बटुक के जीवन में बढ़ोतरी का उत्सव है उपनयन संस्कार।
रामेश्वर तिवारी के सुपुत्र आदित्य का जनेऊ काशी में हुआ संपन्न।
यजमान रामेश्वर तिवारी के गुरू पंडित रंगनाथ उपाध्याय के निर्देशन में संस्कार समारोह हुआ संपन्न।
वाराणसी नगर के महमूरगंज स्थित श्रृंगेरी मठ के सभागार में उपनयन संस्कार का हुआ पूजन-अर्चन।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सनातनी परंपरा में उपनयन संस्कार को संस्कारों में पवित्र एवं अक्षुण माना जाता है। सनातनी मान्यता के अनुसार बच्चे के उपनयन संस्कार से बटुक को पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है तथा यह संस्कार बच्चे के बौद्धिक विकास में योगदान करता है। हमारे सनातनी परंपरा में सदियों से यह संस्कार चला आ रहा है। घर या किसी धार्मिक स्थल पर बटुक का जनेऊ शुभ मुहूर्त में होता है।
बिहार के सारण (छपरा) जिले में मशरक के मूल निवासी एवं झारखंड स्थित जमशेदपुर के खडंझगार, टेलको के रहवासी रामेश्वर तिवारी के सुपुत्र आदित्य का उपनयन संस्कार काशी स्थित श्रृंगेरी मठ के सभागार में दिनांक 07-07-2024, दिन रविवार को भव्य समारोह के साथ आयोजित किया गया।
ज्ञात हो कि रामेश्वर तिवारी दुबई स्थित स्टाॅक एक्सचेंज में बड़े अधिकारी के पद पर कार्यरत है।
हमारे समाज में उपनयन संस्कार पूरे विधि विधान से पूजन एवं कथा हवन के साथ आयोजन होता है। इस संस्कार के बाद ही विद्या आरंभ करने की परंपरा है। इस संस्कार में सारे पूजन के बाद हजाम बच्चे का मुंडन करते हैं।
लोक के मुताबिक बटुक जब भिक्षाटन करता है तो उसे स्वर्ण व चांदी और रूपये देकर मंगल आशीष एवं उपहार दिया जाता है। इस अवसर पर महिलाएं मंगल गीतों का गायन करती है। सामान्यतया सनातनी समाज में बटुक के जनेऊ की आयु सात या नौ वर्ष अतिशुभ माना जाता है। इस अवसर पर स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।
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