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वंदे भारत ट्रेन प्रारंभ में “ट्रेन 18” के नाम से जाना जाता है,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

वंदे भारत ट्रेन प्रारंभ में “ट्रेन 18” के नाम से जाना जाता है,क्यों?

वंदे भारत ट्रेन प्रारंभ में “ट्रेन 18” के नाम से जाना जाता है,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वंदे भारत एक्सप्रेस भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली रेल गाड़ी है। जिसकी रफ्तार प्रति घंटे 160 Km. है। इस प्रकार वंदे भारत एक्सप्रेस जन शताब्दी और राजधानी से भी तेज गति से चलने वाली ट्रेन है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना “मेक इन इंडिया” के तहत देश में पहली स्वदेशी सेमी हाई स्पीड रेल गाड़ी है। सिर्फ 52 सेकंड में 100 ‌Km. की स्पीड पकड़ सकती है।

भारत में पहली वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली – वाराणसी रूट पर हरी झंडी दिखाकर की थी। यह ट्रेन नई दिल्ली से चलकर कानपुर, प्रयागराज से होते हुए प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र कासी (वाराणसी) तक पहुंचती है।

वंदे भारत ट्रेन प्रारंभ में “ट्रेन 18” के नाम से जाना जाता था। क्योंकि इसे ‘मेक इन इंडिया’ के तहत मात्र 18 महीनों में दिसंबर 2018 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था। जिसे समय रहते पुरा किया गया। यह बिना अलग से इंजन की ट्रेन है जिसे पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्माण किया गया है। इसको बनाने का Integrated Coach Factory Chennai (ICF) के जेनरल मेनेजर “सुधांशु मणि” को जाता है। इसी लिए इन्हें Father Of Vande Bharat Train के नाम से जाना जाता है।

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का पहला परीक्षण 29 नवंबर 2018 को चेन्नई में किया गया था। इसके बाद दिल्ली और राजस्थान में इसके परीक्षण किए गए। इस ट्रेन का बाहरी ढांचा बुलेट ट्रेन की तरह है।

कौन हैं सुधांशु मणि ?

11 दिसंबर 1958 को उत्तर प्रदेश में जन्म लेने वाले सुधांशु मणि 1981 में भारतीय रेलवे के मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर योगदान किया। शुरुआत से ही सुधांशु मणि मॉडर्न रेलवे का सपना देखे रहे वर्ष 2016 में ‘इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री, चेन्नई‘ (ICF) के “जनरल मैनेजर” (GM) बने। GM बनने के बाद उन्हें पता चला कि रेलवे को मार्डनाइजेशन की बात हो रही है। इसके बाद उन्होंने रेलवे के युवा इंजीनियरों की टीम से कहा-
मैं मॉडर्न ट्रेन डिजाइन करना चाहता हूं क्या आप सब मेरा साथ देंगे!”

उनकी बात सुनकर सभी ने हामी भरी। पर इस प्रोजेक्ट की मंजुरी, पैसे की जरूरत जैसे कई बाधाएं थी। अन्ततः इस प्रोजेक्ट को रेलवे की मंजूरी मिल गई। पर एक समस्या थी, सुधांशु मणि दिसम्बर 2018 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। इन लोगों के पास दो साल से भी कम समय बचा था। और एक ट्रेन बनाने में 40 से 42 माह का समय लगना था। अंततः सुधांशु मणि की प्रेरणा से सबने इस प्रोजेक्ट को दिन – रात एक कर दिसंबर 2018 से पहले तैयार करने का संकल्प लिया गया। इस कारण इस ट्रेन का नाम दिया गया-  “ट्रेन-18

50 इंजीनियरों और 500 कर्मचारियों की टीम ने कड़ी मेहनत के बाद अक्टूबर 2018 में  ‘ट्रेन -18‘ बनाकर तैयार कर लिया। पहला प्रायोगिक परीक्षण 29 नवंबर 2018 को किया गया जो सफल रहा। इसके कई और परीक्षण किये जो सभी सफल रहे। अन्ततः सभी सफल परीक्षणों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘15 फरवरी 2019‘ को नई दिल्ली से वाराणसी के बीच पहला ‘ट्रेन-18’ को हरी झंडी दिखाई जिसे नाम दिया गया “वंदे भारत एक्सप्रेस

आज सुधांशु मणि रेलवे से सेवानिवृत्त हो चुके हैं पर उनके द्वारा डिजाइन किया गया वंदे भारत ट्रेन बदलते भारत की तस्वीर लिख रही है।

क्यों खास है वंदे भारत

  • ट्रेन में ऑटोमेटिक स्लाइट डोर लगे हुए हैं और हर गेट के बाहर ऑटोमेटिक फुट रेस्ट भी है जो स्टेशन आने पर बाहर निकलता है.
  • वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat Train) की सीटें पैसेंजर्स की सुविधा के लिए रीक्लाइनिंग है. वहीं हर सीट के नीचे चार्जिंग प्वाइंट्स भी दिए गए हैं.
  • ट्रेन में पैसेंजर्स के एंटरटेनमेंट का भी पूरा ध्यान रखा गया है. इसके अंदर 32 इंच की टीवी स्क्रीन भी लगी हुई है.
  • वंदे भारत ट्रेन में पैसेंजर्स की सेफ्टी का पूरा ध्यान रखा गया है. इसमें उन्हें फायर सेंसर, GPS और कैमरे की सुविधा भी मिलती है.
  • किसी भी अनचाहे खतरे से बचाने के लिए वंदे भारत ट्रेन में रेलवे सुरक्षा कवच नाम का सेफ्टी फीचर भी लगाया गया है, जो इसे किसी दूसरे ट्रेन की टक्कर से बचाता है.
  • वंदे भारत ट्रेन एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) की ऑपरेशनल स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है. इसमें इंटेलिजेंट ब्रेकिंग सिस्टम लगा है, जो कम समय में भी ट्रेन को रोकने में मदद करता है.
  • दिव्यांग पैसेंजर का पूरा ध्यान रखते हुए सीट हैंडल्स पर ब्रेल लिपि में भी सीट नंबर लिखा गया है. वहीं दिव्यांग फ्रेंडली बॉयो टॉयलेट भी लगे हुए हैं.

• भारतीय इंजीनियरों की कड़ी मेहनत से मात्र 18 महीनों में वर्ष 2018 में यह बनकर तैयार हुआ।
• एक ट्रेन बनाने में 97 करोड़ का खर्च हुआ। यदि यही ट्रेन विदेश से खरीदा जाता तो 200 करोड़ का खर्च आता।

• इस ट्रेन का निर्माण ‘ट्रेन 18’  के नाम से मेक इन इंडिया के तहत शुरू किया गया था। इस लिए प्रारंभ में इसका नाम ट्रेन 18 रखा गया।
• 27 जनवरी 2019 को, भारतीय रेलवे द्वारा “ट्रेन 18”  का नाम बदलकर “वंदे भारत एक्सप्रेस” कर दिया गया।
• इस ट्रेन में फिलहाल 16 कोच हैं। जिसमें 1128 लोगों के बैठने की सीटें हैं। जो सभी चेयर कोच है।
• चेयर के बाद में इसे स्लीपर वर्जन की तैयारी है।
• सिर्फ 52 सेकेंड में 100 Km. स्पीड पकड़ने की क्षमता
• अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर/घंटा है।
• शुन्य (0%) जर्क के साथ ट्रेन चलती है।
• अगले तीन सालों में 400 वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की योजना है।

वंदे भारत ट्रेन में सुविधाएं

कम लागत की स्वदेश निर्मित वंदे भारत एक्सप्रेस में कई तरह की सुविधाएं।
• सीसी चेयर और एक्जीक्यूटिव चेयर की सुविधा
• आन बोर्ड खान – पान
• सभी गाड़ियों में बड़ी खिड़कियां
• ऑनबोर्ड वाईफाई
• इन्फोटेनमेंट सिस्टम
• बिजली के आउटलेट
• पढ़ने के लिए प्रकाश
• स्वचालित दरवाजे
• सीसीटीवी कैमरे
• गंध नियंत्रण प्रणाली
• वायो वैक्यूम शौचालय
• धूम्रपान अलर्ट
• सेंसर आधारित पानी के नल
• सरकने वाले लपेटने योग्य पर्दे
• स्टेशन की घोषणा के लिए स्पीकर

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