संक्रमण काल में बारिश के मौसम को लेकर सतर्कता जरूरी

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मौसमी बीमारियों से बचाव के देसी नुस्खे अपनाकर स्वस्थ रह सकते है:
सरकारी चिकित्सा संस्थानों में रोग की जांच व उचित इलाज का है प्रबंध:

श्रीनारद मीडिया, किशनगंज, (बिहार):

किशनगंज जिले में मानसून सक्रिय हो चुका है। हर दिन होने वाली बारिश के कारण जगह-जगह जलजमाव की समस्या खड़ी होने लगी है। सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन बताते है बारिश का मौसम अपने साथ ढेरों बीमारियां भी लाती है। इसमें जहां पेट से जुड़ी बीमारियां परेशान करती हैं, वहीं त्वचा से संबंधित बीमारियां भी इसमें काफी होती हैं। वहीं इस मौसम में संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है। बरसात के मौसम में उमस होती और अचानक बदलाव होता है। इस वजह से सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार और फ्लू जैसी दिक्‍कतें बढ़ जाती हैं। इस बार तो कोरोना पहले से ही सामने है। ऐसे में इस बार मौसमी बीमारियों से कहीं ज्‍यादा सावधान रहने की जरूरत है। अपनी खान-पान की आदतों का ख्‍याल रखना है और बाहर निकलने से पहले भी काफी सावधानिया बरतनी हैं। ऐसे में बरसात में तले-भुने और मांसाहारी आहारों के सेवन से बचें, क्योंकि इस समय बैक्टीरिया हावी होते हैं।

मौसम में होने वाली बीमारियों का इलाज समय से कराया जाए: सीएस
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया बदलते मौसम में होने वाली बीमारियों का इलाज समय से कराया जाए। समय पर इलाज नहीं होने से यह भयावह रूप भी ले सकती हैं। मौसमी बीमारियां होने पर समय पर बेहतर उपचार करवाना चाहिए। बच्चों के बीमार होने पर इलाज में कतई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, अन्यथा तबीयत ज्यादा बिगड़ सकती है। इसके अलावा बदलते मौसम में खानपान व पहनावे पर भी ध्यान देना जरूरी है। इन दिनों करीब 15 से 20 फीसद छोटे बच्चों को श्वसन संबंधी संक्रमण (रेस्पिरेटरी इंफेक्शन) के साथ कफ व खांसी जैसी बीमारियां होती हैं। तापमान में अंतर के अलावा लोगों पर प्रदूषण का भी काफी प्रभाव पड़ रहा है। प्रदूषण के कारण धूल के कण सांस की नली के जरिए शरीर के अंदर तक पहुंच जाते हैं। इससे गले में खराश हो जाती है।

मौसमी बीमारियों से बचाव के देसी नुस्खे अपनाकर स्वस्थ रह सकते है:
इस बदलते मौसम में खुद को संक्रमण से बचाने के लिए रोज सुबह एक लौंग खाएं। ताजा बना गर्म खाना ही खाएं। इससे शरीर डी में रक्तसंचार अच्छा बना रहता है। मेथी के दाने के नियमित सेवन से अस्थमा, गठिया, कफ और गैस की समस्या जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। इस बात का खास ख्याल रखें कि मौसम चाहे कोई भी हो, पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए हर रोज कम से कम आठ से दस ग्लास पानी जरूर पीएं। खाने में पपीता, कद्दू, गाजर, टमाटर, पालक व अमरूद जैसे मौसमी फलों और सब्जियों को जरूर शामिल करें। इनसे शरीर का तापमान भी मौसम के मुताबिक बना रहेगा। अंकुरित अनाजों में काफी मात्रा में फाइबर और प्रोटीन होते हैं, जिनके सेवन से काफी एनर्जी मिलती है। लहसुन सर्दी-जुकाम और कफ जैसी समस्या का कारगर इलाज है। आंवला, संतरा, नींबू और इमली जैसे विटामिन-सी युक्त फल भरपूर मात्रा में लें।

रोग से बचाव के लिये रखें इन बातों का ध्यान:
जलजनित इन बीमारियों से बचाव के लिये घर के आस-पास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। घरों के आसपास पानी का जमाव नहीं होने दें। फ्लावर पोट व फूल के गमले का पानी रोज बदलें। आमतौर पर इस समय कूलर का इस्तेमाल होता है तो कूलर में पानी जमा नहीं रहने दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। सुबह के समय शरीर को पूरी तरह ढक कर रखें। सुबह में मच्छरों से खुद का बचाव के लिये विशेष सावधानी रखें।

स्वास्थ्य संस्थानों में नि:शुल्क जांच व इलाज का है इंतजाम:
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया की जिले के सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक सरकारी अस्पतालों में डेंगू व चिकनगुनिया रोग की जांच व समुचित इलाज का प्रबंध है। सरकारी अस्पतालों में होने वाले एलाइजा टेस्ट डेंगू की पहचान के लिये बेहद उपयोगी है। जांच में रोग की पुष्टि होने पर सरकारी अस्पतालों में इलाज का बेहतर प्रबंध उपलब्ध है। वहीं निजी चिकित्सा संस्थानों में जांच के लिये एनएस-1 किट उपयोग में लाया जाता है। लिहाजा सही समय पर रोग की पहचान करते हुए उचित इलाज करना जरूरी है।

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