ग्रामीणों ने श्रमदान और अंशदान से शुरु किया सड़क का निर्माण

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श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):


‘कसमें वादे प्यार वफ़ा ये बातें हैं इन बातों का क्या’ ये बातें प्रशासन व नेताओं के वादों व दावों पर सटीक बैठती है। बिजली, पानी और सड़क ये वो तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं जिन्हें लेकर हमेशा ही चुनाव के वक्त काफी चर्चा रहती है। लेकिन ये मूलभूत आवश्यकताओं के चुनावी मुद्दे चुनाव जाते ही हवा हो जाते हैं। हां, सीवान जिले के बड़हरिया प्रखंड के इनायत छपरा के लोग दशकों से संपर्क सड़क की आस में थे।जब कई चुनाव गुजर गये और वादे धरे के धरे रह गये तो ग्रामीणों का व्यवस्था से मोहभंग होना लाजिमी था।

दिन गुजरते चले गये.लेकिन जब हालात नहीं बदले तो इनायत छपरा गांव के ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से उम्मीद टूटने के बाद खुद ही गांव की सड़क का निर्माण करने का बीड़ा उठाया है और वो खुद ही श्रमदान और अंशदान कर सड़क का निर्माण कर रहे हैं।बताया जाता है कि इनायत छपरा गांव के बजरंग बली स्थान से ओसिहर मांझी के घर तक की बदहाल सड़क पर किसी की नज़र-ए-इनायत हुई तो ग्रामीणों ने वार्ड सदस्य राजकिशोर मांझी के नेतृत्व में खाई में तब्दील हो चुकी इस सड़क को भरकर चलने लायक बनाने का फैसला किया। हां,इसके लिए पूर्व उपप्रमुख फहीम आलम ने ग्रामीणों को एकजुट किया और उन्हें खुद सड़क बनाने के लिए प्रेरित किया।

पहले ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर जेसीबी से सड़क से खाई में बदल हो चुकी इस सड़क का समतलीकरण कराया। और कुदाल और टोकरी लेकर सड़क बनाने के लिए खुद ग्रामीण निकल गये।बताया जाता है कि शासन-प्रशासन से सड़क निर्माण की उम्मीद टूटी तो के लोगों ने खुद सड़क बनाने में जुट गए। मुख्य सड़क से आधा किलोमीटर से ज्यादा इस सड़क के खाई का रुप धारण कर लेने के कारण बारिश में लोगों को खासी परेशानी होती थी। बच्चों को स्कूल पहुंचने में काफी परेशानी होती थी।

बीमारों को मुख्य सड़क तक ले जाने में दिक्कतें होती थीं। समस्याओं से घिरे यहां के लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से सड़क निर्माण के लिए कई बार गुहार लगाई, लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई तो ग्रामीणों ने खुद ही सड़क निर्माण कराने का फैसला लिया।श्रमदान के साथ ही सड़क निर्माण में जुटे ग्रामीणों ने आपस में चंदा भी किया है। ताकि जेसीबी से सड़क का चौड़ीकरण हो सके। सड़क निर्माण में लगे गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने तो किसी तरह अपनी जिंदगी खस्ताहाल सड़क के कारण गुजार ली।लेकिन उनकी इच्छा है कि बच्चों के भविष्य में सड़क रुकावट न बने इसलिए इस सड़क का निर्माण करने का बीड़ा अब उन्होंने खुद ही अपने हाथों में ले लिया है। इस मौके पर ग्रामीण ओसिहर मांझी,कृष्णा यादव,रुदल राम,अनिरुद्ध राम, उमा राम,वीरेंद्र मांझी, अवधेश मांझी, मानदेव मांझी, बलिस्टर राम सहित दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे।

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