्रों में भेजी जाने वाली टीमों की बैठक हुई।
सबसे संपर्क कर जानें जमीनी कारण
प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने कहा कि हर टीम को हार के कारणों की जमीनी स्तर पर पड़ताल करनी है। फोटो के चक्कर में फंसे बिना सबसे संपर्क कर जानना है कि वोट प्रतिशत किन कारणों से कम हुआ। संविधान बदलने के आरोपों के अलावा भी क्या कोई और कारण रहे। सारे कारणों का जिक्र रिपोर्ट में होना चाहिए। सभी टीमों से मंडल और जिला इकाइयों, विधानसभा संयोजकों, पूर्व प्रत्याशियों, लोकसभा संयोजकों, प्रभारियों सहित अन्य लोगों से संपर्क कर असल कारणों की पड़ताल करनी है। सभी टीमों को 20 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
भाजपा की टास्क फोर्स की टीमें क्षेत्र में कई बिंदुओं पर जानकारी एकत्र करेंगी। मसलन, जातीय समीकरण कैसे गड़बड़ाए। कौन सी जातियों पार्टी से छिटकीं और इसके क्या कारण रहे। स्थानीय संगठन की चुनाव में कितनी सक्रियता रही। प्रत्याशी को लेकर किस तरह की स्थिति थी। कार्यकर्ताओं की नाराजगी के क्या कारण रहे। चुनाव लड़ने के दौरान क्या खामियां रहीं।
बैठक में पूर्व मंत्री डा. महेंद्र सिंह, मुकुट बिहारी वर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक, दिनेश शर्मा, संतोष सिंह, ब्रज बहादुर, मोहित बेनीवाल, धर्मेंद्र सिंह सुरेश राना, राज्यसभा सांसद नवीन जैन, अवध के क्षेत्रीय अध्यक्ष कमलेश मिश्रा, पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष सतेंद्र सिसोदिया, अर्चना मिश्रा, हरीश भाटी, विधायक राजीव गुंबर, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अनिल यादव, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य, सुभाष यदुवंश, रामप्रताप चौहान व अनूप गुप्ता, डा. समीर सिंह, एमएलसी रामचंद्र प्रधान सहित अन्य मौजूद रहे।
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