खत्म हो रही हैं वाराणसी की पहचान अस्सी नदी,नगर निगम के अभिलेख में दर्ज अस्सी नाले की जगह अस्सी नदी दर्ज करने की मांग,उत्तर प्रदेश मे नगर विकास मंत्री के आदेश का भी नहीं हो रहा है पालन

खत्म हो रही हैं वाराणसी की पहचान अस्सी नदी,नगर निगम के अभिलेख में दर्ज अस्सी नाले की जगह अस्सी नदी दर्ज करने की मांग,उत्तर प्रदेश मे नगर विकास मंत्री के आदेश का भी नहीं हो रहा है पालन

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श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी,27 जून / जिस शहर की पहचान उसकी दो नदी अस्सी और वरूणा है। जिसके नाम से ही वाराणसी जाना जाता हैं । उस काशी की पहचान अस्सी नदी को बचाने के लिए नगर निगम महकमा कितना गंभीर है, इसकी मिशाल खुद उसके अभिलेख से मिलती है, जिसमें अस्सी नदी को अस्सी नाले के रूप दर्शाते हुए दर्ज कराया किया गया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर जब प्रदेश के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना 15, जून, 2017 को प्रथम काशी आगमन पर आएं थे,तब नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना को जागृति फाउण्‍डेशन के सदस्‍यों ने नगर निगम के अभिलेश में सुधार कर असि नाले की जगह, अस्सी नदी करने की मांग पत्र (ज्ञापन ) देकर की थी। जागृति फाउण्‍डेशन के महासचिव रामयश मिश्र द्धारा दिये गये ज्ञापन पर विचार करते सुरेश खन्ना ने कहा था की इसके लिए विधि सम्‍मत कार्यवाही कर असि नाले को अस्सी नदी के रूप में दर्ज करायी जायेगी। इसके बाद आज लगभग लगभग 6 साल से ऊपर हो गया योगी जी की सरकार दोबारा पुनः पूर्ण बहुमत से प्रदेश मे दोबारा आ गई लेकिन आज तक नगर निगम के अभिलेख में अस्सी नाले का नाम काटकर अस्सी नदी दर्ज नहीं किया गया।

जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार अस्सी नदी को लेकर कितनी गंभीर है इसी से पता चलता है कि आज 6 साल से ऊपर हो गया वह अपने ही नगर विकास मंत्री के आदेश का पालन नहीं करा सकी है। वहीं अस्सी नदी को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले जयराम कुमार शरण ने कहा कि वाराणसी की पहचान अस्सी नदी लुप्त हो रही है। नदी के जमीन पर भू माफियाओं द्वारा कब्जा किया जा रहा है और सबसे बड़े दुख की बात है की इसमे नगर निगम, वीडीए के अधिकारियों के साथ-साथ कुछ राजनेता भी जो सरकार में है, वो भी लगे हुए हैं। यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि वाराणसी की पहचान को मिटाने का प्रयास सरकार में बैठे लोग ही पूरे जोर-शोर से कर रहे हैं। वही काशी प्रदक्षिणा यात्रा कराने वाले उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि आसि नदी काशी की पहचान है और इसे हर हाल में बचाना होगा अगर यह मिट गई तो काशी की पहचान भी खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि काशी की पंचकोशी यात्रा और अंतरगृही यात्रा अस्सी और वरुणा नदी के किनारे- किनारे होती है और आसि और वरूणा के बीच में ही काफी विद्यमान है।

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