जिले में 30 मई को सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी वट सावित्री व्रत

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श्री नारद मीडिया अरविन्द रजक पंचदेवरी : पिछले साल की तरह इस बार भी जेष्ठ अमावस्या दो दिन है। पंचागों के अनुसार 29 मई की दोपहर बाद अमावस्या का आगमन हो रहा है। 30 मई की दोपहर तक रहेगा। इस वजह से उदयातिथि को मानते हुए 30 मई को वट सावित्री त्यौवहार मनाया जाएगा। आचार्य पं विनोद मिश्र शास्त्री ने बताया कि वर्षों के बाद सोमवती अमावस्या भी 30 मई को है। कहा जाता है कि यदि आप व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और सोमवती अमावस्या पर दान करते हैं, तो मनोकामना पूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि वट सावित्री व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। यह योग सुबह 06 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होगा, जो कि पूरे दिन रहेगा। इस दिन व्रत करना अति पुण्य फलदायी होगा। इस दिन सुकर्मा योग सुबह से लेकर रात 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।

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29 मई की दोपहर बाद अमावस्या का हो रहा आगमन

आचार्य पं विनोद मिश्र शास्त्री ने बताया कि पंचागों में 29 मई की दोपहर 2 : 23 बजे बाद अमावस्या का आगमन हो रहा है जो 30 मई की अपराह्नन 3 : 40 तक है। पंचांगो के अनुसार उदया तिथि में पूजा का विधान है। इसलिए 30 मई की सुबह से दोपहर बाद तक सुहागि महिलाएं व्रत रखकर पूजा करेंगी। महाबीर पंचांग के अनुसार इसी दिन शनि जयंती व सोमवती अमावस्या भी है। रोहिणी नक्षत्र को लेकर सुबह से ही सुकर्मा योग हो रहा है।

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पूजा के दौरान वट सावित्री की कथा अतिमहत्वपूर्ण

व्रत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आचार्य पं ज्ञान प्रकाश मिश्र ने बताया कि सुहागिन महिलाएं अखंड सौभग्य की कामना को लेकर गहरी आस्था के साथ व्रत करती हैं। पूजन के दौरान महिलाएं सावित्री की कथा सुनती हैं। पूजा में वट वृक्ष के तने में कच्चा सूत लपटते हुए प्रदक्षिणा की जाती है। वट वृक्ष के नहीं रहने पर दीवार पर वट वृक्ष का तस्वीर बनाकर भी पूजन करने का विधान है। पूजन के बाद सुहाग की सामग्री और एक पंखा दान करने करने उत्तम होता है।

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वट सावित्री व्रत में क्या खाना चाहिए

 

आचायों के अनुसार वट सावित्री व्रत पूरे दिन नहीं रखा जाता है, लेकिन कुछ महिलाएं पूरे दिन भी व्रत रखती हैं। वट सावित्री व्रत में जो पूजा में चढ़ाया जाता है, उन्हीं चीजों को खाया जाता है। वट सावित्री व्रत में आम, चना, पूरी, खरबूजा, पुआ आदि इन सभी चीजों से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। जब व्रत पूरा हो जाता है, तब इन्हीं चीजों को खाया जाता है।
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पूजा के लिए सामग्री

वट सावित्री व्रत पूजा के लिए पानी से भरा कलश, कच्चा सूत, लाल रंग का धागा, रोली, सिंदूर, अक्षत, मीठा, फूल, अगरबत्ती, धूप, बांस की टोकरी और बांस का पंखा, भीगे हुए चने जरूरी है। वट सावित्री का व्रत रखने वाली विवाहित महिलाएं इस बात का ध्यान रखें कि व्रत के दौरान महिलाएं काले, नीले और सफेद रंगों का प्रयोग न करें।

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